नई दिल्ली। बनभूलपुरा और इंदिरा नगर में रेलवे भूमि के मामले को लेकर प्रभावित लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है 5 जनवरी को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि पुनर्वास नीति बनाएं साथी कोर्ट ने रेलवे से कहा कि अपने मालिकाना हक का सबूत दिखाएं इसके साथ ही प्रभावित लोगों से भी कहा गया है कि वह जमीन के स्वामित्व को लेकर अपने कागज सुप्रीम कोर्ट में पेश कर सकता है उल्लेखनीय है कि इस मामले में राज्य सरकार की भूमिका काफी विवादास्पद रही है एक तरह से कहा जा रहा है कि राज्य सरकार ने हजारों अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों लोगों को उजाड़ने के लिए यहां की भूमि रेलवे को एक तरह से दान में दे दी है शुरुआत में जब रेलवे ने अपना अधिकार भूमि पर जताया था तब उसने बताया था कि 1 पूरा क्षेत्र में उसकी 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण हुआ है बाद में कोविड-19 पर रेलवे का एक और सर्वे हुआ है जिसके बारे में ज्यादा किसी को जानकारी नहीं दी गई तथा रेलवे भूमि पर को बढ़ाकर 72 एकड़ कर दिया गया इस वजह से 4350 मकान इसकी जद में आ गए राज्य सरकार हाईकोर्ट पहुंचा तब राज्य सरकार ने इस मामले में अपना पक्ष पूरी तरह से कमजोर रखा जबकि रेलवे द्वारा दावा किए जाने वाली जमीन में सरकारी स्कूल भी मौजूद थे ऐसे में कई बार राज्य सरकार की तरफ सवाल उछाला गया कि जब वहां पर सरकारी स्कूल मौजूद है तब राज्य सरकार अपनी जमीन का दावा क्यों नहीं कर रही है 20 दिसंबर को हाईकोर्ट ने 72 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया इसके बाद हल्द्वानी में भूचाल आ गया हालांकि जब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई तब सुप्रीम कोर्ट ने हजारों लोगों को राहत दे दी है राजनीति के जानकारों का कहना है कि यह मामला पूरी तरह राजनीति से जोड़ दिया गया है यहां पर करीब 20000 अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाता हैं जिन्हें राज्य सरकार हटाना चाहती है