अल्मोड़ा डॉ भीम राव अम्बेडकर जयंती आयोजन समिति अल्मोड़ा के तत्वाधान में नगरपालिका सभागार में सामाजिक न्याय के पुरोधा रायबहादुर मुंशी हरि प्रसाद टम्टा की 138वीं जयंती धूम धाम से मनाई गई! जयंती कार्यक्रम में सर्वप्रथम रायबहादुर मुंशी हरि प्रसाद टम्टा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किये गए! तत्पश्चात कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत हुई! कार्यक्रम का संचालन करते हुए सुभाष चंद्र ने मुंशी हरि प्रसाद टम्टा के जीवन पर अपने विचार रखे! तत्पश्चात कार्यक्रम में आए हुए मुख्य अतिथि समता अखबार के संपादक दयाशंकर टम्टा को साल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया! तत्पश्चात कार्यक्रम में वक्ताओं ने मुंशी हरि प्रसाद टम्टा के व्यक्तित्व कृतित्व पर अपने विचार रखते हुए उनके द्वारा समाज हित में जो कार्य किये गए उस को विस्तार से रखा गया! वक्ताओं ने बताया कि मुंशी हरि प्रसाद टम्टा द्वारा समाज हित में अनेक आंदोलन और सामाजिक चेतना और सामाजिक न्याय के लिए आंदोलन किये गए जिनमें वक्ताओं ने बताया कि रायबहादुर मुंशी हरि प्रसाद टम्टा ने1902 में प्रथम श्रेणी के साथ मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण 1903 से सामाजिक रूप से सक्रिय 1905 में टम्टा सुधार सभा जो आगामी आंदोलनों के लिए मील का पत्थर साबित होती है।जिसे 1914 में व्यापक रूप देते हुए कुमाऊं शिल्पकार सभा नाम दिया गया जो बाद में शिल्पकार सभा बनकर संपूर्ण उत्तराखंड के वंचित समाज लिए कार्य करती है। 1911 में अल्मोडा़ में जार्ज पंचम के राजतिलक समारोह जिसमें हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई सभी धर्म जाति के लोगों को आमंत्रित किया गया था लेकिन जातिगत आधार पर इन्हें इसमें नही आने दिया गया जिससे इन्हे बहुत ठेस पहुंची और आजीवन समानता के लिए संघर्ष का संकल्प लिया। 1925 में अल्मोडा़ डोलीडांडा में खुशीराम शिल्पकार बचीराम आदि नेताओं के सहयोग से उत्तराखंड दलित पिछडे़ समाज( शिल्पकार समाज), का पहला बृहद सम्मेलन। जिसमें ब्रिटिश शासन के समक्ष एक विस्तृत मांगपत्र प्रस्तुत किया गया। पहले यह सम्मेलन अन्य सम्मेलनों की भांती अल्मोडा़ के नंदादेवी परिसर में होना था लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण नगर से दूर जंगल में आयोजित किया गया। इसमें शामिल होने के लिए भी शिल्पकारों को वहां न जाने के लिए डराया धमकाया गया उसके बाद भी उस समय की रिपोर्ट से बताया गया कुमाऊं गढवाल से इसमें दस हजार लोग शामिल हुए।इससे शिल्पकारों में एक नई चेतना का संचार हुआ।
1926 में पर्वतीय अंचल की समस्त जातियों को शिल्पकार( पर्वतीय अंचल की लगभग 65 जातियों को मिलाकर दिया गया उपनाम जो शिल्पकलाओं के पारंपरिक कार्य से जुडी़ थी) नाम स्वीकृति का ज्ञापन वायसराय को प्रेषित किया गया। जिसे 1931की जनगणना रिपोर्ट में सरकार ने शामिल कर मान्यता प्रदान की। समाज में शिक्षा बालविवाह की समाप्ति ,विधवा विवाह सुधार, महिला शिक्षा,मादक वस्तु निवारण पर बल। महिला शिक्षा के प्रबल समर्थक जिनके प्रयासों से इन्ही की परिवार की लक्ष्मी देवी टम्टा उत्तराखंड की पहली स्नातक व पहली महिला पत्रकार होती हैं। उत्तराखंड के सदियों से भूमिहीन शिल्पकारों को सरकार के सहयोग से 35 हजार एकड़ भूमि आवंटित। जिससे उन्हें मताधिकार भी प्राप्त हुआ।