पौड़ी पौड़ी नगर से अनुपम हिमालय श्रृंखलाओं के दर्शन, दूर उच्च हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां,कंडोलिया से गुजरते समय ठंडी हवाओं का स्पर्श, चारों तरफ हरे-भरे प्राकृतिक सौंदर्य से लबालब ये नगर हर बार मुझे मन मस्तिष्क से तरोताजा करता रहा है। नगर के कई ब्रिटिश कालीन भवन और भवनों की उम्दा शिल्पकारी बताती है कि हमारे वो शिल्पकार वैज्ञानिक उपकरणों के अभाव में भी लकड़ी पत्थरों एवं लोहे को तराशने में महारत हासिल थे, ब्रिटिशकालीन अंग्रेज अफसरों की सूझ-बूझ उनका प्रकृति के नजदीक होने एवं योजनाबद्ध निर्माण की विशेषता के प्रमाण आज भी पौड़ी नगर में बिखरे पड़े हैं,पौड़ी नगर के पुराने और व्यवस्थित स्वरूप को गांवों से नगरों की ओर तेजी से हो रहे मानवीय पलायन ने भी प्रभावित किया है, सीमित नगर क्षेत्र में अंधाधुंध भवन निर्माण, बढ़ती जनसंख्या के दबाव से पौड़ी नगर भी अछूता नहीं रहा, जिस वजह से नगर क्षेत्र में प्रदूषण, पेयजल, ट्रैफिक, पार्किंग जैसी समस्याओं का होना स्वाभाविक है, पृथक राज्य निर्माण के बाद अगर प्रारंभिक चरण में ही हमारी सरकारों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों को स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क , पेयजल आदि मानवीय जन-सुविधाओं से समृद्ध बना दिया गया होता,पर्वतीय कृषि को तकनीकी वैज्ञानिक रूप से विकसित किया गया होता,गांव में गांव के ही प्राकृतिक साधनों से लघु एवं कुटीर उद्योगों को विकसित किया गया होता तो आज पौड़ी नगर के सीमित क्षेत्र में भी जनसंख्या का इतना भारी दबाव देखने को नहीं मिलता ,वर्तमान में गांवों से नगरों की ओर मानवीय सुख सुविधाओं के लिए होते पलायन से सिर्फ पौड़ी नगर का ही पुराना स्वरूप प्रभावित नहीं हुआ,बल्कि प्रदेश के लगभग सभी नगर क्षेत्रों की यही स्थिति हो चुकी है, इसका एक ही प्रभावी तरीका है कि सरकार अगले दस वर्षों में गांवों को युद्ध स्तर पर विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित करे, ताकि लोग नगरों से गांवों की ओर लौटने पर विचार कर सकें। पौड़ी यात्रा का उद्देश्यकोटद्वार तहसील परिसर में बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापना एवं वार्ड नं 22 सिम्मलचौड़ में कर्मवीर जयानंद भारतीय स्मृति पुस्तकालय हेतु भूमि विषयक सूचना के अधिकार से संबंधित 2 अपीलों की सुनवाई के लिए मुझे 22 मई 2025 को जिलाधिकारी के समक्ष 3 बजे उपस्थित होना था, संयोग से अनुसूचित जाति के छात्र छात्राओं की छात्रवृत्ति योजनाओं के सरलीकरण के विषय में जगदीश राठी जिलाध्यक्ष sc/st शिक्षक एसोसिएशन पौड़ी को भी जिला मुख्य शिक्षा अधिकारी के सम्मुख अपना पक्ष रखने के लिए विभाग द्वारा उन्हें आमंत्रित किया गया था, सामाजिक कार्यों के लिए हमेशा आगे रहने वाले शिक्षक नेता जगदीश राठी को जब ज्ञात हुआ कि मैं अपनी कमर दर्द की गंभीर दिक्कत के बावजूद सूचना अधिकार अपीलों की सुनवाई के लिए अकेले ही बस द्वारा पौड़ी जा