
पौड़ी गढ़वाल सन 1907 में गढ़वाल जनपद के नैनीडांडा विकास खंड के इंडियाकोट चैबाडा में एक गरीब शिल्पकार परिवार में जन्मे गंगा प्रसाद आर्य ने आर्य समाज व वीर जयानंद भारतीय के आहवान पर खुद को समाज के लिये समर्पित कर दिया ओर आजीवन दलित, पिछडों कमजोरों के जीवन सुधार के लिये क्रांतिकारी कार्य कर अपना जीवन समर्पित कर दिया। वो समय सामाजिक असमानताओं, पाखंडों घोर जातिवादी बैडियो में जकडा हुवा था साथ ही देश ब्रिटिश गुलामी का शिकार था। उस समय महान आर्य समाज के नैतृत्व में कई शिल्पकार विभूतियों ने मानवता के कल्याण के लिये संघर्ष का रास्ता चुना उन्ही में शुमार थे गंगा प्रसाद आर्य जिन्होंने अपनी तर्कपूर्ण ओजस्वी वाणी से समाज को सूमार्ग दिखाया, यही कारण था की उन्हें समाज ने अपना नैतृत्व करने का सुअवसर दिया ओर आप सन 1948 से 1958 तक जिला परिषद पौड़ी के उपाध्यक्ष रहे, आपने प्रदेश के सुप्रसिद्ध डोला – पालकी आन्दोलन में भी अपनी महान भूमिका निभाई उनके प्रयासों से कई भूमिहीन गरीब परिवारों को भूमि दिलाई गई जिससे वो समाज की मुख्यधारा में जुड़े, आपने सन 1938 में आर्य समाज के आहवान पर हैदराबाद में निजामशाही के विरुध्द आयोजित सत्याग्रह में अपनी जान हथेली पर रखकर शामिल हुवे, जीवन के अंतिम पड़ाव में जब आप अस्वस्थ रहने लगे तो देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उनके अमूल्य जीवन को बचाने के लिये ऑल इंडिया मैडिकल इन्स्टिट्यूट के कुशल डॉक्टरों की निगरानी में उनका उपचार करवाया लेकिन दुर्भाग्य से ये मानवतावादी समाज सुधारक 15 जुलाई 1972 को हमे छोड़कर इस दुनियाँ से बिदा हुवे, लेकिन ये दुर्भाग्य है की शिल्पकार जाति की इस विभूति को भेदभाव वश अभी तक वो सम्मान नही दिया गया जो उन्हें मिलना चाहिये था उनके नाम उनके कार्यों को भावी पीढ़ी तक ले जाने के लिये सरकार को उनके नाम पर जो करना चाहिये था वो अभी तक नही हुवा जिसका रोष प्रदेश के शिल्पकार समाज में हैं। शैलशिल्पी विकास संगठन अपनी इस महान शिल्पकार विभूति को नमन करता है। तथा प्रदेश सरकार से माँग करता है की गंगा प्रसाद आर्य की स्मॄति को जिंदा रखने के लिये प्रदेश में उनके नाम पर स्मारक बनाया जाय, आज उनका परिवार कोटद्वार के झंडीचौड़ में निवास करता है।
प्रेषक
विकास कुमार “आर्य ”
प्रदेश अध्यक्ष
शैलशिल्पी विकास संगठन
कोटद्वार गढ़वाल (उत्तराखंड )