आज 3 जनवरी है, राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले का जन्म दिन है, वह देश की प्रथम महिला शिक्षिका थी, उन्होंने और उनके पति राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले ने महिलाओं के लिए सबसे पहला स्कूल खोला, किसानों के लिए सबसे पहला स्कूल खोला,शुद्रो और अतिशुद्रो तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों, किसानों और महिलाओं के मध्य एक आपसी तालमेल, सहयोग, समन्वय स्थापित किया, क्या ये सहयोग, समन्वय और तालमेल हम स्थापित कर रहे है? हर संगठन, व्यक्ति उनके नाम पर कार्यक्रम लगाकर उनके नाम का श्रेय लेने की फिराक में है, क्या राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले ने श्रेय लेने के लिए काम किया था? क्या ऐसा चाहा था? क्या आपको ऐसा करना चाहिए? इन सवालों पर आज हमें ध्यान देने की आवश्यकता है। रूढ़िवादी परम्पराओं को तोड़ कर जिन्होंने स्त्रियों के लिए शिक्षा की अलख जगाई, स्त्री अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया, ऐसी मां के चरणों में शत-शत नमन और वंदन करना ही चाहिए लेकिन जो शुरूआत माता सावित्रीबाई फुले ने की, उसको हम कहां तक पहुंचा पाए हैं ? उसको और कहां तक लेकर जाना चाहिए था?
बामसेफ संगठन ने इन महापुरुषों को पूरे देश में स्थापित किया है, अब बहुत से संगठन बन गए हैं, माता सावित्रीबाई फुले के नाम पर भी संगठन निर्माण हो गए हैं, खुशी की बात है बहुत से संगठन इस माह उनकी जयंती मनाने वाले हैं लेकिन इनकी जयंती किसी नेता को महिमा मंडित करने के लिए मनाई जा रही है तो किसी को भविष्य का नेता बनाने के लिए मनाई जा रही है, कहीं पर उनके नाम पर सरकारी ग्रांट लेने के लिए मनाई जा रही है, कहीं पर दूसरे संगठनों को छोटा करने की मानसिकता से मनाई जा रही है, कहीं पर अपने ही संगठन को महिमा मंडित करने के लिए मनाई जा रही है, मुझे लगता है कि इन आधारों पर राष्ट्रमाता की जयंती मनाना न्यायसंगत नहीं है। यह समाज को नया हौंसला,नई स्फूर्ति,नये कदम, आपसी भाईचारा मजबूत करने, संविधान के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से, आपसी तालमेल,सहयोग, समन्वय के उद्देश्य से मनाई जानी चाहिए।
मैं उम्मीद करता हूं कि आज के दिन आपसी वैरभाव, वैमनस्य को खत्म करके अपनी सोच को नया आयाम दे, इंसानियत, प्रेम, भाईचारा और मानवता को सच्चे अर्थों में स्थापित करें।
सुरेश द्रविड़
सदस्य
NCCMBO
3 जनवरी 2025

 
                         
  
  
  
  
  
 