रहा हूं, जबकि मुझे सामान्य रूप से बैठने में भी भारी कमर दर्द से जूझना पड़ता है, ऐसे में 5 घंटे का सफर बस से करना मेरे लिए कष्टदायी तो था ही, जगदीश राठी मेरी कमर दर्द की समस्या को भलीभांति जानते थे, इसलिए वे जयहरीखाल विकास खण्ड में स्थित अपने राजकीय प्राथमिक विद्यालय कांडाखाल से 21मई को ही रात्रि लगभग 10 बजे कोटद्वार पहुंच गए,वो चाहते तो किसी अन्य दिन भी अपने विभागीय कार्य के लिए अपने विद्यालय से ही सीधे पौड़ी जा सकते थे, उन्हें कोटद्वार आने की आवश्यकता नही थी, लेकिन उन्होंने मेरी समस्या को समझा और वो मुझे साथ लेने की वजह से 21 मई को ही कोटद्वार पहुंचे और तब हम दोनों 22 मई को एक साथ कोटद्वार से राठी की गाड़ी में सुबह 7 बजे रवाना हुए,जगदीश राठी के पैर में दर्द एवं सूजन थी जिस वजह से उन्हें गाड़ी चलाने में दिक्कत हो रही थी इसलिए वाहन चलाने हेतु एक चालक बंधु मनीष भी पौड़ी यात्रा में हमारे साथी बने। गुमखाल से सतपुली के बीच सड़क चौड़ीकरण का कार्य प्रगति पर है, जिस वजह से हमें सतपुली पहुंचाने में थोड़ा ज्यादा समय लगा, मेरी धर्मपत्नी ने भिंडी की सब्जी और रोटी नाश्ते के लिए थैले में रख दी थी, इसलिए हम नाश्ते के लिए मेरे ससुराल मैटाकुंड में रुके नाश्ता करने के बाद हम मौटाकुंड से पौड़ी के लिए लगभग 11 बजे निकल गए थे। सबसे पहले हम लगभग साढ़े बारह बजे जिला मुख्य शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में पहुंचे जहां sc,st शिक्षक एसोसिएशन के जिलाध्यक भाई जगदीश राठी ने मुख्य शिक्षा अधिकारी नागेंद्र के सम्मुख बहुत ही प्रभावशाली ढंग से अनुसूचित जाति के छात्र छात्राओं की छात्रवृत्ति योजनाओं के क्रियान्वयन में शिक्षकों एवं छात्र छात्राओं के सामने आ रही तकनीकी समस्याओं एवं उनके समाधान के विषय को रखा, इस दौरान मैंने जिला मुख्य शिक्षा अधिकारी नागेंद्र को स्व संपादित एवं शैलशिल्पी विकास संगठन द्वारा प्रकाशित बीसवीं सदी के नायक बलदेव सिंह आर्य स्मारिका भेंट कर उनका आभार भी व्यक्त किया कि , शिक्षा विभाग द्वारा पौड़ी जनपद के विकास खण्ड दुगड़डा में स्थित सात विद्यालयों का नामकरण स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों के नाम पर किए जाने का आदेश जारी किया गया है, इसी क्रम में राजकीय कन्या इंटर कॉलेज दुगड़डा का नामकरण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, गढ़वाल के प्रथम सांसद एवं उत्तर प्रदेश सरकार में दशकों मंत्री रहे बलदेव सिंह आर्य के नाम से किया गया है।
तदोपरांत हम जिलाधिकारी कार्यालय के समीप स्थित बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थल पर पहुंचे और बाबा साहब को पुष्प अर्पित कर नमन किया, जहां पर पहले से ही प्रादेशिक शिल्पकार कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष हरीश चन्द शाह एवं कोषाध्यक्ष हुकुम सिंह टम्टा हमारा इंतजार कर रहे थे, लगभग पौने घंटे तक हमारी दोनों सज्जनों से विभिन्न सामाजिक एवं समसामयिक