नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त 228 कर्मचारियों के बर्खास्तगी के आदेश को सही माना है. पूर्व में एकलपीठ ने विधानसभा अध्यक्ष के इस आदेश पर रोक लगा दी थी. विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों को एकलपीठ द्वारा बहाल किए जाने के आदेश को चुनौती दिए जाने वाली विधानसभा द्वारा दायर विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को निरस्त करते हुए विधानसभा द्वारा पारित आदेश को सही ठहराया है. कोर्ट ने कहा कि बर्खास्तगी के आदेश को स्टे नहीं किया जा सकता। विधानसभा सचिवालय की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि इन कर्मियों की नियुक्ति काम चलाऊ व्यवस्था के लिए की गई थी. शर्तों के मुताबिक, बिना किसी कारण व नोटिस के इनकी सेवाएं कभी भी समाप्त की जा सकती हैं. इनकी नियुक्तियां विधानसभा सेवा नियमावली के विरुद्ध जाकर की गई हैं। अपनी बर्खास्तगी के आदेश को बबिता भंडारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ट, कुलदीप सिंह व 102 अन्य ने एकलपीठ में चुनौती दी थी. याचिकाओं में कहा गया था कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं 27, 28 व 29 सितंबर को समाप्त कर दी. उन्हें किस आधार पर और किस कारण से हटाया गया इसका बर्खास्तगी आदेश में कहीं उल्लेख नहीं किया गया और न ही उन्हें सुना गया. जबकि उनके द्वारा सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य किया गया है. कर्मचारियों का कहना था कि एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नहीं है और यह आदेश विधि विरुद्ध है।