कैथल हरियाणा आज दिनांक 22 जनवरी 2024 को जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल द्वारा जारी धरना आज 483 वें दिन भी जारी रहा, धरने पर आज संविधान की प्रस्तावना को लेकर एक चर्चा गोष्ठी आयोजित की गई, धरने व चर्चा संगोष्ठी की अध्यक्षता जन शिक्षा अधिकार मंच के संयोजक जयप्रकाश शास्त्री ने की, धरने पर संविधान प्रस्तावना संकल्प दिवस भी मनाया गया। इस अवसर पर जयप्रकाश शास्त्री ने संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के परिणास्वरूप जब देश से अंग्रेजों का शासनकाल खत्म होने वाला था तब भारत को एक ऐसी कानूनी पुस्तक की आवश्यकता थी, जिससे देश में रहने वाले सभी धर्म के लोगों के बीच आपसी एकता, सहयोग, समन्वय,समानता बनी रहे,ताकि देश एकजुट हो और सभी लोगों को बिना किसी भेदभाव के सभी अधिकार मिले, इसकी आवश्यकता को समझते हुए स्वतंत्रता सेनानियों के बीच संविधान बनाने की मांग उठने लगी थी। इसी को ध्यान में रखते हुए एक संविधान सभा बनाई गई। इस सभा की पहली बैठक साल 9 दिसंबर 1946 को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में हुई, इस बैठक में 207 सदस्य मौजूद थे, जब संविधान सभा का गठन हुआ तो उस वक्त इस सभा में 389 सदस्य थे लेकिन बाद में उनकी संख्या कम होकर 299 हो गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आजादी के बाद जब देश का विभाजन हुआ तो कुछ रियासतें इस सभा का हिस्सा नहीं रही और सदस्यों की संख्या घट गई थी,कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए शिक्षक नेता सुरेश द्रविड़ ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में उन मौलिक दर्शन और मौलिक मूल्यों का उल्लेख है जो हमारे संविधान के मूलभूत आधार हैं, यह उन मुख्य उद्देश्यों को निर्धारित करता है जिन्हें संविधान प्राप्त करना चाहता है ,यह संविधान को दिशा और उद्देश्य देता है, यह उन उद्देश्यों और सामाजिक -आर्थिक लक्ष्यों को भी स्थापित करता है जिन्हें संवैधानिक प्रक्रियाओं के माध्यम से प्राप्त देश द्वारा प्राप्त किया जाना है,हम जानते हैं कि संविधान की प्रस्तावना में स्वाधीनता, समानता, बंधुत्व, मैत्री, करुणा और न्याय तथा धर्मनिरपेक्षता जैसे तत्व भी शामिल हैं । इस प्रकार यह राजनैतिक लोकतंत्र के साथ साथ सामाजिक – आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना को भी एक आयाम देता है। चर्चा गोष्ठी में कर्मबीर पठानिया, रामनिवास मुवाल, इंद्र सिंह धानिया, कमलकांत वर्मा, श्याम मांडी विश्वकर्मा, गुरदेव जांगड़ा, शमशेर कालिया, वीरभान हाबड़ी, रामकली जांगड़ा, सरदार हरदेव सिंह,भीम सिंह तितरम, बलवंत रेतवाल, रणधीर ढुंढ़वा, मंजीत सिंह,केहर सिंह धनोरी, हवा सिंह बूरा, बलजीत सिंह, ईश्वर तितरम, नफे सिंह रामगढ़ आदि भी उपस्थित थे।