अल्मोड़ा आज दि० 21 अगस्त 2023 को अनु०जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन जनपद अल्मोड़ा एवं डॉ०भीमराव जयन्ती समारोह समिति अल्मोड़ा के द्वारा जिलाधिकारी अल्मोड़ा के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री भारत सरकार, राज्यपाल उत्तराखण्ड सरकार एवं मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार को एक ज्ञापन प्रेषित किया गया। ज्ञापन से पूर्व एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सुन्दर लाल आर्य, प्रान्तीय महामंत्री महेन्द्र प्रकाश, एवं डॉ०भीमराव अम्बेडकर जयन्ती समारोह समिति के अध्यक्ष एडवोकेट अखिलेश टम्टा के द्वारा सभा को संबोधित किया। अपने संबोधन में सरकार से अनु०जाति एवं०जनजाति वर्ग में क्रीमिलेयर एवं जाति उपवर्गीय आधार पर आरक्षण की व्यवस्था लागू करने के भारत सरकार के निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया। इस बिन्दु की ओर भी घ्यान आकर्षित करवाया गया कि केंद्र में अनुसूचित जाति में 1598 व जनजाति में 744 जातियां सूचीबद्ध हैं। इसके साथ ही प्रत्येक राज्य की अपनी अलग से सूची है। इस प्रकार से केंद्र व राज्यों में मिलाकर दोनों वर्गों में छः हजार से भी अधिक जातियां हैं! इसके अंदर भी बहुत सी उपजातियां हैं! ऐसे में इन वर्गों के सूचीबद्ध जातियों के आरक्षण को उपवर्गीय आरक्षण में विभाजित करते हुए लागू करना असंवैधानिक व अव्यवहारिक होगा साथ ही का यह निर्णय न केवल एक ही वर्ग के अन्तर्गत विभेद और संघर्ष की स्थिति को पैदा कर देगा बल्कि भविष्य में अनेक विवादों को भी जन्म देने वाली सम्भावना को पैदा करता है। अनेक सामाजिक संगठनों के साथ ही साथ एसोसिएशन का भी मानना है कि सरकार द्वारा यह मान लेना या आरोप लगाना अनुचित है कि अपने ही समाज के अगड़े वर्ग के कारण यह वर्ग आगे नहीं बढ़ पा रहा है, बल्कि सच्चाई यह है समाज के इस अगड़े वर्ग की मौजूदगी के बाद भी केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी आरक्षण व्यवस्था के अंतर्गत आज भी लाखों पद इन वर्गों के रिक्त हैं। आरक्षण का लाभ लेने के लिए न्यूनतम अर्हता आवश्यक है, जो इस वर्ग की बड़ी आबादी की पहुंच से दूर है। इस प्रकार से इन वर्गों का एक बहुत बड़ा वर्ग आरक्षण लेने से पूर्व की अर्हता वाली स्थिति को ही प्राप्त नहीं कर पा रहा है। इसके लिए इस समाज का अगड़ा वर्ग नहीं बल्कि सरकार की लचर नीतियां जिम्मेदार है। इस प्रकार का सन्देश व आदेश आरक्षण के बल पर आगे बढ़े हुए समाज के प्रति अपने ही समाज के लोगों के प्रति नफरत व विरोधी भाव उत्पन्न करने का कार्य कर रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि आरक्षण के बल पर आगे बढ़ा हुआ वर्ग मुख्य धारा से पीछे इस वर्ग के भोजन, आवास, शिक्षा, बुनियादी सुविधाएं व इस वर्ग के मानवाधिकारों के लिए निरंतर आवाज उठाता रहा है, ऐसे में इस वर्ग को भी इस समाज से बाहर कर दिया गया तो इसके दूरगामी परिणाम इन वर्गों के हित में नहीं होंगे।इसी क्रम में 25 जुलाई 2024 को संसद में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा बताया गया कि देश में कुल 661 न्यायाधीर्णो में से एससी एसटी के क्रमशः मात्र 21 व 12 न्यायाधीश हैं! आजादी के 77 वर्षों के बाद भी न्यायपालिका में दोनों वर्गों का प्रतिनिधित्व क्रमशः 3.17% व 1.81% है। 5 जनवरी 2018 यूजीसी से प्राप्त आरटीआई रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल 496 कुलपतियों में से एससी, एसटी के कमशः मात्र 6 व 6 कुलपति हैं। इन वर्गों में जिसे अगड़ा वर्ग कहा जा रहा है इनके लिए भी यहाँ तक पहुंचने के पर्याप्त अवसर उपलब्ध नहीं हो पाए हैं यदि इसे भी बाहर कर दिया जाय तो स्थिति क्या होगी इसका आंकलन किया जा सकता है। साथ ही क्रीमिलेयर जैसी शब्दावली इस वर्ग की उपेक्षा मात्र से और अधिक कुछ नहीं है।अतः सभी सामाजिक एवं कर्मचारी/ शिक्षक संगठनों के माध्यम से एक ही आवाज उठाई गई कि इस संबंध में शीघ्र सरकार के द्वारा इस उपवर्गीय व क्रीमिलेयर व्यवस्था जैसी किसी भी आशंका को खारिज करते हुए इन वर्गों के संवैधानिक हितों की रक्षा करनी चाहिए। ज्ञापन देने वालों में सुन्दर लाल, जिलाध्यक्ष, महेन्द्र प्रकाश प्रान्तीय महामंत्री, सुशील बाराकोट मण्डली संगठन सचिव, जीवन चन्द्र, उपाध्यक्ष, सुभाष चन्द्र महामंत्री, दिग्पाल आर्या कोषाध्यक्ष,पूर्व जिला अध्यक्ष भूपाल प्रसाद कोहली,संरक्षक संजय भाटिया, संजीव कुमार, संजय कुमार, अखिलेश टम्टा, अध्यक्ष अम्बेडकर जयंती आयोजन समिति अल्मोड़ा, राजेन्द्र प्रसाद, अम्बेडकर जयन्ती समारोह समिति, प्रकाश चंद्र, गिरीश, पंकज कुमार, रघुवीर प्रसाद,आशीष स्वामी, सुरेश आर्या,भूपेंद्र प्रसाद, संजीव कुमार,डॉ भुवन चंद्र, डॉ धनी आर्या, गणेश लाल, प्रकाश चंद्र, दीप चंद्र आर्या, अनेक सामाजिक संगठनों के दर्जनों लोग उपस्थित रहे।