विषयों पर चाय के साथ चर्चा परिचर्चा हुई, तब तक जिलाधिकारी कार्यालय में मेरी सूचना अधिकार अधिनियम अपील की सुनवाई का समय भी हो चुका था, इसलिए उनसे विदा लेकर हम जिलाधिकारी कार्यालय में पहुंचे गए, लगभग चार बजे जिलाधिकारी डॉक्टर आशीष चौहान के सामने मेरी 2 सूचना अपीलों की सुनवाई प्रारंभ हुई, प्रतिवादी लोक सूचना अधिकार उपजिलाधिकारी कोटद्वार के प्रतिनिधि के रूप में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित हुए, अपीलों की सुनवाई सकारात्मक रही एवं जिलाधिकारी द्वारा संबंधित विभागीय लोक सूचना अधिकारी को सूचना प्रकरण विषय में उचित कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया। सूचना अपीलों की सुनवाई पूर्ण होने के बाद जैसे ही हम जिलाधिकारी कार्यालय से बाहर निकले तो गेट पर पहले से ही अंग्रेजी के प्रवक्ता विनय शाह खड़े थे, वे हमें अपने साथ रिलेक्स होटल में ले गए जहां उन्होंने हमें जलपान कराया, इस बीच पौड़ी के शिक्षक बंधु महावीर चरण, सुभाष चंद्र, विनय शाह, सुशील, निराला, सत्य प्रकाश, राकेश भारती भी पहुंच गए थे, कुछ दिन पूर्व पौड़ी के विधायक राजकुमार पोरी की माता का निधन हो गया था इसलिए हम सभी लोग उनके आवास पर उनकी दिवंगत माता के निधन पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करने पहुंचे, विधायक ने बताया कि उनकी माता का बिल्कुल स्वस्थ मन, स्वस्थ चित के साथ 84 वर्ष की उम्र में निधन हुआ, हम सभी लोगों ने दिवंगत विभूति को अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त कर उनसे विदा ली, उसके बाद सुरेंद्र कुमार जामरी के आवास पर शिक्षक बंधुओं के साथ विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर जलपान के साथ बातचीत हुई, तब तक शाम के 7 बजे का समय पौड़ी में ही हो चुका था और हमें कोटद्वार पहुंचना था, इसलिए सभी से विदा लेकर जगदीश राठी और मैं कोटद्वार के लिए निकले, लगभग साढ़े दस बजे हम कोटद्वार पहुंचें।
पुराने जिलाधिकारी कार्यालय भवन पर निर्माणाधीन पौड़ी संग्रहालय
पौड़ी पहुंचने पर हमने देखा कि अब जिलाधिकारी पौड़ी का कार्यालय नए एवं आधुनिक सुख सुविधाओं से सुसज्जित भवन में शिफ्ट हो चुका है, लेकिन जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर सड़क किनारे एक सज्जन आज भी गोदरेज की पुरानी टाइप राइटर मशीन में खट-पट-खट-पट की आवाज के साथ कोई पत्र टाइप करने में मशगूल थे, उनके टाइप राइटर से आने वाली खट-पट-खट-पट की आवाज मोहम्मद रफी, लता-मंगेशकर की मधुर आवाज जैसे आनंद की अनुभूति करा रहे थे, टाइपिस्ट के ठीक सामने सड़क पार पुराना ऐतिहासिक जिलाधिकारी कार्यालय का ब्रिटिश कालीन भवन अपने साथ एक गुजरे हुए युग के कई किस्से – कहानियों की गवाही देते हुए शान से खड़ा है, ज्ञात हुआ कि राज्य सरकार द्वारा मण्डल मुख्यालय पौड़ी के इस ऐतिहासिक गढ़वाल जिलाधिकारी कार्यालय भवन को अब संग्रहालय के रूप में विकसित किया जा रहा है, संग्रहालय निर्माण का कार्य प्रगति पर है। निर्माणाधीन संग्रहालय भवन में निश्चित ही गढ़वाल की ऐतिहासिक विरासत, स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों सहित इतिहास के कालखंडों से जुड़ी दुर्लभ सामग्रियों को संजोकर रखा जाएगा, जिसके माध्यम से आने वाली पीढ़ियों को भी गढ़वाल के देश काल परिस्थितियों के इतिहास को जानने का अवसर मिलेगा।
