
देहरादून। उत्तराखंड की धामी सरकार ने विधानसभा में बैक डोर भर्ती को लेकर आनन-फानन में जांच कमेटी बैठाई. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने भी तुरंत कार्रवाई करते हुए 250 से अधिक कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया. लेकिन उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार और विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई को बैकफुट पर धकेल दिया है। विधानसभा बैक डोर भर्ती घोटाले के सामने आने के बाद उस वक्त कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर सवाल खड़े हो रहे थे. सवाल इस बात पर खड़े हो रहे थे कि आखिरकार प्रेमचंद अग्रवाल के विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए कैसे उन्होंने अपने लोगों को नियमों को ताक पर रखकर विधानसभा में भर्ती करवाया. सवाल इस बात पर भी खड़े हो रहे थे कि कैसे बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने नियमों के विपरीत अपने परिजनों को विधानसभा में नियुक्ति दिलवाई थी। विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में कार्रवाई करने का आग्रह किया था और एक महीने की जांच के बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने भी तत्काल एक्शन ले लिया था. लेकिन हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त किये गए 102 से अधिक कर्मचारियों की बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उनकी बर्खास्तगी के आदेश पर अग्रिम सुनवाई तक रोक लगा दी, साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये कर्मचारी अपने पदों पर कार्य करते रहेंगे।