
नैनीताल हाईकोर्ट बार एसोसिएशन उत्तराखंड, नैनीताल ने अपने संविधान और स्मृति पत्र में बड़े बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बुधवार को बार सभागार में अध्यक्ष दुर्गा सिंह मेहता की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया कि एसोसिएशन के नाम में प्रयुक्त उत्तरांचल शब्द को हटाकर उत्तराखंड किया जाएगा। साथ ही, पदाधिकारियों के लिए अनुभव की पात्रता सीमा में भी बढ़ोतरी की गई है। बैठक में तय किया गया कि एसोसिएशन की कार्यकारिणी का कार्यकाल अब दो वर्ष के स्थान पर केवल एक वर्ष का होगा और अवधि समाप्त होते ही कार्यकारिणी स्वतः समाप्त मानी जाएगी। इसके अलावा, अध्यक्ष पद के लिए न्यूनतम अनुभव की अवधि 15 वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष कर दी गई है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष (पुरुष/महिला) के लिए यह सीमा 15 वर्ष, कनिष्ठ उपाध्यक्ष के लिए 8 वर्ष, महासचिव के लिए 12 वर्ष तथा उपसचिव प्रशासन एवं प्रेस, कोषाध्यक्ष और पुस्तकालय अध्यक्ष पद के लिए 8 वर्ष अनुभव अनिवार्य होगा। वहीं, वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य (पुरुष/महिला) के लिए 15 वर्ष तथा कनिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य (पुरुष/महिला) के लिए 3 वर्ष का अनुभव निर्धारित किया गया है। संविधान संशोधन और नवीनीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सर्वसम्मति से एक समिति का गठन किया गया है। इसमें वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एम.एस. पाल, पुष्पा जोशी, राम सिंह सम्मल, सैय्यद नदीम खुर्शीद और वीरेंद्र सिंह अधिकारी शामिल किए गए हैं। महासचिव वीरेन्द्र सिंह रावत ने बैठक की कार्यवाही का संचालन किया। इस अवसर पर डॉ. एम.एस. पाल, पुष्पा जोशी, बी.पी. नौटियाल, मधु नेगी सामन्त, डी.सी.एस. रावत, भुवनेश जोशी, योगेश पचोलिया, सौरव अधिकारी, बी.डी. पांडे, अक्षय लटवाल, नवनीश नेगी, नलिन सौन, मीना बिष्ट और भूपेंद्र सिंह कोरंगा सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित रहे। इस निर्णय के साथ बार एसोसिएशन में आने वाले चुनाव और संगठनात्मक ढांचे में अहम बदलाव होने की संभावना जताई जा रही है।