बागेश्वर अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संजय कुमार टम्टा व महामंत्री महेंद्र प्रकाश ने उत्तराखण्ड सरकार के मंत्री और विधायकों को अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में आवेदन प्रक्रिया सरलीकरण और समय पर छात्रवृत्ति आवंटन को लेकर ज्ञापन भेजा गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि आजादी के बाद से अनुसूचित जाति जनजाति व वंचित वर्गों के लिए सरकार द्वारा प्रदत्त छात्रवृतियां शिक्षा प्राप्त करने का महत्वपूर्ण साधन रही है। इसी के बल पर लाखों करोड़ों लोग अपनी शिक्षा पूर्ण कर देश की मुख्य धारा से जुड़ चुके हैं । वर्ष 2015-16 से समाज कल्याण विभाग द्वारा इन वर्गों को प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति के लिए जटिल ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया प्रारंभ की गई है. इसके बाद बहुत बड़ी संख्या में इन वर्गों छात्र छात्रवृत्ति से वंचित हो रहे हैं। समाज कल्याण विभाग से प्राप्त आरटीआई के अनुसार 2017-18 में कक्षा 1 से 8 तक आरटीई के अंतर्गत आने वाले 1,47,723 छात्रों को छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है जबकि 2023-24 में इसमें 73% की गिरावट के साथ मात्र 27% अर्थात 40,047 बच्चों को ही छात्रवृत्ति प्राप्त हो पाई है. जबकि यू डाइस रिपोर्ट के अनुसार इसी अवधि (2023-24) में कक्षा 1 से 8 तक 1,85,630 छात्र पंजीकृत हैं. इस प्रकार से इस अवधि में लगभग 78% छात्र छात्रवृत्ति से वंचित हो गए हैं. जबकि इन कक्षाओं में पढ़ने वाले लगभग सभी छात्र अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण छात्रवृत्ति के लिए अर्हर होते हैं इसके लिए किसी भी प्रकार के आय पर प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होती है। यही स्थिति पूर्व दशम छात्रवृति कक्षा 9 , 10 में भी है. जहाँ 2017-18 में 33,780 बच्चों को छात्रवृत्ति प्राप्त होती है। जबकि 2023-24 में 70% गिरावट के साथ मात्र 10,193 बच्चों को ही छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है. दशमोत्तर छात्रवृत्ति (कक्षा11, 12) में 2017-18 में 40,011 छात्रों को छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है जबकि 2023-24 में 61% गिरावट के साथ मात्र 24,299 छात्रों को ही छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है। इस प्रकार से 2017-18 की तुलना में वर्ष 2023-24 में कक्षा 1 से 8 तक 73% छात्र, कक्षा 9 से 10 में 69% एवं कक्षा 11,12 में 61% छात्र छात्रवृति से वंचित हो गए हैं। यदि 2014-15 की आफ लाइन आवेदनों की तुलना में देखा जाए तो यह गिरावट और भी अधिक है। शासन का मानना है कि ऑनलाइन आवेदन से छात्रवृत्ति मामलों में भ्रष्टाचार में रोक लगी है। विदित है सरकारी विद्यालयों में छात्रवृत्ति के गवन व घोटाले की कोई भी गंभीर मामले सामने नहीं आये है। इसके बाद भी इस जटिल प्रक्रिया का सर्वाधिक नुकसान एससी एसटी वर्ग के गरीब जरुरतमंद व सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को हो रहा है। महोदय, छात्रवृति आवेदनों की संख्या में गिरावट का मुख्य कारण छात्रवृत्ति की जटिल ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया है। जिसके लिए छात्रों को दूरस्त ग्रामीण क्षेत्रों से छात्रवृत्ति आनलाईन आवेदन, आय-जाति प्रमाण पत्र, बैंकों में खाता खुलवाने व खाता अपडेट करने, आधार कार्ड से मोबाइल नंबर अपडेट करने, आधार में फोटो अपडेट करने आदि में बहुत परेशानी आती है. इसके साथ ही पूर्व में आधार से लिंक मोबाइल नंबर में ही ओटीपी आती हैं. जबकि अभिभावक दूसरे अन्य नेटवर्क के सस्ते प्लान के कारण मोबाइल नंबर बदल देते हैं। जिसके कारण बैंक खाता व आधार लिंक आदि में बहुत परेशानी आती है। इन कार्यों के लिए कई बार ग्रामीण क्षेत्रों से दूर सीएससी सेंटर जाना पड़ता है. जहाँ अधिकांशत: अत्यधिक भीड़-भाड़ व आवेदन से पूर्व मोबाइल, आधार, बैंक खाता लिंक आदि की समस्यायों व कभी नेटवर्क के आभाव के कारण अक्सर कई दिन सीएससी सेंटर जाना पढ़ता है। इन सभी प्रक्रियाओं के कारण आवेदन पूर्ण कर भी लिया जाए तो छोटी मोटी त्रुटियों के कारण बड़ी संख्या में विभाग द्वारा आन लाइन आवेदन निरस्त कर दिए जाते हैं। जिसके चलते विगत तीन चार सालों से पैसा खर्च कर आवेदन करने के बाद भी बड़ी संख्या में छात्रों को छात्रवृत्ति प्राप्त नहीं हो पा रही है। इस जटिल प्रक्रिया के कारण आवेदन प्रक्रिया को पूर्ण करने में औसतन लगभग ₹1000-1500 से भी अधिक रूपये की लागत सहित बहुत परेशानी आ रही है। यदि अभिभावक भी बच्चे के साथ में हो तो उसकी उस दिन की मजदूरी भी जाती है. जबकि प्राथमिक स्तर पर मात्र 600 रु. जूनियर में 960रु. और हाई स्कूल में ढाई लाख की आय सीमा के साथ मात्र 1400 रु. इंटरमीडिएट में 2300रु. मात्र छात्रवृत्ति प्राप्त हो पा रही है। इससे स्पष्ट है कि छात्रवृत्ति की जटिलता के कारण छात्रवृत्ति आवेदन में छात्रवृत्ति से भी अधिक की रूपये की लागत आ रही है।