मैं विद्रोही हूं
मैं विद्रोही हूं ,
अल्फाज़ के सात  सुर लिखता हूं।
परिवर्तन सपनों की ,
सुनहरी सौगात लिखता हूं।
मैं विद्रोही हूं,
अल्फाज़ के सात  सुर लिखता हूं।।
भूखे नंगे जनता की ,
रोटी की तलाश  लिखता हूं।
आशाओं सा खिला ,
मन का मधुवन लिखता हूं।
और मेहनतकशों  की प्यारी ,
खुन पसीने की स्याही से  लिखता हूं।
मैं विद्रोही हूं ,
अल्फाज़   के सात  सुर लिखता हूं।।
टूटे बिखरे कुछ सपने लिखता हूं।
गम खुशी के जीवन के ,
कुछ लम्हें लिखता हूं।
और समुद्र सा शांत मन
गहरा लिखता हूं।
मैं विद्रोही हूं ,
अल्फाज़ के सात सुर लिखता हूं ।।
बेबस, बेजार, बेजुबानों की ,
जुबान लिखता हूं।
मनुष्य को मनुष्यता का ,
पैगाम लिखता हूं ।
और शहंशा की सत्ता लोलुपता ,
सरेआम लिखता हूं।
मैं विद्रोही हूं ,
अल्फाज़  के सात  सुर लिखता हूं ।।
   गंगा शाह आशुकवि

 
                         
  
  
  
  
  
 