देहरादून मिनिस्टीरियल कर्मचारियों को विद्यालयी शिक्षा विभाग में आहरण वितरण अधिकारी का प्रभार दिए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उत्तराखंड एससी एसटी एम्पलाईज फैडरेशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं शिक्षक डॉ. जितेन्द्र सिंह बुटोइया ने कहा कि उत्तराखंड प्रदेश में हम नियमावली के अनुसार चल रहे हैं, जिसमें कोई भी सरकार एवं अधिकारी एक पत्र जारी कर अपनी सुविधा अनुसार बदल लेते हैं। इसलिए यह समस्याएं बार-बार आती रहती हैं। इससे किसी का फायदा होता है और किसी का नुकसान होता है। सरकार और शासन का कर्तव्य होना चाहिए कि वह सभी के साथ न्याय पूर्ण दृष्टिकोण अपनाएं। उन्होंने अपने अध्ययन काल को याद करते हुए बताया कि जब हम पढ़ते थे तो हमें पढ़ाया व सिखाया गया – “आपकी स्वतंत्रता वहीं तक है जहां तक किसी दूसरे का नुकसान ना हो।” उन्होंने इसका उपाय भी सुझाया है कि भारत का संविधान में निहित प्रावधानों के अनुरूप कार्मिकों की सेवा शर्तों के लिए सरकारों को अधिनियम बनाना चाहिए। यदि किसी कार्मिक की नियुक्ति से लेकर सेवानिवृत्ति तक उसके कार्य, दायित्व एवं अधिकारों का संपूर्ण ब्यौरा, सेवा शर्तों सहित अधिनियम में होगा तो, उससे बाहर कोई नहीं जा सकेगा। इसलिए इसका बनाया जाना नितांत आवश्यक है। तभी जाकर इन समस्याओं का निदान हो सकेगा। उन्होंने उत्तराखंड के सभी विभागों के संगठनों से भी अपील की है कि वे सब एक साथ मिल बैठकर सेवा शर्तों के अधिनियम हेतु एक ड्राफ्ट तैयार कर सरकार को सौंप कर इसे विधानसभा में पारित कर अधिनियम बनाने की मांग करें।