जबलपुर (मध्यप्रदेश) आज दिनांक 02/01/2023:- मध्य प्रदेश के इतिहास मे हाईकोर्ट की डिवीजन बैच ने आज 27 पेज का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिसमे हाईकोर्ट की एक डिवीजन बैच ने दूसरी डिवीजन बैच के फैसले को मानने से इंकार किया गया है! उक्त फैसले मे हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों द्वारा इंद्रा शाहनी बनाम भारत संघ मे पारित फैसले को भी दरकिनार करके राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बैच के फैसले को मान्य किया जाकर नई व्यस्था दी गई है!
प्रकरण के तथ्य इस प्रकार है की हाईकोर्ट द्वारा जिला न्यायलयो मे असिस्टेंट ग्रेट तीन तथा स्टेनो के 1255 पदो पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया तथा प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट मार्च 2022 मे जारी किया गया! उक्त रिजल्ट मे अनारक्षित की कट आफ 77 अंक तथा ओबीसी की 82 अंक निर्धारित की गई तथा उक्त रिजल्ट मे विकलांग तथा महिलाओ की मेरिट लिस्ट नियमानुसार पृथक से जारी नहीं की गई थी! हाईकोर्ट की उक्त प्रक्रिया को सर्वप्रथम अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा याचिका क्रमांक 8750/2022 के माध्यम से चुनोती दीं गई! याचिका की प्रारंभिक सुनवाई दिनांक 23/4/2022 को हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया जाकर सम्पूर्ण भर्ती को याचिका के निर्णयधीन कर दीं गई तथा हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट को नोटिस जारी करके जबाब तलब किया गया! हाईकोर्ट द्वारा उक्त याचिका का जबाब दाखिल किया गया तथा हाईकोर्ट ने अपने जबाब मे कहा गया की हाईकोर्ट मध्य प्रदेश सरकार के नियम मानने वाध्य नहीं है, हाईकोर्ट अपने आप मे एक स्वंत्रत निकाय है जिसे संविधान के तहत अपने स्वंत्रत रूप से नियम बनाने का अधिकार प्राप्त है, तथा भर्ती मे अपनाई गईं प्रक्रिया सही है क्युकि प्रत्येक भर्ती प्रक्रिया कमेटी के प्रमुख, हाईकोर्ट जज होते है जिनके निर्देशन मे ही उक्त भर्ती प्रक्रिया अपनाई गई है !
उक्त प्रकरणो के दिनांक 2 एवं 3 /8/2022 को फाइनल वहस हुई जिसमे अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने हाईकोर्ट को अवगत कराया गया था की इंद्रा शहनी वणाम भारत संघ के प्रकरण मे सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक पीठ ने अपने फैसले के पैरा क्रमांक 811 एवं 812 मे स्पष्ट रूप से प्रावधान किया गया है की अनारक्षित पदों को सिर्फ प्रतिभावान् अभ्यर्थियों द्वारा ही फील किया जाऐगा चाहे वो किसी भी केटेगरी के हो! यदि इस प्रक्रिया को लागू नहीं किया जाता है तो कम्युनल लागू हो जाऐगा जो संवैधानिक नहीं
है ! तथा दिनांक 7.4.2022 को याचिका क्रमांक wp 807/2021 मे हाईकोर्ट की डिवीजन बैच ने अपने 89 पेज के फैसले मे स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है की परीक्षा के प्रत्येक चरण मे अनारक्षित सीटों का जन्म सिर्फ मेरिटोरियस से ही होता है! तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा सौरभ यादव बनाम उत्तरप्रदेश राज्य के मामले मे पारित फैसले का भी हबाला दिया गया तथा हाईकोर्ट द्वारा अपनाई गईं प्रक्रिया नियम विरुद्ध है तथा 81 अंक प्राप्त करने बाले अभ्यर्थियों को चयन से बंचित किया जाना संवैधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 का खुला उल्लघन है ! महिलाओ तथा विकलांगो को को होरेजोंटल आरक्षण के अंतर्गत उनकी मेरिट पृथक से जारी किए जाने का स्पष्ट नियम है जिसे हाईकोर्ट ने
नजरअंदाज किया जाकर सम्लित रूप से कम्युनल आरक्षण लागू करके विधि विरुद्ध रिजल्ट जारी किया गया है जिसे निरस्त किया जाकर नियमानुसार रिजल्ट जारी किए जाने के हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (परीक्षा ) को निर्देश दिए जाए! हाईकोर्ट ने फैसला हेतु दिनांक 3.8.22 को समस्त 22 प्रकरण सुरक्षित रख लिए गए !
हाईकोर्ट ने ठीक 5 माह मे आज दिनांक 02.01.2023 को 27 पेज़ का फैसला परित किया जाकर व्यवस्था दीं गई की हाईकोर्ट की एक डिवीजन बैच दुसरी डिवीजन बैच का फैसला मानने वाध्य नहीं है तथा हाईकोर्ट द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया उचित है तथा हाईकोर्ट ने अपने फैसले मे यह भी कहाँ गया की आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों को प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा मे चयनित होने का कोई नियम नहीं है तथा इंद्रा शहनी वणाम भारत संघ के फैसले को भी दर किनार करते है कहाँ गया की राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा चतुर सिंह के प्रकरण मे पारित फैसला को उसहित है तथा समस्त याचिकाए ख़ारिज कर दीं गई है!
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का कहना है की उक्त आदेश के विरोध सुप्रीम कोर्ट मे अपील की जाएगी!