
नैनीताल। ऋषिकेश के वनंत्रा रिजॉर्ट में काम करने वाली अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान अंकिता के परिजनों ने बेटी की मौत की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट के बाहर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सबूत मिटाए जा रहे हैं। वह इस जांच से कतई संतुष्ट नहीं हैं। बातचीत के दौरान वे फूट-फूट कर रोने लगे। बोले जब तक बेटी को न्याय नहीं मिलता, संघर्ष जारी रखेंगे। परिजनों का कहना है कि न्याय के लिए हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की लड़ाई लड़नी पड़ी तो लड़ेंगे। उन्होंने मांग की कि बेटी अंकिता के हत्यारों को फांसी होनी चाहिए। इस दौरान उन्होंने सरकार के ऊपर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पौड़ी के जिलाधिकारी व एसएसपी का तबादला क्यों कर दिया गया?। इसके पीछे क्या वजह है। कहा कि वे एसआईटी जांच से संतुष्ट नहीं हैं। मामले की सीबीआइ जांच होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि अभियुक्त पुलकित आर्य की फैक्टरी में आग लगाकर सबूत मिटा दिए गए जबकि वहां भी खूंन के छींटे मिले थे। कहा कि आज तक उस वीआईपी का नाम नहीं उजागर हुआ है, जिसकी चर्चा हो रही है। पिता ने एक विधायक पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया। कहा कि उन्होंने बुलडोजर चलवाकर साक्ष्य मिटाए हैं। याचिकाकर्ता आशुतोष नेगी ने कहा कि वह अपने निजी खर्च पर मुकदमा लड़ रहे हैं। चंदे से 49 हजार जमा किए हैं, उसमें से एक पाई भी खर्च नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि याचिका वापस लेने का दबाव डाला जा रहा है। लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे। यदि सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़े तो जाएंगे।