
हरियाणा संदीप लाठर को परेशान करने में वाई पी कुमार की पत्नी और उनके साले का कहीं कोई हाथ दिखाई नहीं देता है लेकिन जातिगत ईर्ष्या के चलते और मामले को जातिगत रंग देने के पीछे अब असली मुजरिम शायद ही पकड़ में आए? बल्कि इस पर सवालिया निशान भी लग सकता है। आखिर क्यों? क्योंकि संदीप लाठर ने जो वीडियो बनाया,उसकी रिकार्डिंग कौन कर रहा था ? वह खुद कर रहा था या कोई और? वह कौन था ? यदि उसने मोबाइल सामने रख कर वीडियो बनाया है तो इस वीडियो में यह क्यों नहीं दिखाई देता है कि उसने अपने आप को गोली कैसे मारी ? गोली मारने के बाद भी क्या वीडियो लगातार बनता रहा या नहीं ? वीडियो चालू था तो सबसे पहले कौन पहुंचे ? एक सवाल और भी है कि उन्होंने उच्च अधिकारियों को वाई पी कुमार के खिलाफ कितनी शिकायतें दी ? अब कब दी ? उनके खिलाफ उच्च अधिकारियों ने क्या क्या कार्रवाई की ओर यदि नहीं की तो क्यों नहीं की ? अब वाई पी कुमार के मरने पर किससे खतरा था, जिनसे खतरा था वो कौन है ? क्या सच में वो नूकसान पहुंचा सकते थे ? गलत एफआईआर दर्ज होने से इन सब पर पर्दा पड़ जाएगा और इससे ऐसा भी प्रतीत होता है कि केवल संदीप की हत्या के संबंध में ही पर्दा नहीं पड़ेगा बल्कि एक बड़ा पर्दा वाई पी कुमार की हत्या/आत्महत्या पर डालने का प्रयास किया गया है। उनके परिवार के सभी सदस्यों और उनके रिस्तेदारो को इस संबंध में गहनता से सोचना चाहिए।
सच पर पर्दा ना पड़े,सच बाहर आए,हम सबको मिलकर इस संबंध में सहयोग करना चाहिए और गलत का विरोध करना चाहिए। हमें जातीय ईर्ष्या, नफरत और प्रेम के चलते मूल तथ्यों, तर्क और सबूतों से नहीं भागना चाहिए। संदीप कुमार की हत्या/आत्महत्या से जांच भी प्रभावित हुई है,इस संबंध में भी हमें सोचना चाहिए।
वाई पी कुमार की पत्नी ने कभी भी जातीय आधार पर एफआईआर दर्ज करने की मांग नहीं की है बल्कि सोसाइड नोट के आधार पर मांग की है और उस सोसाइड नोट में केवल एक ही जाति के लोग नहीं है। उसने संदीप लाठर के परिवार के खिलाफ भी कोई ऐसी बात नहीं की है और न ही जाट जाति के खिलाफ कोई ऐसी बात की है, उन्होंने सरकार और प्रशासन से मांग की है। यह मांग करना कोई अपराध नहीं है।
ईर्ष्या और नफरत के फलस्वरूप जब हम एक-दूसरे व्यक्ति को, एक दूसरी जाति को, एक दूसरे धर्म को, सम्प्रदाय को जब अपना दुश्मन मानने लग जाते हैं तो इस ईर्ष्या और नफरत के फलस्वरूप सही और सच को भी नकारने लगते है और यह नफरत की आग इतनी अधिक बढ़ जाती है कि हमें इंसानियत और मानवता भी नजर नहीं आती बल्कि इसको कुचलने में आनन्द भी आने लगता है, यह एक सामाजिक बुराई है।
अमनीत पी कुमार और उनके भाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से सच और न्याय पर पर्दा पड़ेगा, कमजोर और आम आदमी न्याय व्यवस्था से हताश और निराश होंगे, मैं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटर को बिल्कुल भी ईमानदार नहीं मानता हूं क्योंकि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए,उनकी ही अध्यक्षता में मंत्रीमंडल ने ठेका सफाई कर्मचारियों को पे-रोल पर रखने का निर्णय लिया था,जो कि आज तक भी लागू नहीं हुआ है,अब भी ये ठेका सफाई कर्मचारी ठेकेदारों के अधीन काम कर रहे है। क्या ये ठेकेदार बिना पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के आशीर्वाद के कर रहे है। निश्चित तौर पर इन ठेकेदारों की सरकार के आला अधिकारियों और बड़े नेताओं से सांठ-गांठ है,इसी सांठ-गांठ के फलस्वरूप इनकी ठेकदारी आज भी कायम है।
