अनुसूचित जाति,जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गो के संगठन के अपेक्षा व्यक्तिवादी, सुप्रीमोवादी नेतृत्व को महत्व देते हैं, जबकि ब्राह्मणवादी लोग संगठन को अधिक महत्व देते हैं, उनके नेता और नेतृत्व संगठन ही निर्धारित और निश्चित करता है लेकिन बहुजन समाज में पहले नेता पैदा होते हैं और फिर संगठन निर्माण करते हैं और इस प्रकार संगठन पर एक व्यक्ति का ही नियंत्रण रहता है और ऐसा नेता और नेतृत्व दूसरों द्वारा संचालित नेता और नेतृत्व ही होता है, क्योंकि यह सब राजनैतिक जोड़-घटाव व गुणा-भाग के माध्यम से ब्राह्मणवादी लोग व संगठन,पुंजीपंती लोग ही निर्धारित करते हैं।
हमारे समाज के लोगों के पास इतना पैसा है ही नहीं कि वे अपने दम पर राजनैतिक पार्टी खड़ी कर ले या अपने ही पैसे के बल पर चुनाव जीत ले, अधिकांशतः ये लोग दूसरे लोगों द्वारा संचालित, कंट्रोलड होते हैं,इनके आका कहीं और बैठे होते हैं जो चुनावों में इनपर अपना धन खर्च करते हैं और इनके जीतने के पश्चात इनसे गलत काम करवाकर अपनी क्षतिपूर्ति तो करते ही हैं, इसके साथ साथ बहुत बड़ा मुनाफा भी कमाते हैं और बहुजन समाज के लोग इनको ही अपना नेता समझते हैं, यह बड़ी भारी भूल बहुजन समाज कर रहा है और इस प्रकार हम अपना बड़ा नूकसान करते ही रहते हैं।
आप इसका खुद ही आंकलन कर लीजिए कि जो भी बहुजन समाज के नेता और नेतृत्वकर्ता है उनके पास कितना पैसा था,अब कितना पैसा है ? पहले चुनावों में न्यायप्रिय लोग भी अपना धन लगाते थे लेकिन अब तो अधिकांशतः चुनावों में पैसा लगाने वाले पैसा लगाकर और अधिक पैसा कमाने के मकसद से ही पैसा लगाते हैं, और बहुजन समाज में बड़े पुंजीपती और उधोगपति है ही नहीं जो चुनावों में बड़ी मात्रा में पैसा लगा सके और जिनके पास थोड़ा बहुत पैसा है भी वे चुनावों में पैसा लगाते ही नहीं है और लगाते भी है तो वे भी ब्राह्मणवादी पार्टियों में ही लगाते हैं। इस प्रकार ये नेता और नेतृत्व बहुजन समाज का बहुत बड़ा नूकसान कर रहे है और हमारे ही समाज के दुश्मन बने हुए हैं और ये समाज का कल्याण करने की अपेक्षा अपनी ही पुंजी बढ़ाने और अपना ही परिवार बढ़ाने अर्थात उसी को साधन संपन्न बनाने में लगे रहते हैं,इनका पर्दाफाश करना अति आवश्यक है।
आगे आने वाला लोकसभा चुनाव 2029 में होगा, इस चुनाव से पहले अभी अब तीन चार साल पहले ही ब्राह्मणवादी और पुंजीपती लोग कुछ दलालों को पैसा देंगे और समाज के सामने पेश करेंगे तथा इन दलालों के माध्यम से समाज को गुमराह करने का काम करेंगे, बहुजन समाज इनके झांसे में भी आ जाएगा क्योंकि हम लोग दिखावा अधिक पसंद करते हैं और हमें जो ज्यादा दिखाई देता है,हम उसी के दिवाने हो जाते हैं,इन नेताओं को टीवी चैनलों पर, अखबारों में भी स्थान दिया जाएगा ताकि बहुजन समाज इनका दिवाना बन सके और इन नेताओं के माध्यम से दलालगिरी और भड़वागिरी अधिक से अधिक हो सके।
