बागेश्वर बागेश्वर में अंबेडकर जयंती समारोह समिति के बैनर तले जनपद के शिक्षक कर्मचारी व सामाजिक संगठनों द्वारा अंबेडकर जयंती का भव्य आयोजन किया गया। आयोजन का प्रारंभ तहसील रोड बागेश्वर से शोभायात्रा के साथ किया गया। शोभायात्रा में सांस्कृतिक दलों, छोलिया नृत्य टीमें के साथ सामाजिक राजनीतिक संगठनों के कार्यकर्ता एवं शिक्षक कर्मचारी महिलाओं युवाओं को कॉलेज के छात्रों द्वारा प्रतिभाग किया। शोभायात्रा तहसील रोड से मुख्य सड़क बाजार होते हुए जिला पंचायत परिसर बागेश्वर स्थित अंबेडकर प्रतिमा स्थल पर संपन्न हुई। प्रतिमा स्थल पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पार्वती दास विधायक बागेश्वर, प्रदीप टम्टा पूर्व लोकसभा एवं राज्यसभा सांसद, दीपक सिंह खेतवाल अध्यक्ष नगर पालिका बागेश्वर, समारोह समिति के संयोजक संजय कुमार टम्टा, कार्यक्रम अध्यक्ष जेपी आगरी, संचालक विवेकानंद टम्टा द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए। बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के प्रतिमा स्थल पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की गई। कार्यक्रम की प्रारंभ में कार्यक्रम संयोजक संजय टम्टा द्वारा उपस्थित सभी को संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम में सांस्कृतिक दलों द्वारा डॉक्टर अंबेडकर से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम के विशिष्ट स्थिति पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा द्वारा मोहन मुक्त की कविताओं को प्रस्तुत करते हुए सामाजिक असमानता की पीड़ा को कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया गया। राजस्थान की उस घटना का वर्णन करते हुए जिसमें एक कांग्रेस विधायक टीकाराम झूली के मंदिर जाने के बाद बीजेपी नेता ज्ञानदेवआहूजा द्वारा मंदिर को अपवित्र बताते हुए मंदिर की गंगाजल को धुलाई करने की निंदा करते हुए देश भर में इस प्रकार की असमानताओं और भेदभाव के अंश आज भी दिखाई देने को लेकर चिंता व्यक्त की गई। कहा गया कि डॉक्टर अंबेडकर का तत्कालीन राष्ट्रवादी नेताओं से सामाजिक हितों के लिए वैचारिक टकराव होता गया जहां-जहां राष्ट्रवाद का प्रश्न उठा वहां अंबेडकर राष्ट्रवादी नेताओं के साथ रहे। आज धर्म के नाम पर देश को बांटने की साजिश की जा रही है यदि आज अंबेडकर जीवित होते तो सबसे पहले इस प्रकार की व्यवस्था का ही विरोध करते। विशिष्ट अतिथि सुरेश खेतवाल द्वारा डॉक्टर अंबेडकर को नमन करते हुए अंबेडकर के सपनों के भारत बनाने में सब के योगदान पर चर्चा की गई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एससी एसटी शिक्षक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार टम्टा द्वारा डॉ आंबेडकर के जीवन उनके व्यक्तित्व कृतित्व के साथ सामाजिक राजनीतिक आंदोलन पर प्रकाश डालते हुए संविधान निर्माण में उनके योगदान और संविधान निर्माण के बाद संसद में दिए गए अंतिम भाषण पर चर्चा की गई। बताया गया कि आज सभी सामाजिक राजनीतिक संगठन डॉ अंबेडकर का अनुयाई होने का दावा कर रहे हैं उनकी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर रहे हैं ऐसी स्थिति में डॉक्टर अंबेडकर के विचारों का गहनता के साथ अध्ययन करना और भी जरूरी है। डॉ आंबेडकर का मानना था शिक्षा सभी को समान रूप से उपलब्ध होनी चाहिए। इसके विपरीत आज शिक्षा का लगातार निजीकरण होता जा रहा है। बताया गया की 2023, 24 तक अंबेडकर को जिस समाज का नेता माना जाता है उसे समाज के 19000 युवा छात्रों ने उच्च शिक्षा की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी है। इनमें से आईआईटी और आईआईएम के छात्र भी है। आज देश में लगातार आर्थिक असमानता बढ़ते जा रही है वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार भारत के एक प्रतिशत लोगों के पास देश की