
अल्मोड़ा उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं तकनीकी परिषद व अर्थशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वाधान में उद्यमशीलता सन्दर्भित शिक्षा में सरकार एवं विश्वविद्यालयों की भूमिका विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यशाला के संयोजक प्रो० एक० सी० जोशी द्वारा कार्यशाला के मुख्य अतिथि पूर्व निर्देशक प्रो० आर० एस० पथनी कार्यशाला चैयरमैन प्रो० पी० एस० बिष्ट अधिष्ठाता प्रशासन मुख्य वक्ता राष्ट्रीय वित्तीय प्रबन्धन संस्थान भारत सरकार के पूर्व सलाहकार प्रो० एस० एस० खनका एवं प्रो० एन० डी० काण्डपाल कार्यशाला संयोजक का शाल एवं उत्तराखण्डी टोपी पहनाकर स्वागत किया गया। मुख्य वक्ता वर्तमान वैश्विक उद्योगों की कार्यप्रणाली को लागू करने के लिए भारतीय विश्वविद्यालयों में सरकार को उद्यमशील शिक्षा प्रत्येक रोजगार संबंधित विषयों के लिए वर्तमान में लागू करना अत्यन्त आवश्यक बताया। उन्होंने कहा स्टार्ट-अप कार्यदक्षता, तकनीकी प्रशिक्षण सहित नई शिक्षा निति में नवाचार (इनोवेटिव) प्रणाली को विश्वविद्यालय स्तर पर विभागों, संकायों एवं केन्द्रों की स्थापना में सरकार का सहयोग लेना पर्वतीय क्षेत्र की बेरोजगार युवाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है। मुख्य अतिथि प्रो० आर० एस० पथनी ने अपने उद्धघाटन भाषण में यह स्पष्ट रूप से चिंता जनक बताया कि पर्वतीय क्षेत्र में युवाओं में शिक्षण एवं अपने जीवनयापन के प्रति उदासीनता का होना चिंताजनक है। शिक्षकों को भी इस दिशा में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर छात्रों में व्यवसायिक रूझान पैदा करना समय की आवश्यकता है। चैयरमैन प्रो० पी० एस० विष्ट द्वारा गोष्ठी उद्धघाटन सत्र की समीक्षा करते हुए कहा कि पहाड़ की प्राकृतिक संपदा से संबंधित ज्ञान प्राप्त कर आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड के निर्माण में गोष्ठी के विषय वस्तु एवं आयोजन को मील का पत्थर बताया। संयोजक प्रो० एन० डी० काण्डपाल द्वारा संगोष्ठी पर रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में उद्यमशील शिक्षण हेतु एक संस्था की स्थापना समय की आवश्यकता है।
द्वितिय सत्र में प्रो० एस० ए० हामिद द्वारा गोष्ठी का प्रयोजन यहां की पलायन समस्या के निराकरण हेतु समाधान के रूप में होना बताया। प्रो० वी०डी० एस० नेगी द्वारा अपना व्याख्यान छात्र में चिरित्र निर्माण सहित रोजगारपरक शिक्षा व्यवस्था पर केन्द्रित किया प्रो० एच० सी० जोशी द्वारा कार्यशाला को नई शिक्षा नीति 2020 का भाग बताया। संयोजक प्रो० एच० सी० जोशी द्वारा सभी विद्वतवनों का आभार व्यक्त किया गया। सभा के अन्त में कार्यशाला सचित डॉ० भुवन चन्द्रा द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। समापन सत्र में दीप्ती कमल भटट, श्री जगदीश
प्रसाद एवं श्रीमती नीता टम्टा सोमेश्वर महाविद्यालय सहित अनेको वक्ताओं ने अपने विचार रखे। सर्दमित शीर्षक पर प्रकाशित रिपोर्ट का विमोचन भी संगोष्ठी में किया गया। संगोष्ठी का संचालन कार्यशाला उपसचिव डॉ० विजेता सत्याल द्वारा किया गया। संगोष्ठी में मुख्य रूप से डॉ० वी० डी० एस० नेगी, डॉ० प्रीति आर्या, डॉ० श्वेता चनियाल, डॉ० लता आर्या, डॉ० आरती परिहार, रवि कुमार, प्रेमाखाती अंशुल टम्टा, चन्द्र प्रकाश, मोहित खर्कवाल, अमित जोशी, गीतांजली, रश्मि, अंजली, देवेश, कंचन आदि दर्जनों प्रतिभागी उपस्थित रहें।