
दिल्ली मतदाता सूची में दो जगह नाम के मामले में उत्तराखंड निर्वाचन आयोग के स्पष्टीकरण पत्र पर उच्चतम न्यायालय द्वारा आयोग की अपील खारिज किये जाने और उत्तराखंड निर्वाचन आयोग पर दो लाख रुपया जुर्माना लगाए जाने से स्पष्ट है कि उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से चुनाव उत्तराखंड चुनाव आयोग ने नहीं करवाए. जिस पत्र को लेकर उत्तराखंड निर्वाचन आयोग पहले उच्च न्यायालय गया और अब उच्चतम न्यायालय ने उस पर जुर्माना लगाया, उस पत्र की अवैधानिकता को लेकर वामपंथी पार्टियों- भाकपा (माले), माकपा, भाकपा ने 9 जुलाई 2025 को ही लिखित में तथा व्यक्तिगत रूप से मिल कर उत्तराखंड निर्वाचन आयोग के सचिव को चेता दिया था. आज के उच्चतम न्यायालय के फैसले से स्पष्ट है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को अवैधानिक तरीके से संचालन का फैसला उत्तराखंड निर्वाचन आयोग ने राज्य की भाजपा सरकार के दबाव में किया और सत्ता के आगे नतमस्तक होने के लिए आयोग ने उच्च न्यायालय के निर्देशों की भी परवाह नहीं की. इसलिए उच्चतम न्यायालय का फैसला सिर्फ उत्तराखंड निर्वाचन आयोग पर ही नहीं, भाजपा सरकार के मुंह पर भी करारा तमाचा है. उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोक में उत्तराखंड निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार को तत्काल बरखास्त किया जाना चाहिए और आयोग के सचिव राहुल कुमार गोयल को निलंबित करते हुए पद से हटाया जाना चाहिए.