अल्मोड़ा प्रदेश के सरकारी सेवाओं के विज्ञप्तियों में एस सी एस टी वर्गों को निर्धारित आरक्षण के अनुरूप प्रदान किये जाने की मांग को लेकर पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक के जिला अध्यक्ष मनदीप कुमार टम्टा द्वारा आज 1 मार्च 2024 को जिला अधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन प्रेषित किया गया! ज्ञापन में कहा गया है कि 11 सितंबर 2019 को जारी शासनादेश संख्या 276/xxx(2)/ 2019-53(01)/2001 के द्वारा राज्याधीन सेवाओं, शिक्षण संस्थानों, सार्वजनिक उद्योगों, निगम, स्वायत्तसाशी संस्थाओं के अंतर्गत सीधी भर्ती हेतु रोस्टर निर्धारित किया गया था.तब से उत्तराखंड लोक सेवा आयोग, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग आदि भर्ती अभिकरणों के द्वारा सीधी भर्ती हेतु दर्जनों विज्ञापन जारी किए गए हैं. इन विज्ञापनों में एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के लिए पदों का आवंटन संविधान द्वारा निर्धारित कोटे से न्यूनतम अथवा नगण्य प्रदान किया जा रहा है. इस बीच लगातार इस प्रकार के दर्जनों विज्ञापनों से इन वर्गों के लिए राज्याधीन सेवाओं में जाने के अवसर समाप्त होते जा रहे हैं. जिससे इस वर्ग के लोगों में गहरी कुंठा व निराशा का भाव उत्पन्न हो रहा है. विगत दिनों में जारी ऐसी कुछ विज्ञप्तियों के उदाहरण प्रस्तुत कर रहा हूं जो निम्नांकित है-
1- दिनांक 1 फरवरी 2024 को चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा समूह ग के अंतर्गत स्वास्थ्य कार्यकर्ता के 391 पदों का विज्ञापन जारी किया गया है. जिसमें एससी वर्ग को 19% के आधार पर 74 पदों के स्थान पर मात्र 17 पद अर्थात 4% पद प्रदान किये गये हैं. एसटी और ओबीसी की भी यही स्थिति है.
2- 5 सितंबर 2023 को आबकारी विभाग में सिपाही के 100 पदों का विज्ञापन जारी किया गया है. जिसमें एससी को 19 पदों के स्थान पर मात्र 4 पद, एसटी को 3 पद व ओबीसी को 14% के स्थान पर मात्र 01 पद प्रदान किया गया है. जबकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को 10% आरक्षण के स्थान पर 20% पद प्रदान करते हुए ईडब्लू एस व सामान्य श्रेणी में एकतरफा कुल 92% पद प्रदान किए गए हैं.
अवसर समाप्त होते जा रहे हैं. जिससे इस वर्ग के लोगों में गहरी कुंठा व निराशा का भाव उत्पन्न हो रहा है. विगत दिनों में जारी ऐसी कुछ विज्ञप्तियों के उदाहरण प्रस्तुत कर रहा हूं जो निम्नांकित है-
1- दिनांक 1 फरवरी 2024 को चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा समूह ग के अंतर्गत स्वास्थ्य कार्यकर्ता के 391 पदों का विज्ञापन जारी किया गया है. जिसमें एससी वर्ग को 19% के आधार पर 74 पदों के स्थान पर मात्र 17 पद अर्थात 4% पद प्रदान किये गये हैं. एसटी और ओबीसी की भी यही स्थिति है.
2- 5 सितंबर 2023 को आबकारी विभाग में सिपाही के 100 पदों का विज्ञापन जारी किया गया है. जिसमें एससी को 19 पदों के स्थान पर मात्र 4 पद, एसटी को 3 पद व ओबीसी को 14% के स्थान पर मात्र 01 पद प्रदान किया गया है. जबकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को 10% आरक्षण के स्थान पर 20% पद प्रदान करते हुए ईडब्लू एस व सामान्य श्रेणी में एकतरफा कुल 92% पद प्रदान किए गए हैं.
3- 21 अगस्त 2023 को उत्तराखंड राज्य कनिष्ठ अभियंता सेवा परीक्षा- 2023 द्वारा विभिन्न श्रेणियां में 1097 पदों का विज्ञापन जारी किया गया. इसमें एससी वर्ग को 19% के स्थान पर मात्र 9 %पद प्रदान किए गए हैं. जिसमें से लोक निर्माण विभाग में कनिष्ठ अभियंता (सिविल) के 210 पदों में से एससी-एसटी को मात्र 02, 02 पद प्रदान करते हुए 86% पदों के साथ 181 पद सामान्य वर्ग को प्रदान किये गए हैं. इस प्रकार से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS)व सामान्य श्रेणी में 210 पदों में से 200 पद प्रदान करते हुए 95% पद प्रदान किए गए हैं.
4- 21 अगस्त 2023 को उत्तराखंड राज्य कनिष्ठ अभियंता सेवा परीक्षा 2023 के विज्ञापन में सिंचाई विभाग में सिविल अभियंता के 59 पदों में से एससी एस टी को एक पद भी नहीं किया गया है. इसी विज्ञापन में अभियंता यांत्रिक के कुल 51 पदों में से एससी,एसटी को क्रमशः 01, 01 पद प्रदान किया गया है. इसी विज्ञापन में पेयजल निगम में कनिष्ठ अभियंता के कुल 40 पदों में से एससी वर्ग को एक भी पद नही दिया गया है.
