देहरादून दिनांक 26 नवंबर 2024 को शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत की अध्यक्षता में अपर मुख्य सचिव कार्मिक एवं सतर्कता, सचिव न्याय एवं विधि परामर्शी, सचिव वित्त, सचिन विद्यालयी शिक्षा, अपर सचिव विद्यालयी शिक्षा, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा, निदेशक माध्यमिक शिक्षा, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा, निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान की उपस्थिति में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय देहरादून में एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में सभी विभागीय मान्यता प्राप्त संगठनों के साथ एससी एसटी शिक्षक एसोसिएशन को भी आमंत्रित किया गया। बैठक में शिक्षक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संजय कुमार टम्टा एवं महामंत्री महेंद्र प्रकाश द्वारा प्रतिभाग करते हुए बैठक में दिए गए दस बिंदुओं से संबंधित एजेंडे पक्ष में मांग की गई कि माध्यमिक शिक्षा में सहायक अध्यापक एल०टी० एवं प्रवक्ता संवर्ग की वरिष्ठता पूर्व की भांति विषयानुसार ही निर्धारित की जाए। यदि वरिष्ठता सूची लोक सेवा आयोग उत्तराखंड द्वारा वर्ष 2005-6 के प्रवक्ता संवर्ग की जारी की गई वरीयता सूची के आधार पर निर्धारित की जाती है तो इस सूची के क्रमांक 1 से 527 तक एससी एसटी वर्ग का एक भी शिक्षक नहीं है। क्रमांक 1 से 700 के बीच में एससी एसटी वर्ग में क्रमश मात्र 8 व 7 शिक्षक वरीयता सूची में है। यदि इस सूची के आधार पर वरिष्ठता निर्धारण की जाती है तो एससी एसटी वर्ग अधिकांश शिक्षक पदोन्नति से पूर्व ही अपने मूल पद से ही सेवानिवृत हो जाएंगे। इससे इस वर्ग का प्रतिनिधित्व नगण्य हो रहा है। इसलिए शिक्षक एसोसिएशन की मांग है लोक सेवा आयोग द्वारा जारी की गई संयुक्त वरीयता सूची के आधार पर वरिष्ठता तय की जाती है तो इस वरिष्ठता सूची निर्माण में आरक्षित वर्गों की रोस्टर नियमावली का पालन किया जाए। वर्तमान में सभी राज्याधीन सेवाओं में जारी विज्ञापनों में सभी वर्गों में रिक्तियां रोस्टर के अनुसार ही जारी की जा रही हैं तो विभाग में भी वरिष्ठता निर्धारण में सीधी भर्ती रोस्टर का पालन किया जाए। प्रदेश में अशासकीय मध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों के विनियमितिकरण से पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में एससी एसटी ओबीसी वर्ग के रोस्टर नियमावली का पालन किया जाना चाहिए। अधिकांश माध्यमिक विद्यालयों में देखा गया है पद रिक्ति की स्थिति में रोस्टर नियमावली का पालन किए बिना तदर्थ नियुक्तियां कर दी जाती है. कुछ समय बाद उन्हीं शिक्षकों का विनियमितिकरण कर दिया जाता है। इससे एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग का कोटा कभी भी पूरा नहीं हो पाता है। वर्तमान में प्रदेशभर में प्रधानाचार्य के 1387 में से 1200 से भी अधिक एवं प्रधानाध्यापक के 918 में से 574 से भी अधिक पद रिक्त है। ऐसी स्थिति में बड़े स्तर पर विद्यालयों में पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है। यद्यपि प्रभारी प्रधानाचार्य के तौर पर शिक्षक कार्य कर रहे हैं लेकिन इससे शिक्षकों के अपने विषय के साथ-साथ संपूर्ण विद्यालय प्रशासन और शैक्षिक व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। ऐसी स्थिति में विद्यालयों में प्रधानाचार्य और प्रधानाध्यापकों के पदों को भरा जाना नितांत आवश्यक है। इसकी आवश्यकता को देखते हुए पूर्व की भांति वर्तमान वरिष्ठता के आधार पर न्यायालय के अधीन रखते हुए प्रधानाचार्य एवं प्रधानाध्यापक पद पर डाउन ग्रेड पदोन्नतियां की जानी चाहिए। जिससे कि विद्यालयों की शिक्षण व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित की जा सके. माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य पदों पर सीधी भर्ती में केन्द्रीय विद्यालयों की तर्ज पर एससी एसटी ओबीसी वर्ग के आरक्षण का भी पालन किया जाना चाहिए। अन्यथा इस भर्ती को निरस्त करते हुए पूर्व की भांति पदोन्नति के आधार पर यह पद भरे जाने चाहिए. प्रधानाचार्य के 50 फीसदी पदों को एक साथ इतनी बड़ी संख्या में