कोटद्वार गढ़वाल विभागीय लापरवाही से राष्ट्रीय राजमार्ग खण्ड लो०नि०वि लोहाघाट के अपर सहायक अभियंता इं जयप्रकाश की सेवा पुस्तिका अधिष्ठान सहायक प्रथम की आलमारी से गायब हो चुकी है, विभाग ने सेवा पुस्तिका की बहुत खोजबीन की मगर सेवा पुस्तिका वापिस नहीं मिल पाई, होना तो ये चाहिए था कि विभाग की आलमारी से गायब हुई कर्मचारी की सेवा पुस्तिका की FIR विभाग करवाता लेकिन विभाग ने गायब हुई सेवा पुस्तिका को खोजने का ऐसा तरीका निकाला है जो इक्कीसवीं सदी में पहुंच चुके इंजीनियरों को भी वापस अंधविश्वास और पाखंड के युग में धकेल चुका है, ये प्रकरण उसका स्पष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है, विज्ञान ने मनुष्य को चांद पर पहुँचा दिया है, हमारा संविधान भी हमें वैज्ञानिक सोच विकसित करने को कहता है, लेकिन उत्तराखंड का लोक निर्माण विभाग अभी भी दो मुठ्ठी चावल से अपने कार्यालय से गायब हुई विभाग के इंजिनियर की सेवा पुस्तिका को खोजने का प्रयास कर पाखण्ड और अंधविश्वास को सरकारी मान्यता प्रदान करने की पूरी तैयारी कर चुका है, इसके लिए विभाग ने बाकायदा दिनांक 16/05/2025 को पत्रांक 836 को जारी कर अपने सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अपने- अपने घरों से दो-दो मुठ्ठी चावल लाकर लोक निर्माण विभाग लोहाघाट के कार्यालय में जमा करवाने का फरमाना जारी किया जा चुका है, विभाग को विश्वास है कि अब दो मुठ्ठी चावल की दैवीय शक्ति से ही कार्यालय की आलमारी से गायब हुई इं जयप्रकाश की सेवा पुस्तिका वापिस प्राप्त होगी, विभाग का लिखित आदेश सभी अधिकारियों कर्मचारियों के लिए जारी किया जा चुका है कि सभी अपने- अपने घरों से दो-दो मुट्ठी चावल लाकर जमा करेंगे और उन चावलों को किसी मंदिर में डाल दिए जाएगा, ऐसा करने से मंदिर का देवता लोक निर्माण विभाग की आलमारी से गायब हुई इंजीनियर जयप्रकाश की सेवा पुस्तिका को वापस दिलवाएगा। लोक निर्माण विभाग लोहाघाट का ये प्रकरण एक तरफ हमारी शिक्षा, हमारी वैज्ञानिक सोच पर प्रश्नचिह्न लगता है, वहीं इससे स्पष्ट होता है कि उक्त विभाग अपनी लापरवाही पर लीपापोती कर रहा है।
सरकार को चाहिए कि वे समाज में इस तरह का पाखंड अंधविश्वास फैलाने वाले लोक निर्माण विभाग लोहाघाट के अधिकारियों पर कठोर कानूनी कार्यवाही करते हुए ये तय करे कि जिस भी अधिकारी, कर्मचारी की लापरवाही से इं जयप्रकाश की सेवा पुस्तिका विभाग की आलमारी से गायब हुई है, उसे इसका जिम्मेवार ठहराते हुए उस पर उचित कानूनी कार्यवाही अमल में लाए, अन्यथा भविष्य में सभी विभाग अपनी-अपनी लापरवाही को छुपाने के लिए दो दो मुठ्ठी चावल और देवता के पीछे छुपकर यूं ही समाज को पाखंड अंधविश्वास में धकेलते रहेंगे, और एक पीढ़ी का अंधविश्वास दूसरी पीढ़ी की परम्परा बन जाएगी।
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रिपोर्ट – विकास कुमार आर्य
गढ़वाल ब्यूरो प्रमुख
वंचित स्वर साप्ताहिक

