बागेश्वर एससी एसटी शिक्षक एसोसिशन द्वारा प्रवक्ता प्रधानाध्यापक पदों पर पदोन्नति न किए जाने के साथ ही सरकार द्वारा लंबे समय से शिक्षकों की मांगों की अनदेखी करते हुए माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य पदों पर 50% सीधी भर्ती के फैसले को आज तक वापस नहीं लिया गया है. इस विषय पर शिक्षक एसोसिशन द्वारा नाराजगी व्यक्त की गई. शिक्षक एसोसिशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार टम्टा द्वारा बताया गया माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य पदों की अर्हरता के लिए जैसे मानक बनाए गए हैं उन मानकों में विभाग के 10 फीसदी शिक्षक ही आते हैं. विभाग के मात्र 10 फीसदी शिक्षकों से 50 फ़ीसदी पदों को भरना सरासर अनुचित है यह फैसला लंबे समय से वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति की आस लगाए शिक्षकों के साथ अन्याय है. वर्तमान में प्रदेश के लगभग 90 फ़ीसदी विद्यालय प्रधानाचार्य विहीन है जहां पर प्रधानाचार्य के 1000 से भी अधिक पद रिक्त हैं.इन्हें लोक सेवा आयोग द्वारा भरे जाने की बात कही जा रही है जबकि लोकसेवा आयोग को विज्ञापन से लेकर परिणाम जारी करने तक और उसके बाद विभाग द्वारा नियुक्ति देने तक चार-पांच साल का समय लग जाता है. यदि सीधी भर्ती परीक्षा के निर्णय को सरकार वापस नहीं लेती है तो ऐसी स्थिति में नाराज शिक्षक न्यायालय की शरण में जाने के लिए तत्पर हैं.ऐसी स्थिति में इन पदों को भरने में और भी अधिक समय लगने की संभावना है. जबकि विद्यालयों में शैक्षिक व्यवस्था में सुधार के लिए शीघ्र ही प्रधानाचार्य पदों को भरे जाने की आवश्यकता है.17 नवंबर से राजकीय शिक्षक संघ द्वारा प्रभारी प्रधानाचार्य पदों से त्यागपत्र देने का आह्वान किया गया है. लेकिन संघ यह फैसला शिक्षक एसोसिशन के सदस्यों पर लागू नहीं होता है. क्योंकि शिक्षक एसोसिशन के बहुत से सदस्य राजकीय शिक्षक संघ के सदस्य नहीं है
*शिक्षक एसोसिशन इस विषय पर लंबे समय से शासन प्रशासन के समक्ष अपनी मांग रखता आया है.जब तक दोनों संगठनों के बीच कोई वार्तालाप नहीं हो जाती है तब तक शिक्षक एसोसिशन के सदस्य पूर्व की भांति प्रधानाचार्य पदों पर कार्य करते रहेंगे और अपने तरीके से इन मांगों के लिए संघर्ष करते रहेंगे।