भरे जाने से आगामी 10 – 15 वर्षों के लिए विभाग में कार्यरत शिक्षकों के लिए पदोन्नति के अवसर समाप्त हो जाएंगे। प्रदेश के अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, राज्य शैक्षिक एवं अनुसंधान परिषद एवं जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थानों में प्रतिनियुक्ति/ कार्य योजित व्यवस्था ओपन विज्ञापन / निर्धारित प्रक्रिया के द्वारा की चाहिए। विद्यालयों के कोटिकरण में संपूर्ण प्रदेश के स्कूलों को मात्र सुगम और दुर्गम की दो प्रकार के श्रेणियों में बांटना अनुचित है। इससे बड़ी मात्रा में विशेषकर पर्वतीय जिलों के सुगम स्कूल प्रभावित हो रहे हैं। कोटिकरण में सुगम में होने के कारण इन स्कूलों में सीधी नियुक्तियां नही होती है न हीं पदोन्नति से शिक्षक यहां कार्यभार ग्रहण कर रहे हैं. परिणामत: इस श्रेणी के अधिकांश पद रिक्त चल रहे हैं. जैसे की राजकीय बालिका इंटर कॉलेज बागेश्वर में वर्तमान में एक भी स्थाई प्रवक्ता नहीं है. कारण यही है सुगम होने के कारण सीधी नियुक्तियां नहीं हो पा रही है और पदोन्नति में भी यहां शिक्षक नहीं आ रहे हैं। शिक्षक पहाड़ के सुगम की अपेक्षा मैदान के दुर्गम स्कूलों में जाना पसंद कर रहे हैं. पर्वतीय जिलों में ऐसे और भी बहुत से विद्यालय हैं। इसलिए विद्यालयों का कोटिकरण पूर्व की भांति सुगम की तीन श्रेणी ए बी सी और दुर्गम की तीन श्रेणी डी ई एफ के अनुसार किया जाना चाहिए। वर्तमान में विद्यालयों में प्रत्येक छात्रवृत्ति ऑनलाइन किए जाने से शिक्षकों के ऊपर अत्यधिक कार्यभार बड़ा है। कई बार नेटवर्क के अभाव में इस कार्य में बहुत अधिक समय व्यतीत होता है। इसके साथ ही शासन प्रशासन का भी अत्यधिक दबाव के कारण शिक्षकों का शिक्षण कार्य और परीक्षाफल प्रभावित हो रहा है। इस प्रकार के कार्य के लिए शिक्षण तकनीकी रूप से अप्रशिक्षित होते हैं। इस कारण से छात्रवृत्ति की संपूर्ण जिम्मेदारी शिक्षकों के हटाकर कार्यालय को दी जानी चाहिए। विभाग में कार्यरत प्रधानाचार्य की पदोन्नति के अवसर पूर्णतया समाप्त हो गये हैं. वर्तमान में प्रधानाचार्य 15- 20 वर्षों से एक ही पद पर कार्य कर रहे हैं। प्रधानाचार्य के प्रशासनिक और अकादमिक स्तर पर पदोन्नतियां की जानी चाहिए। इससे प्रधानाचार्य पद पर शिक्षकों के पदोन्नति के अवसर भी उपलब्ध होंगे. वर्तमान में विद्यालयों में कई विभागों द्वारा कई प्रकार की खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं। जैसे मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी योजना,युवा कल्याण विभाग द्वारा आयोजित खेल महाकुंभ, विद्यालय स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता आदि इन सब खेल प्रतियोगिताओं से विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है.इन कार्यों में अत्यधिक समय, धन और ऊर्जा व्यतीत होती है. इन सभी का एकीकरण करते हुए सभी खेल प्रतियोगिताएं पूर्व की भांति एक साथ कराई जानी चाहिए। विभाग द्वारा निशुल्क प्रदान की जाने वाली पुस्तक समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। इसलिए नए सत्र के प्रारंभ में ही माह अप्रैल में ही सभी छात्र छात्राओं को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई जानी चाहिए। अटल उत्कृष्ट विद्यालयों में शासनादेश के अनुसार चयनित शिक्षकों की भांति ही पूर्व से एक शिक्षकों को भी दुर्गम सेवा का लाभ दिया जाए। प्राथमिक स्तर पर अंतर्जनपदीय एवं अंतर्जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण प्रतिवर्ष किए जाएं। धारा 27 के अंतर्गत दांपत्य नीति के आधार पर अंतर मंडलीय स्थानांतरण किया जाए। अशासकीय विद्यालयों में 2013 के बाद नियुक्त शिक्षकों को पूर्व की भांति जी आई एस का लाभ प्रदान किया जाय एवं इन शिक्षकों के स्वास्थ्य कार्ड शीघ्र ही बनाये जाए। बैठक में उपस्थित अधिकारियों एवं शिक्षा मंत्री द्वारा कई विषयों पर वार्तालाप किया गया और संबंधित मांगों पर कार्य करने का आश्वासन देते हुए कुछ विषयों पर वार्तालाप के लिए पुनः आमंत्रित किया गया है। शीघ्र ही शिक्षक एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री से अपनी विस्तृत मांगों को लेकर भेंट करेगा।