संपत्ति का 40% हिस्सा है। जबकि 50% सबसे गरीब लोगों के पास देश की संपत्ति का मात्र 3% प्रतिशत हिस्सा है। देशभर में आठ लाख शिक्षकों के पद रिक्त हैं एक लाख से भी अधिक स्कूल अकाल शिक्षकों के सहारे चल रहे हैं केंद्रीय विश्वविद्यालय में 5400 पद शिक्षकों के रिक्त हैं। उत्तराखंड के पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में प्राथमिक से माध्यमिक तक 17,787 में से 10,470 स्कूल अर्थात 59% स्कूल प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य विहीन है। हाई स्कूल इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य के 90% पद वह माध्यमिक विद्यालयों में लगभग 5,000 और प्राथमिक से माध्यमिक तक लगभग 10,000 पद रिक्त हैं। ऐसे में प्रदेश के बच्चों को बेहतरीन शिक्षा कैसे मिल पाएगी। अंबेडकर अपने जीवन में सर्वाधिक महत्व शिक्षा को देते थे लेकिन वर्तमान में शिक्षा की ही सबसे ज्यादा दुर्दशा हो रही है। ऐसे में डॉक्टर अंबेडकर का सपना कैसे पूरा होगा। अंबेडकर अंधाधुंध निजीकरण के खिलाफ थे जबकि वर्तमान में बिना सोचे समझे संवैधानिक संस्थाओं का तेजी से निजीकरण किया जा रहा है। इसमें एससी एसटी ओबीसी वर्गों के प्रतिनिधित्व का कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लोकतंत्र के तीसरे और चौथे स्तंभ न्यायपालिका और मीडिया में वंचित वर्गों की भागीदारी संविधान लागू होने के 75 वर्ष के बाद भी नगण्य है। एसएमएस डॉक्टर अंबेडकर के सामाजिक न्याय का सपना कैसे पूरा होगा। इस पर सभी को चिंतन करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पार्वती दास विधायक बागेश्वर द्वारा सभी को अंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं देते हुए सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए प्रयासों के बारे में बताते हुए कहा गया सरकार शिक्षा के प्रति गंभीर है। जहां एक भी बच्चा है वहां भी शिक्षक देने का प्रयास कर रही है। कार्यक्रम में वरिष्ठ नागरिक मंच के अध्यक्ष एवं बागेश्वर के प्रसिद्ध उद्योगपति दिलीप सिंह खेतवाल द्वारा बाबा साहेब के विचारों का स्मरण करते हुए समतामूलक समाज के निर्माण पर बल देने की बात करते हुए सरकारों से रोजगार परक शिक्षा पर बल देने की बात कही गई।
पर्यावरण प्रेमी किशन सिंह मलडा़ द्वारा सामाजिक राजनीतिक निर्माण के साथ-साथ सभी को पर्यावरण पर भी ध्यान देने को कहा गया। संविधान में भी अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं रखने की बात कही गई है। कार्यक्रम को शिक्षक एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सुनील धौनी, बामसेफ के जिला अध्यक्ष हरीश आगरी, फड़ समिति के उपाध्यक्ष नीरज जोशी, रमेश प्रकाश पर्वतीय, पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत हरीश सिंह ऐठानी, पूर्व विधायक ललित सिंह फर्स्वाण, व्यापार मंडल अध्यक्ष कवि जोशी पुष्पा टम्टा, प्रमोद कुमार आदि वक्ताओं द्वारा संबोधित किया गया। कार्यक्रम में देवभूमि सफाई कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष चंदन लाल, उपाध्यक्ष जमन लाल, फड़ समिति के अध्यक्ष किशन राम, सचिव भीम कुमार, होटल व्यवसायी सोनू टम्टा, पूर्व छात्र संघ महासचिव अल्मोड़ा अक्षय टम्टा, पूर्व ब्लाक प्रमुख इंद्र सिंह का परिहार जिला पर्यटन अधिकारी आरके गौतम, शिक्षा का संगठन के मंडली उपाध्यक्ष नंदकिशोर टम्टा, नवीन त्रिकोटी सुधीर कुमार टम्टा, प्रदीप कुमार ,भुवन चंद्र, राजेंद्र कुमार, जगमोहन टम्टा, हरीश चंद्र, सरोज टम्टा, तुलसी आगरी, हेमलता, ममता आर्या, मीना टम्टा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन विवेकानंद टम्टा एवं सुधीर कुमार द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम अध्यक्ष जेपी आगरी द्वारा सभी का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई।




