
बागेश्वर/उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षक के अंतर्गत प्रधानाचार्य के पदों को भरे जाने को लेकर सरकार द्वारा मीडिया के माध्यम से शिक्षक व शिक्षक संगठनों से सुझाव मांग गए थे इसी क्रम में अनुसूचित जाति जन जाति शिक्षक एशोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संजय कुमार टम्टा द्वारा विद्यालयी शिक्षा मंत्री डाॅ धन सिंह रावत को आनलाईन पोर्टल के माध्यम से और पत्र प्रेषित करके दिनांक 15अक्टूबर2022 को भेजा गया है जिसमें उन्होंने कहा कि प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में विगत 22 वर्षों से बड़ी संख्या में प्रधानाचार्य के पद रिक्त होने से विद्यालय की शिक्षा प्रभावित हो रही है. इन पदों को भरने हेतु आपके द्वारा मीडिया के माध्यम से सुझाव मांगे गए हैं. इसी क्रम में शिक्षक एसोसिएशन द्वारा दो बिंदुओं के अपने सुझाव प्रेषित किए जा रहे हैं जो इस प्रकार हैं-
1- विभाग द्वारा प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य पदों पर सीधी भर्ती एवं विभागीय पदोन्नति की नीतियों का शिक्षक एसोसिएशन समर्थन करता है.
यह व्यवस्था विद्यालय शिक्षा की बेहतरी के साथ ही विद्यालय के लिए भी लाभकारी है. विभागीय पदोन्नति से विद्यालयों को जहां अनुभवी प्रधानाचार्य मिलते हैं वहीं सीधी भर्ती से युवा उत्साही व नई सोच के अनुसार कार्य करने वाले युवा प्रधानाचार्य मिलते हैं. जो विभाग में लंबे समय तक अपनी सेवाएं दे सकते हैं जबकि वर्तमान में विभागीय पदोन्नति के आधार पर पदोन्नत प्रधानाचार्य औसतन चार पांच साल में की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं. प्रधानाचार्य पदों पर सीधी भर्ती की यह व्यवस्था विभाग में पूर्व में भी रही है वर्तमान में भी यह उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों के साथ ही केंद्रीय विद्यालयों में भी विद्यमान है. इसलिए विद्यालय शिक्षा हित में इसे प्रदेश में भी लागू किया जाना चाहिए.
2-विभाग में प्रधानाध्यापक पद पर रिक्त पदों को एलटी व प्रवक्ता संवर्ग के लिए निर्धारित कोटे के आधार पर भरा जाना चाहिए.मामला न्यायालय में लंबित होने की स्थिति में विद्यालय शिक्षा प्रभावित होने के आधार पर न्यायालय की सहमति से विभागीय वरिष्ठता के आधार पर एल टी प्रवक्ता पद पर कार्यरत शिक्षकों को स्थाई रूप से प्रधानाध्यापक पदों पर पदोन्नत किया जाना चाहिए.
प्रधानाचार्य पदों की तुलना में प्रधानाध्यापक के पद कम होने से प्रधानाचार्य के आधे पदों को भी भरना मुश्किल हो रहा है. ऐसी स्थिति में पदोन्नत प्रधानाध्यापकों को वन टाइम सेटेलमेंट का लाभ देकर प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नत किया जा सकता है.
इस प्रकार की नीतियों से प्रदेश में लंबे समय से रिक्त प्रधानाचार्य पदों को भरा जा सकता है.