क्योंकि ब्रिटिश सरकार मे संपत्ति रखने व लगान देने वालों को ही मताधिकार प्राप्त था। शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए कृष्णा डे और कृष्णा नाइट स्कूलों के साथ सरकार के सहयोग से 150 स्कूल खुलवाये।साथ ही निर्धनों की शिक्षा के लिए वजीफे की शुरुआत। 1929 में गांधी के उत्तराखंड आगमन पर विभिन्न विषयों पर भेंटवार्ता। गढ़वाल तराई क्षेत्र में बेठकों सम्मेलन के साथ 1930 में अल्मोडा़ व खरेही बागेश्वर में,1931में द्वाराहाट में, 1933 में मजखाली,1934 व 1936 में पुनः खरेही बागेश्वर में विशाल सम्मेलन जिसमें सरकार के समक्ष बहुत सी मांगों को लेकर प्रस्ताव दिये गये। जिसमें से आगे बहुत सी मांगों को माना गया व कार्य भी हुआ। 1930 के प्रथम गोलमेज सम्मेलन में डाक्टर अंबेडकर का दलित प्रतिनिधि के रूप में पर्वतीय अंचल से तार जिससे लंदन में उनके दलित प्रतिनीधि होने को मजबूती मिली।
समाज की आवाज को जनजन तक पहुचांने के लिए जून 1934 में समता साप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन। पहले युद्ध तक शिल्पकारों को भारतीय सेना व पुलिस में नही लिया जाता था उनके प्रयासों से प्रथम विश्वयुद्ध के समय शिल्पकार समाज के लोगों को अस्थाई रूप से सेना में भर्ती किया गया बाद में स्थाई रूप से पुलिस में 1935 में व सेना में 1941 में भर्ती किया गया।द्वितीय विश्वयुद्ध के समय उनके प्रयास मात्र से ही लगभग 700 शिल्पकार समाज के लोगों को सेना में भर्ती किया गया इसके साथ ही 1500 शिल्पकारों को अन्य स्रोतों से भी सेना में भर्ती किया गया। उनके द्वारा गढवाल में जयानंद भारती के डोला पालकी आंदोलन का भी समर्थन व सहयोग किया गया। 1913 से लालालाजपत राय व खुशीराम जी व आर्यसमाज के जनेऊ आंदोलन व शुद्धीकरण आंदोलन के बाद सवर्णों व शिल्पकारों के बीच तनाव हिंसा मारधाड़ आगजनी बहिष्कार आदि की घटनाऐं बढने लगी बातें कोर्ट कचहरी तक भी पहुंचने लगी जिसे उनके द्वारा कोर्ट में निशुल्क लडा़ गया आरोपियों को न्यायालय से दंडित कराया गया। वक्ताओं में मुख्य अतिथि समता अखबार के संपादक दया शंकर टम्टा, अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री महेंद्र प्रकाश, अल्मोड़ा जिला अध्यक्ष सुंदर लाल आर्य, महामंत्री सुभाष चंद्र, मुंशी हरि प्रसाद टम्टा धर्मशाला निर्माण समिति के अध्यक्ष महेश चंद्र आर्या, सामाजिक कार्यकर्ता लल्लू लाल, डॉ संजीव आर्या, संजय भाटिया, रहे! कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ भीम राव अम्बेडकर जयंती समारोह समिति के अध्यक्ष एडवोकेट अखिलेश टम्टा ने सभी को मुंशी हरि प्रसाद टम्टा जयंती की बधाई दी और कार्यक्रम में आए हुए सभी का स्वागत किया और आभार व्यक्त किया! उन्होंने अपने संबोधन में मुंशी हरि प्रसाद टम्टा द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का आहवान किया! और भविष्य में मुंशी हरि प्रसाद टम्टा जयंती को भव्य रूप से मनाने की बात कही! अंत में उन्होंने जयंती कार्यक्रम में आए हुए सभी का धन्यवाद किया! कार्यक्रम में रविशंकर टम्टा, सुमीत टम्टा, पूर्व सैनिक राजेन्द्र प्रसाद, नवी चंद्र, सुरेश टम्टा, अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन के कुमाऊँ मण्डल संगठन सचिव शुशील बारा कोटी, धुव्र टम्टा,मुकेश टम्टा, मोहन लाल टम्टा, सावन टम्टा, हर्षित कुमार, प्रियंका आर्या, शैलेंद्र कुमार टम्टा, पंकज टम्टा, वंचित स्वर अखबार के कार्यकारी संपादक प्रकाश चंद्र आर्या सहित दर्जनों लोग उपस्थित रहे!