संदीप लाठर द्वारा वाई पी कुमार को भ्रष्ट बताना और डीजीपी शत्रुजीत कपूर को क्लीन चिट देना यह भी कोई बड़े षडयंत्र की ओर संकेत करता है क्योंकि संदीप लाठर कितना समय शत्रुजीत कपूर के पास रहे हैं, कितने करीब से उनको देखा है ? मेरा यह कहना बिल्कुल नहीं है कि शत्रुजीत कपूर ईमानदार नहीं हैं लेकिन इसका सर्टिफिकेट क्या हम बिना जांच पड़ताल के और बिना उनके पास रहे दे सकते हैं और मैं मान लेता हूं संदीप लाठर के कहे अनुसार कि वाई पी कुमार भ्रष्ट थे लेकिन उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कितने मामले देखे हैं, पब्लिक में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई मामला दिखाई नहीं देता है, विभागीय तौर पर यदि कोई मामला दर्ज है तो वह हमारे सामने नहीं है।
नरेन्द्र बिजारणियां ने मेवात में जो जगजाहिर है उन्होंने संवैधानिक मर्यादा को कुचलते हुए जो किया, वह सबके सामने है, ऐसे व्यक्ति को यदि कोई ईमानदारी का सर्टिफिकेट देता है तो समझो वह कितना संविधान सम्मत होगा ? उनको ईमानदारी का सर्टिफिकेट देने से खुद संदीप पर भी कई सवाल खड़े होते हैं। संदीप लाठर को अब ईमानदार अधिकारियों के साथ जीना अच्छा क्यों नहीं लगा, भ्रष्ट वाई पी कुमार तो जा चुका था, क्या अब मरकर शहीद भगत सिंह का अनुयाई बनना चाहता था,शहीद भगत सिंह ने जेल में रहकर भी आत्महत्या नहीं की,उनको फांसी पर लटकाया गया,भगत सिंह को पढ़ा होता तो संदीप लाठर आत्महत्या नहीं करता,हो सकता है उनकी हत्या हुई हो, वह कोई बड़ी साज़िश का शिकार हुए हो यह तो अब ईमानदारी से, निष्पक्षता से जांच से ही सिद्ध हो पाएगा। आने वाले समय में देख पाएंगे कि सच सामने आया या उसपर भी पर्दा डाल दिया गया। निष्पक्ष जांच हुई तो निश्चित तौर पर न्याय मिल पाएगा। हम उम्मीद करते हैं कि निष्पक्ष जांच होगी और वाई पी कुमार और संदीप लाठर को न्याय मिलेगा।
संदीप लाठर यदि शहीद भगत सिंह का सचमुच में अनुयाई होता तो वह मरने की अपेक्षा मौजूदा व्यवस्था को बदलना का प्रयास करता, यह विचार भी उसे शहीद भगत सिंह का अनुयाई सिद्ध नहीं करता है बल्कि यह लगता है वह कोई बहुत बड़ी साज़िश का शिकार हुआ है, उसके साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है। ऐसे धोखे हमारे साथ होते रहेंगे जब तक हमारे अंदर यह गैर बराबरी और ऊंच-नीच की भावना जिंदा रहेगी और हम संवैधानिक नैतिकता, संवैधानिक आचरण, संवैधानिक व्यवस्था को दरकिनार करते रहेंगे।
दोनों ही अधिकारियों के लिए मौजूदा व्यवस्था जिम्मेदार है, जब तक मौजूदा व्यवस्था रहेगी इस प्रकार की घटनाएं यूं ही होती रहेगी। इनको रोकने के लिए हम सबको आगे आना चाहिए। मैं उम्मीद करता हूं कि सभी देशवासी और हरियाणा वासी जाति, धर्म,सम्प्रदाय से ऊपर उठकर न्याय के साथ खड़े होंगे। आओ स्थाई समाधान की ओर बढ़े।
सुरेश द्रविड़
संविधान प्रबोधक एवं
संयोजक
NCCMBO