इस कारण जरूरतमंद होने के बाद भी छात्र और अभिभावक छात्रवृत्ति हेतु आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित हो रही है. छात्रवृत्ति के मार्ग में आने वाले कठिनाइयों को दूर करने हेतु आवश्यक सुझाव-
1- आरटीई का ध्यान रखते हुए कम से कम इसके दायरे में आने वाले कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों की छात्रवृत्ति आवेदन प्रक्रिया को पूर्व की भांति ऑफलाइन किया जाना चाहिए। अन्यथा इस आवेदन प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाना चाहिए।
2- कक्षा 1 से 8 तक प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति की धनराशि बहुत कम है. इसे बढ़ाकर प्राथमिक स्तर पर कम से कम 1500 रुपया किया जाना चाहिए. साथ ही कक्षा 6 से 8, 9-10 व 11-12 की कक्षाओं में हर स्तर पर 1000रु. से 1500 रू. की धनराशि बढ़ाई जानी चाहिए.
3- कक्षा 9 से 12 तक छात्रवृत्ति हेतु आय प्रमाण पत्र की वार्षिक आय सीमा ढाई लाख रु. की गई है. यह बहुत कम है। इसकी आय सीमा ढाई लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए वार्षिक किया जाना चाहिए ।
4- पूर्वदशम और दशमोत्तर छात्रवृत्ति का यह कार्य माध्यमिक विद्यालयों में एससी एसटी वर्ग के शिक्षकों को दिया जाता है. इसकी जटिल प्रक्रिया के कारण उनका इस कार्य में बहुत समय व्यतीत होता है.इसके लिए इस हेतु किसी प्रकार का कोई प्रशिक्षण भी नही होता हैं.अब सभी वर्गों के छात्रों को छात्रवृति मिलती है.जिससे यह कार्य बढ़ गया है.इस कार्य के
कारण इन शिक्षकों का शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है. इसलिए यह कार्य प्राथमिक स्तर पर उपशिक्षा अधिकारी कार्यालयों व माध्यमिक विद्यालयों में विद्यालयी कार्यालयों को दिया जाना चाहिए। इसके लिए स्पष्ट आदेश जारी किए जाने चाहिए।
महोदय, किसी भी लोक कल्याणकारी योजना का मुख्य उद्देश्य जरुरतमंदों को अधिकाधिक लाभ पहुंचाना होता है इसके लिए सरल व सुलभ प्रक्रिया अपनाई जाती है. जबकि छात्रवृत्ति मामले में इसके विपरीत कार्य करते हुए प्रक्रिया को जटिल बनाते हुए जरुरतमंदों को छात्रवृत्ति लाभ से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है.जबकि अन्य प्रकार की छात्रवृतियों में इतनी जटिल प्रक्रिया नही अपनाई गयी है ।
विदित है 2020-21 में राष्ट्रीय स्तर पर हुए परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स सर्वेक्षण (PGI सर्वे) में 37 राज्यों में से उत्तराखंड को 35 वां स्थान प्राप्त हुआ है। प्रदेश को शिक्षा रैंकिंग में 1000 अंकों में से मात्र 719 अंक प्राप्त हुए हैं। शासन द्वारा सर्वेक्षण में पिछड़ने का मुख्य कारण उत्तराखंड के स्कूलों में इंटरनेट का अभाव बताया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि शासन इस बात को स्वीकार करता है कि उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट का अभाव है ।इसके बाद भी छात्रवृत्ति के लिए एससी एसटी वर्ग के गरीब वंचित परिवारों के बच्चों से इंटरनेट के माध्यम से ही आनलाईन छात्रवृत्ति के आवेदन मांगे जा रहे हैं।
यदि सरकार वास्तव में लोक कल्याणकारी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एससी एसटी वर्ग के गरीब वंचित परिवारों के बच्चों को शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु छात्रवृत्ति देना चाहती है। तो इस प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाना चाहिए। कम से कम शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आने वाले कक्षा 1 से लेकर 8 तक के बच्चों को यह छात्रवृत्ति विद्यालय स्तर पर ही पूर्व की भांति प्रदान की जानी चाहिए।
अतैव, महोदय से अनुरोध है उपर्युक्त वर्गों के छात्रवृत्ति में आने वाली समस्याओं को मध्यनजर रखते हुए दिए गए सुझाव के अनुसार आगामी शैक्षिक सत्र 2025-26 से छात्रवृत्ति कासरलीकरण करते हुए इसकी धनराशि बढाने की कृपा कीजिएगा। इस हेतु एससी एसटी छात्र व समाज सदैव आपका आभारी होगा।

