देहरादून दिनांक 20 फरवरी 2024 को विश्व सामाजिक न्याय दिवस के अवसर पर आयोजित ऑनलाइन बैठक में बोलते हुए मुख्य अतिथि चेयरमैन राष्ट्रीय सामाजिक न्याय कृति मंच नानक चंद ने कहा कि जाति व जन्म के आधार पर अत्याचार भेदभाव आदि को देखते हुए एवं पानी छूने भरने चक्की छूने पर हत्या कुर्सी पर बैठने पर दूल्हे के घोड़ी चढ़ने पर आदि घटनाओं को देखते हुए भारत में सामाजिक न्याय आज भी चिंता का विषय बना हुआ है। उन्होंने कहा कि इन सब चीजों के लिए सक्षम अधिकारियों की नियुक्ति की जाए और विभिन्न न्यायालय में मुकदमों की सुनवाई समयबद्ध तरीके से होनी चाहिए। वक्ताओं के द्वारा चिंता जाहिर की गई कि आज वंचित वर्ग जिसमें अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक शामिल है। जिनके अधिकार धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहे हैं। उनकी सहायताएं रोकी जा रही हैं उनको चिंता है कि कहीं उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से भी वंचित न कर दिया जाए। लोकतंत्र में यह सब होना खेद का विषय है। ऑनलाइन बैठक मैं बोलते हुए उत्तराखंड एससी एसटी एम्पलाइज फेडरेशन के प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ जितेंद्र सिंह बुटोइया ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 2006 में अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस 20 फरवरी को मनाने का प्रस्ताव पास किया गया था जिसे अगले वर्ष से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि “सरकार को अपने नागरिकों को अपना अपनी इकलौती संतान की तरह मानकर उसके साथ आचरण व व्यवहार करना चाहिए।” यही एक आदर्श स्थिति हो सकती है। भारत में सभी संस्थाओं उपक्रमों नौकरियों में सभी धर्म जातियों का उचित प्रतिनिधित्व देकर ही बेहतरीन सामंजस से बनाया जा सकता है अन्यथा सामाजिक न्याय की बात करना बेईमानी होगी। इस अवसर पर संजय कुमार, टिंकू कनौजिया, बबलू, महेश चंद्र, जितेंद्र कुमार, अशोक कुमार, सूरज कुमार, मनदीप टम्टा, सुनील, अमर सिंह, लक्ष्मी टम्टा, अंजू कोहली, रघुवीर सिंह तोमर, सौरभ कुमार, दिगंबर आर्य, विशंभर सिंह, दीपक प्रसाद, सतपाल, विनोद, मोहित गिल, कुशाल सिंह, जयेश कुमार, पुष्कर बेछवाल, सुभाष टम्टा, प्रेमलाल आर्य, चंद्र प्रकाश, प्रकाश चंद्र आर्य, यशपाल सिंह, वीरपाल, सुभाष टम्टा, हरीश राम, दिनेश एवं पिंकी सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।