पौड़ी उत्तराखंड शासन द्वारा दिनांक 18 दिसंबर 2025 को उत्तराखंड सरकारी सेवक वेतन (प्रथम संशोधन) नियम 2025 जारी कर वेतन नियमावली 2016 के नियम-13 में किया गया संशोधन शिक्षकों के हितों के विपरीत है। प्रोन्नत/चयन वेतनमान की व्यवस्था पदोन्नति नहीं, बल्कि मात्र समयबद्ध वेतन उन्नयन है, जिसमें न तो पद परिवर्तन होता है और न ही कोई अतिरिक्त दायित्व अथवा प्रशासनिक अधिकार प्रदान किए जाते हैं। ऐसी स्थिति में चयन/प्रोन्नत वेतनमान पर एक वेतनवृद्धि से वंचित किया जाना पूर्णतः अनुचित एवं तर्कहीन है।
अन्य विभागों में समान परिस्थितियों में लागू ACP/MACP व्यवस्था के अंतर्गत वेतनवृद्धि का लाभ दिया जाता है, जबकि शिक्षा विभाग को इससे पृथक रखा जाना संविधान के समानता के अधिकार (अनुच्छेद-14) का उल्लंघन है। यह निर्णय शिक्षकों की सीमित पदोन्नति संभावनाओं और दीर्घकालीन सेवा ठहराव की उपेक्षा करता है तथा उनके मनोबल एवं कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन उत्तराखंड इस निर्णय का विरोध करता है और जल्द ही इस बाबत मा. मुख्यमंत्री एवं मा. शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर वार्ता की जायेगी। सरकार से यह माँग की जायेगी कि उक्त निर्णय को वापस लिया जाय। अन्यथा की स्थिति में अपनों हितों के रक्षार्थ माननीय उच्च न्यायालय में जाना ही अंतिम विकल्प होगा।
— जगदीश राठी
प्रदेश अध्यक्ष, अनु0 जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन उत्तराखंड,