5- जून 2021 में राजस्व उप निरीक्षक व लेखपाल के 513 पदों का विज्ञापन जारी किया गया.जिसमें एससी वर्ग को 19% के स्थान पर 97 पद दिए जाने थे जबकि मात्र 51 पदों के साथ मात्र 10% पद प्रदान किये गये हैं. जबकि एसटी को 10 पदों के साथ 1.49% व ओबीसी को 34 पदों के साथ14% के बजाय 6.66% कोटा ही दिया गया है.
6- 30 जून 2021 को अधीनस्थ सेवा चयन आयोग देहरादून द्वारा पर्यावरण पर्यवेक्षक के 291 पदों का विज्ञापन निकाला गया था. जिसमें एससी को 55 पदों के स्थान पर मात्र 6 पद देते हुए19% के स्थान पर मात्र 2%, एसटी को 2 पद व ओबीसी को 21 पद प्रदान करते हुए. 291 में से 244 पदों के साथ 84% पद सामान्य श्रेणी में डाल दिए गए.
7- 31 जनवरी 2024 को उत्तराखंड सम्मिलित राज्य (सिविल) प्रवर अधीनस्थ सेवा- 2024 हेतु जारी विज्ञापन में डिप्टी कलेक्टर के 09 पदों में से एससी एसटी वर्ग को एक भी पद प्रदान नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा है कि ऐसे दर्जनों विज्ञापन निकाले गए हैं जिसमें एससी एसटी ओबीसी वर्गों को तय संवैधानिक आरक्षण से न्यूनतम अथवा नगण्य पद प्रदान किया जा रहे हैं .दूसरी ओर मात्र 4 वर्ष पूर्व ही लागू हुए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS)को उसके तय कोटा 10 % से दोगुना व अधिक पद प्रदान किये जा रहे हैं. जबकि रोस्टर नीति 19 मार्च 2020 के शासनादेश के अनुसार ई डब्लू एस के कोटे की गणना आरक्षण की व्यवस्था लागू होने की तिथि से लागू किया जाना था. ऐसी स्थिति में वह 10% से अधिक नहीं हो सकता है.जबकि इस बीच ऐसी दर्जनों विज्ञप्तियां आई हैं जिसमें ईडब्लूएस को निर्धारित 10%से भी अधिक कोटा दिया जा रहा है इसका सीधा नुकसान अन्य आरक्षित वर्गों को हो रहा है.
इस प्रकार से आरक्षित वर्गों के पदों में लगातार कटौती से आरक्षित समाज के लिए राज्याधीन सेवाओं में जाने के अवसर कम व समाप्त होते जा रहे हैं.संबंधित विभागों द्वारा सीधी भर्ती के पदों में आरक्षण की इस स्थिति के लिए सीधी भर्ती में 2019 से निर्धारित रोस्टर आधारित भर्ती को बताया जा रहा है. रोस्टर के इस नियम का आरक्षित वर्गों को बहुत नुकसान हो रहा है. विचारणीय प्रश्न यह भी है, कुछ वर्ष पूर्व तक आरक्षित वर्गों में भर्तियों में पर्याप्त उम्मीदवार नहीं मिल पाने के कारण बहुत से विभागों में आरक्षित वर्गों में कई पदों का बैकलॉग था. आज उन्ही विभागों में सीधी भर्ती वाले पदों पर आरक्षित वर्गों के पदों की संख्या उनके तय कोटे से अधिक कैसे हो गई ?
विदित है कि विभागीय पदोन्नति वाले पदों में पूर्व से ही एससी एसटी ओबीसी वर्गों का प्रतिनिधित्व नगन्य बना हुआ है. वर्ष 2012 में प्रदेश सरकार द्वारा गठित इंदू कुमार पांडे कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार एससी एसटी के कुल 19% व 04% आरक्षण की तुलना में ग्रुप “क” में क्रमशः11.64% व 2.98%, ग्रुप “ख” में क्रमशः 12.18% व 2.70%, ग्रुप “ग” में 13.91% व 1.66% प्रतिनिधित्व है.जो कि तय आरक्षण से बहुत कम है. वर्ष 2012 से इन वर्गों की पदोन्नतियों पर रोक के कारण राज्य में इन वर्गों के प्रतिनिधित्व में और भी गिरावट आई है. जो कि सामजिक न्याय की अवधारणा के विरुद्ध है.
अतएव महोदय से विनम्रता पूर्वक अनुरोध करते हैं कि उपर्युक्त वर्गों का प्रदेश में विभिन्न विभागों में न्यूनतम प्रतिनिधित्व को देखते हुए एवं राज्याधीन सेवाओं में इन वर्गों के युवाओं के लिए लगातार कम व समाप्त होते अवसरों को देखते हुए प्रथम दृष्टया शीघ्र ही इन विज्ञापनों की शासकीय स्तर पर जाँच की जाय.एवं उपर्युक्त समस्या के समाधान के लिए पूर्व की भांति विभागों में सीधी भर्ती के कुल रिक्तियों के आधार पर पदों का आवंटन किया जाना चाहिए. अथवा विभागीय पदोन्नति वाले पदों में भी रोस्टर निर्धारित करते हुए रोस्टर के माध्यम से ही पदोन्नतियां की जानी चाहिए. या रोस्टर का निर्धारण मात्र सीधी भर्ती के पदों के आधार पर करने की बजाय संपूर्ण विभागीय स्तर पर किया जाना चाहिए. इस हेतु शासनादेश जारी करते हुए राज्याधीन सेवाओं में इन वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्रदान करते हुए न्याय प्रदान करने की कृपा कीजिएगा!