नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ जांच बंद कराने को शिकायतकर्ता और राज्य सरकार एक मंच पर आ गए। इससे पहले राज्य सरकार ने जांच के खिलाफ एसएलपी वापस लेने की अर्जी दी थी। जस्टिस एमआर शाह व एमएम सुंदरेश राज्य सरकार और शिकायतकर्ता की अर्जियां देख हंसने लगे और पूछा क्या हो गया, क्या समीकरण बदल गए हैं।
शिकायतकर्ता उमेश कुमार शर्मा के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वह कोई जांच नहीं चाहते। आपस में बातचीत करके मामले को सुलझाना चाहते हैं। अदालत इसके लिए उन्हें कुछ समय दे। कोर्ट ने कहा कि यह आपका आपसी मामला जैसा बन गया है जिसमें आप समझौता करना चाहते हैं। त्रिवेंद्र की ओर से वकील एआर नाडकर्णी ने कहा कि उनके मुवक्किल अब सीएम नहीं हैं, लेकिन शिकायतकर्ता अब विधायक हैं।
वहीं, राज्य सरकार के वकील ने कहा कि जांच के आदेश के खिलाफ दायर एसएलपी को अब वह वापस नहीं लेना चाहते। इस पर कोर्ट मामले को दिसंबर तक स्थगित करना चाह रहा था लेकिन सिब्बल ने कहा कि यह समय कम होगा। इस पर कोर्ट ने मामले को चार जनवरी के लिए स्थगित कर दिया।