ये पिछलग्गू नेता इतने तेजतर्रार तो होते ही हैं कि ये अपने आका को बता कर सहमत और संतुष्ट कर सके,इन नेताओं को अपने ही दुश्मन को अपनी कमजोरियां बताने में बड़ा आनन्द आता है कि बहुजन समाज में बंटवारा इस प्रकार से हो सकता है,सारी तरकीब भी उनको ये खुद ही बता देते हैं और इसके बदले में उनसे धन प्राप्त करते रहते हैं, ये नेता अभी घुमना शुरू कर देंगे, इनकी जांच पड़ताल करना जरूरी है,इनका लेखा-जोखा जानना भी जरूरी है कि इनके पास पैसा कहां से आ रहा है ? और यदि ये अपने पास से भी लगा रहे हैं तो क्यों लगा रहे हैं ? बड़ा जनसमर्थन बना कर किस पार्टी में जाने वाले हैं ? कुछ धनासेठ तो ऐसे भी हैं जो तथाकथित बहुजन समाज का नेतृत्व करने वाली पार्टियों में काम करने वाले कुछ नेताओं को तो हायर तक कर लेते हैं,इनके आने जाने तक का किराया आदि, यहां तक की घर परिवार के गुजारे तक का इन नेताओं का ध्यान ये धन्नासेठ ही रखते हैं ,इनके माध्यम से बहुजन समाज से संबंध रखने वाली पार्टी से कौन चुनाव लड़ेंगा और चुनाव में चुनाव प्रचार कितना तेज करना है या नहीं करना है, यह सब इनके आकाओं द्वारा निर्धारित होता है और हम गुलाम नेताओं को ही अपना नेता समझने की भूल कर रहे है, ये नेता खुद अपना निर्धारण नहीं कर सकते, ये समाज का क्या कल्याण करेंगे ? यह कहना बेहद मुश्किल है ।
अभी सभी प्रदेशों में ऐसे दलालों की फौज घुमने लगी है,कई मूर्ख तो एक ही प्रदेश से संविधान बचाने की बात भी कहने और करने लगे हैं,अब इनको कौन समझाए कि संविधान बचाने का मसला एक प्रदेश का नहीं है बल्कि यह देश का मसला है और संविधान बचाने के लिए पहले जनता को संविधान बताना होगा, यह संविधान बताने का काम में बिल्कुल नहीं करना चाहते हैं। आप अब यह भी सोचिए कि अभी ये संविधान को क्यों बचाना चाहते हैं, इससे पहले ये कहां सोए हुए थे ? क्या इससे पहले इन्हें संविधान नजर नहीं आ रहा था ? मैं निश्चित तौर पर ऐसे दलाल कहता हूं क्योंकि ये दलाल अपने ही माध्यम से आंदोलन चलाना चाहते हैं।
समाधान क्या है ?
समाधान है जागरूक और मजबूत संगठन लेकिन इसे ये निर्माण नहीं करना चाहते हैं क्योंकि ये भी जनता को जागरुक नहीं करना चाहते हैं बल्कि गंवार और मूर्ख बना कर रखना चाहते हैं, इसलिए इनको संगठन नहीं चाहिए, बल्कि खुद कैसे नेता बनेंगे,यही इनका बड़ा मकसद है। यदि हम बहुजन समाज का मजबूत और शक्तिशाली तथा प्रशिक्षित संगठन बना लेते हैं तो इस प्रकार से हम पुंजीपतियों को दरकिनार करके अपनी सरकार बना सकते हैं अर्थात थोड़े थोड़े पैसे से धन की भरपाई की जा सकती है, और हम उन पुंजीपतियों का मुकाबला कर सकते हैं जो चुनावों में धन लगाते हैं। सक्षम नेतृत्व संगठन के माध्यम से ही पैदा हो सकता है अन्यथा बेलगाम नेता और नेतृत्व, बेलगाम घोड़े की तरह कहीं पर भी आपको ले जा सकता है। इनसे सावधान रहे,सचेत रहें।
सुरेश द्रविड़
संविधान प्रबोधक
एवं
संयोजक
NCCMBO

