
द्वाराहाट (अल्मोड़ा) आज दिनांक 22 जुलाई 2025 को मूलनिवासी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष मू० प्यारेलाल ने सरकारी स्कूलों में प्रतिदिन भगवत गीता के श्लोक सुनाएं जाने के आदेश के विरोध में उपजिलाधिकारी द्वाराहाट के माध्यम से राष्ट्रपति भारत सरकार को ज्ञापन प्रेषित किया। ज्ञापन में कहा गया कि भगवत गीता एक धार्मिक ग्रंथ है, और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 28 (1) में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि पूर्णतः या आंशिक रूप से सरकारी निधि से संचालित शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा प्रदान नहीं की जा सकती। यह प्रावधान देश की धर्मनिरपेक्षता और सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान की भावना को बनाए रखने के लिए बनाया गया है। उक्त आदेश संविधान के इस प्रावधान का उल्लंघन करता है और सरकारी स्कूलों में धर्मनिरपेक्ष शिक्षा के सिद्धांत को कमजोर करता है। इसके अतिरिक्त, सरकारी स्कूलों में विभिन्न धर्मों, जातियों और समुदायों के छात्र अध्ययनरत है। किसी एक धार्मिक ग्रन्थ के श्लोकों को अनिवार्य रूप से लागू करना अन्य धर्मावलंबियों, मतावलंबियों और समुदायों के बीच असहजता और भेदभाव की भावना को जन्म दे सकता है, जो सामाजिक समरसता और समावेशी शिक्षा के उद्देश्यों के विपरीत है। इसलिए मूल निवासी संघ इस आदेश का पुरजोर विरोध करता है। ज्ञापन देने वालों में मू० प्यारे लाल राज्य उपाध्यक्ष मूलनिवासी संघ उत्तराखंड, मू० प्रताप राम, प्रकाश आगरी, महेश आगरी, आकाश बाल्मीकि, मुनीम भाई आदि लोग मौजूद रहे।