अल्मोड़ा सर्वदलीय संघर्ष समिति ने जिला विकास प्राधिकरण को समाप्त करने की मांग को लेकर लेफ्टिनेंट कर्नल सतीश चन्द्र जोशी पार्क चौघानबाटा में धरना दिया तथा प्रदेश की भाजपा सरकार के विरूद्ध जमकर नारेबाजी की।इस अवसर पर धरने को सम्बोधित करते हुए समिति के संयोजक प्रकाश चन्द्र जोशी ने कहा कि नवम्बर 2017 में प्रदेश की भाजपा सरकार ने तुगलकी फरमान से पूरे पर्वतीय क्षेत्रों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण लागू कर दिया था जिसका स्थानीय जनता एवं समिति लगातार विरोध कर रही है।उन्होंने कहा कि इतने विरोध के बाद भी प्रदेश सरकार ने केवल प्राधिकरण को स्थगित किया है जो जनता के साथ धोखा है।उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण बनने से पर्वतीय जनपदों में सरकार के खिलाफ तीव्र आक्रोश रहा है तथा इसके कारण होने वाली परेशानियों से निजात पाने के लिए अल्मोड़ा,पिथौरागढ़,बागेश्वर आदि स्थानों में आंदोलन होता रहा है। सर्वदलीय संघर्ष समिति द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों में जिला विकास प्राधिकरण पहाड़ी क्षेत्रों की जनता में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के प्रति दिन प्रतिदिन आक्रोश बढ़ता ही चला जा रहा है।उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा जिला विकास प्राधिकरण को स्थगित करना इस सरकार की षडयंत्रकारी नीति है।जहां एक ओर प्राधिकरण स्थगित किया गया है वहीं दूसरी ओर मानचित्र स्वीकृत करने के लिए कोई शासनादेश जारी नहीं किया गया है।जिसके फलस्वरूप भवन निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृत कराने के लिए शपथ पत्र देकर मानचित्र की स्वीकृति प्राधिकरण के तहत लेनी पढ़ रही है जो कि औचित्यहीन है तथा भ्रष्टाचार से प्रेरित लगता है।कांंग्रेस जिला प्रवक्ता राजीव कर्नाटक ने कहा कि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के विरोध में सभी दलों के विधायकों ने विधानसभा के पटल पर भी बार-बार इसे समाप्त करने का मुद्दा उठाया था।वर्तमान में शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने भी पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन देकर स्वयं जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को समाप्त करने का आग्रह किया था।काफी समय बाद प्रदेश के दो मुख्यमंत्रियों ने जनता की मांग को देखते हुए तथा इसमें लिप्त भ्रष्टाचार के कारण जनाक्रोश को समझते हुए जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को स्थगित करने की घोषणा की थी।पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने स्पष्ट रूप से जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार की बात को स्वीकार करते हुए सार्वजनिक रूप से इसे समाप्त करने की बात कही थी,लेकिन वर्तमान में शासन द्वारा इसे समाप्त ना कर इसे स्थगित रखा गया है तथा आदेश में कहा गया है कि जहां पूर्व से प्राधिकरण बने हुए हैं वहां जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के द्वारा ही मानचित्र स्वीकृत किए जाएंगे जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को समाप्त नहीं करना चाहती है।सभाषद हेम तिवारी ने कहा कि अल्मोड़ा के संदर्भ में नगरपालिका अधिनियम 1916 में विभिन्न प्रावधानों के अनुसार नगर पालिका परिषद अल्मोड़ा को अपने नगर की सीमा के अंतर्गत भवन मानचित्र स्वीकृत करने का अधिकार था।जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण गठित होने के बाद से नगर पालिका परिषद अल्मोड़ा की आय पर अत्यंत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है जबकि सरकार के निर्देश मिलते हैं कि नगर निकाय अपनी आय बढ़ाने तो स्पष्ट रूप से निकायों को कमजोर करने की साजिश है।तथा 74 वे संविधान संशोधन की भावना पर कुठाराघात करना है तथा जनता के जनतांत्रिक अधिकारों का हनन करना है।उल्लेखनीय है कि अल्मोड़ा नगर कुमाऊं का सबसे प्राचीनतम नगर है जो लगभग 5 सौ साल पुराना बसा हुआ है।प्राधिकरण के नियम हर स्थान की भौगोलिक स्थिति एवं जलवायु के अनुसार लागू होते हैं।परंतु यहां की भौगोलिक एवं धरातलीय स्थिति मैदानी क्षेत्रों से एकदम भिन्न है।जिस कारण पर्वतीय क्षेत्रों में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को जबरदस्ती थोपा जाना पहाड़ के लोगों के साथ धोखा एवं विश्वासघात है।उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण को पहाड़ से तत्काल समाप्त किए जाने का शासनादेश निर्गत किया जाए तथा नगरी क्षेत्र में मानचित्र स्वीकृत करने का अधिकार नगर निकायों को ही दिया जाए ताकि यह सरकार द्वारा निर्दिष्ट स्टेट बिल्डिंग बायलॉज के अनुसार भवन मानचित्र स्वीकृत कर सकें।जहां इससे पालिकाओं की आय भी बढ़ेगी तथा सरकार पर भी आर्थिक बोझ कम होगा।धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में समिति के संयोजक प्रकाश चन्द्र जोशी,आनन्द सिंह बगडवाल,सभाषद हेम चन्द्र तिवारी,आनन्द सिंह बगडवाल,भारतरत्न पान्डेय,अख्तर हुसैन,राजीव कर्नाटक,दीपांशु पान्डेय,लक्ष्मण सिंह ऐठानी,एन०डी०पान्डेय,ललित मोहन पन्त,नवीन चन्द्र गुणवन्त, ललित मोहन जोशी,हेम चन्द्र जोशी,हर्ष कनवाल,अरविन्द रौतेला, एम०सी०काण्डपाल, प्रताप सिंह सत्याल सहित दर्जनों लोग शामिल रहे।