नागपुर (महाराष्ट्र) राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले सामाजिक क्रांति संस्थान, रिंगनाबोड़ी अमरावती रोड, नागपुर में आयोजित बामसेफ की इकतालीसवाँ (41वाँ) राष्ट्रीय अधिवेशन की उद्घाटन सत्र बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मूलनिवासी इंजीनियर आर. एल. ध्रुव की अध्यक्षता में संपन्न हुई। जिसमें उपस्थित वक्ताओं ने अपनी-अपनी बातें रखी और लोगों को संबोधित किया। सुबह ग्यारह बजे से दोपहर दो बजे तक चली उद्घाटन सत्र में मूलनिवासी बहुजन समाज के कई बुद्धिबीजी उपस्थित रहें। उद्घाटन सत्र में उद्घाटक के रूप में राष्ट्रीय न्यायिक एकेडमी, भोपाल के पूर्व निदेशक मूलनिवासी प्रो. जी. मोहन गोपाल और मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के सीरियर एडवोकेट मूलनिवासी डॉ. के. एस. चौहान उपस्थित रहें। संविधान पर बात करते हुए मूलनिवासी प्रो. जी. मोहन गोपाल ने बाबा साहेब आंबेडकर के भाषण के उस अंश को याद किया जो उन्होंने विधिमंत्री के तौर पर अपने पहले साक्षात्कार में कहा था। उन्होंने कहा कि, बाबा साहेब ने उन्नीस सौ उनचास (1949) में ही कहा था कि, “संविधान चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो, अगर इसे अमल में लाने वाले लोग खराब निकले तो संविधान निश्चित रूप से अच्छा साबित नहीं होगा।” मूलनिवासी प्रो. जी. मोहन गोपाल ने देश में तेजी से बढ़ती आर्थिक असमानताओं पर भी बात की। डॉ. के. एस. चौहान ने सामाजिक बदलाव के लिए डेमोक्रेटिक समाज को महत्वपूर्ण बताया। उनके मुताबिक, सामाजिक सिस्टम में बदलाव लाने में सालों साल लग जाते हैं, लेकिन समाज में जब-तक डेमोक्रेटिक विचार नहीं आएगा तब-तक बदलाव नहीं आएगी। अपने वक्तव्य में डॉ. के. एस. चौहान ने पॉलिटिकल रिजर्वेशन, ईडब्ल्यूएस रिजर्वेशन और क्रीमी लियर पर भी विस्तार से बात की। बताते चले कि उद्घाटन सत्र में देश के विभिन्न राज्यों से आए मूलनिवासी साथी सैकड़ो की संख्या में उपस्थित रहें। जिसमें महिलाएं, पुरुष और युवाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। उद्घाटन सत्र की प्रस्तावना मूलनिवासी आर. एस. राम ने रखी और सत्र का संचालन मूलनिवासी हसमुख चंद्रपाल ने की। जबकि उद्घाटन सत्र के अंत में मूलनिवासी सुरेश द्रविड़ द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया।

 
                         
  
  
  
  
  
 