- गणाई गंगोली (पिथौरागढ़)। 16/07/2021 को राजकीय महाविद्यालय गणाई गंगोली में शिक्षा पर्व -2021 के उपलक्ष्य में “वर्तमान चुनौतियों के संदर्भ में छात्र के सर्वांगीण विकास में शिक्षक की भूमिका।” विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया था ।आज की इस ऑनलाइन संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० आनंद प्रकाश सिंह जी ने सर्वप्रथम माननीय प्रधानमंत्री जी के उद्ग़ार को शिक्षा पर्व के विशेष सन्दर्भ में रेखांकित और इस प्रेरणा हेतु आभार प्रकट किया । उन्होंने कहा कि शिक्षा पर्व शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल को सम्पादित करता है । इसका उद्देश्य सभी स्तरों पर समावेशी शिक्षा हेतु नवाचार की गुणवत्ता का समावेशी संवर्धन एवं प्रोत्साहित करता है ।आज के कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वसंत कन्या महाविद्यालय , वाराणसी के समाजशास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ० अखिलेश कुमार राय ने कहा की समावेशी शिक्षा की दिशा में शिक्षक का महत्वपूर्ण कार्य एक अभिप्रेरक की है । अपनी इस अभिप्रेरणा में वह छात्रों के जीवन को तीन स्तरों पर सम्वर्धित करता है । प्रथम वह अपने छात्रों के सामाजिक कल्याण की दिशा में कार्य करता है । द्वितीय वह उनके मनोवैज्ञानिक पहलुओं को सम्बल प्रदान करता है । तृतीय वह अपने छात्रों के अकादमिक कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर उसे अभिप्रेरित करता है । उन्होंने समावेशी शिक्षा की व्यापक स्वीकार्यता के लिए इस बात पर जोड़ दिया की शिक्षक का ये दायित्व है की वह एक सावयवी शिक्षा व्यवस्था को स्थापित करने का प्रयास करे जिसमें उसके सभी लाभार्थियों के मध्य आत्मीयता के सम्बंध विकसित हो ।आज के कार्यक्रम के दूसरे मुख्य वक्ता दयालवाग एजुकेशनल इंस्टिच्युट, आगरा के समाजशास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ० ईश्वर स्वरूप सहाय ने कहा की समावेशी शिक्षा की समग्रता के लिए सर्वप्रथम शिक्षक को भी समावेशी होने की आवश्यकता है जिससे सामाजिक , सांस्कृतिक , आर्थिक विविधिताओं से भरे क्लास रूम शिक्षक और छात्र के बीच मानवीय आत्मीयता का विकास हो । उन्होंने कहा कि शिक्षक का यह दायित्व है की वह अपने छात्रों में क्रिटिकल थिंकिंग , सम्प्रेषण , सहयोग , और सृजनात्मक क्षमताओं का विकास करना है । कार्यक्रम के तीसरे मुख्य राजकीय महाविद्यालय गणाई गंगोली , पिथौरागढ़ के समाजशास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ० आशीष अंशु ने कहा की समावेशी शिक्षा की दिशा में शिक्षक का यह दायित्व है की वह छात्रों में लोकतंत्रिक मूल्यों का संचार करें जिससे सामाजिक विविधता के प्रति उन्मे स्वीकार्यता की भावना विकसित हो । साथ हीं उन्होंने कहा कि आज के सूचना तकनीक के इस युग में जब ग़लत जानकारी और ज्ञान कहीं सहजता से छात्रों को उपलब्ध हो रही है तो शिक्षक का दायित्व और बढ़ जाता है की वह सही सूचनाओं और ज्ञान को छात्रों तक सम्प्रेषित करें , और खुद भी साथ हीं छात्रों को बेहतर पुस्तकों को पढ़ने के लिए प्रेरित करें । इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के अलावा देश के अन्य राज्यों से 100 से भी ज़्यादा छात्रों एवं शिक्षकों ने प्रतिभाग किया । कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन विभा राघव ने किया । कार्यक्रम के तकनीकी पक्ष को श्री रवि शंकर विश्वकर्मा एवं नमित कुमार शर्मा ने सम्भाला । कार्यक्रम की रूप रेखा को तैयार करने में डॉ० मुनेश कुमार पाठक एवं नवीन चंद्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी ।