फिल्लौर पंजाब आज दिनांक 9 दिसंबर 2025 को बामसेफ का राष्ट्रीय अधिवेशन चौथे दिन भी जारी रहा, आज ओबीसी जनगणना, जाति जनगणना जैसे विषयों पर चर्चा की गई, इस विषय पर चर्चा के उपरांत बामसेफ के माध्यम से ओबीसी जनगणना और उनके लिए विशेष विकास कोष का अभियान पूरजोर तरिके से चलाया जाएगा। बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर एल ध्रुव ने कहा कि ओबीसी जनगणना की मांग इसलिए उठाई जा रही है क्योंकि इससे सामाजिक न्याय, नीति-निर्माण और संसाधनों के सही वितरण में मदद मिलेगी, इससे आबादी का सही आंकड़ा मिलेगा,भारत में 1931 के बाद कभी भी जाति आधारित विस्तृत जनगणना नहीं हुई है, ओबीसी की कुल जनसंख्या को लेकर केवल एक अनुमान हैं और इस अनुमान के अनुसार ओबीसी 52 प्रतिशत से अधिक है,परन्तु यह सटीक डेटा नहीं है,बिना ठोस डेटा के सरकार प्रभावी नीतियां नहीं बना रही है, ओबीसी की जनगणना से आरक्षण नीति को एक मजबूत आधार मिलेगा, ओबीसी को मिलने वाला 27% आरक्षण वास्तविक जनसंख्या के अनुपात में मिलने लगेगा, इससे वास्तविक स्थिति का आभाष होगा ,अगर जनसंख्या अधिक है, तो इसके अनुपात में एक बड़े वर्ग की भागेदारी सुनिश्चित हो सकेगी, जाति जनगणना और ओबीसी जनगणना से सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन का वास्तविक मूल्यांकन हमें देखने को मिलेगा,सिर्फ जाति ही नहीं ओबीसी वर्ग की शिक्षा, रोजगार, गरीबी, भूमि-स्वामित्व, स्वास्थ्य आदि की स्थिति पता चलेगी,इससे यह भी पता चलेगा कि कौन-सी जातियां पीछे हैं और कौन सी जातियां आगे बढ़ चुकी हैं। नीतियों को सही लक्ष्य समूह तक पहुंचाने में आसानी होगी, ओबीसी के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए भी यह जरूरी है,संसद, विधानसभा, नौकरियों और प्रशासन में ओबीसी का प्रतिनिधित्व वास्तविक जनसंख्या के हिसाब से है ही नहीं, यह डेटा से हमें पता चल पाएगा और अनेक अनावश्यक बहसों को विराम मिलेगा,राजनीतिक दल और सरकार पर सही प्रकार से सामाजिक न्याय को लागू कर पाएगी , आर्थिक सर्वेक्षण और विकास योजनाओं की सटीकता बनेगी,सरकार आज अनुमान आधारित योजनाएं ही चलाती है,वास्तविक संख्या मिलने पर बजट का सही आवंटन हो पाएगा,क्षेत्र अनुसार योजनाएं बनाने में भी आसानी होगी,शिक्षा-स्वास्थ्य-रोजगार आधारित योजनाएं और
अधिक प्रभावी बन पाएगी। यह सामाजिक न्याय के बहुत ही जरूरी है। बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर ने हमेशा कहा था कि डेटा के बिना न्याय संभव नहीं। कर्पूरी ठाकुर,कांशीराम साहब, और ओबीसी, अनुसूचित जाति, जनजाति आंदोलन से संगठन हमेशा से सांख्यिकी आधारित अधिकारों की मांग करते आ रहे हैं।सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि आरक्षण, सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए सटीक सामाजिक-आर्थिक और जातिगत डेटा जरूरी हैं। आज की अनिवार्यता है, इससे ओबीसी के अधिकारों को कानूनी बल भी मिलेगा। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कहा कि ओबीसी जनगणना इसलिए जरूरी मांग है क्योंकि
इससे सटीक आबादी का पता चलेगा, ओबीसी के आरक्षण को आरक्षण का वैज्ञानिक आधार मिल पाएगा,पिछड़ी जातियों की वास्तविक यथास्थिति सामने आ जाएगी, नीतियों का सही लाभ सही लोगों तक पहुंच पाएगा,सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व मजबूत होगा, केंद्र सरकार को इस पर गंभीरता दिखानी चाहिए। इस विषय की प्रस्तावना बामसेफ की राष्ट्रीय संगठन सचिव शर्मिष्ठा गौतम ने की और मंच का संचालन सरदार सुरेंद्र सिंह ने किया,इस विषय पर जितेन्द्र कुमार, डॉ अरविन्द कुमार ने भी अपने विचार रखे। आज इस अवसर पर बामसेफ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ संजय इंगोले, मनोज कुमार, संजय मोहिते, सुरेश द्रविड़,भी डी बोरकर,दयाराम, अशोक खेड़ा, जोगेंद्र सिंह, नितिन थाबलके, कुलविंदर सिंह,सीता राम, सुनीता कपरवाल,हरे राम कुशवाहा,एक के दिवाकर, प्रेमपाल गौतम, रमाशंकर राम, अनिल उज्जैनवाल,आलोक कुमार, कर्मबीर टंडन, संधीर बौद्ध, पुष्पराज दहीवले,आर के विधार्थी, हेमराज सिंह पटेल आदि भी उपस्थित थे। बामसेफ पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अर्जून देव ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद किया और आभार प्रकट किया।