जैसा कि इतिहासकारों द्वारा भी स्पष्ट किया गया है कि उत्तराखंड का असल मूलनिवासी प्रदेश का शिल्पकार समाज है, जिनका इस पर्वतीय भू-भाग में आने का कोई प्रमाण नहीं है, जबकि प्रदेश की विभिन्न ब्राह्मण-क्षत्रिय जातियों का इस भू-भाग में आगमन का इतिहास कई इतिहासकारों ने पूर्व में ही स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया हुआ हैं। मेरा मानना है कि शिल्पकार समाज के लेखकों, चिंतकों एवं इतिहास में रुचि रखने वाले प्रगतिशील लोगों को मंडल मुख्यालय पौड़ी में पुराने जिलाधिकारी कार्यालय भवन में निर्माणाधीन संग्रहालय भवन के निर्माण से पूर्व गढ़वाल के इतिहास में शिल्पकार समाज के ऐतिहासिक डोला- पालकी आंदोलन, कर्मवीर जयानंद भारतीय जी द्वारा पौड़ी में 6 सितंबर 1932 को अंग्रेज गवर्नर मेलकन हेली के स्वागत दरबार में तिरंगा झंडा फहराने वाले पौड़ी क्रांति के नायक,गढ़वाल के प्रथम सांसद बलदेव सिंह आर्य जैसी विभूतियों का परिचय जैसी संग्रहालय में संजोने योग्य सामग्री, घटनाओं, दस्तावेजों, चित्रों को संकलित कर राज्य सरकार को इस निवेदन के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए कि पौड़ी संग्रहालय के लोकार्पण से पूर्व प्रदेश के मूलनिवासी शिल्पकार समाज से संबंधित ऐतिहासिक सामग्री को भी संग्रहालय में ससम्मान उचित स्थान दिया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों तक भी शिल्पकार समाज की विभूतियों और उनके संघर्षों का गौरवमय इतिहास आगे बढ़ सके, मेरा प्रयास रहेगा कि मैं शैलशिल्पी विकास संगठन के माध्यम से गढ़वाल के इतिहास में शिल्पकार समाज की भूमिका से सम्बन्धी कुछ ऐतिहासिक सामग्री, दस्तावेजों को राज्य सरकार को इस निवेदन के साथ प्रस्तुत करूंगा कि उक्त ऐतिहासिक सामग्री को पौड़ी के संग्रहालय में ससम्मान उचित स्थान दिया जाए, शिल्पकार समाज के अन्य लेखकों, चिंतकों, इतिहास में रुचि रखने वाले बुद्धिजीवी लोगों से भी मुझे यही अपेक्षा है कि वे भी पौड़ी के संग्रहालय में शिल्पकार समाज के इतिहास से संबंधित सामग्री सरकार तक पहुंचाएंगे।
अब मैं अपने इस यात्रा विवरण को यहीं पर विराम दे रहा हूं, मुझे उम्मीद है आप अपनी प्रतिक्रिया से मुझे जरूर अवगत कराएंगे। कुल मिलाकर कोटद्वार से पौड़ी की एक दिवसीय ये यात्रा बड़े भाई जगदीश राठी एवं हमारी यात्रा के सारथी रहे चालक मनीष के साथ बहुत ही सुखद एवं सकारात्मक रही, पुनः किसी अन्य सामाजिक विषयों पर होने वाली यात्रा विवरण के साथ यूं ही मिलते रहेंगे।
प्रस्तुति
विकास कुमार आर्य
गढ़वाल मंडल ब्यूरो प्रमुख
वंचित स्वर साप्ताहिक
समाचार पत्र

