गैलीलियो की यह उक्ति कि, “प्रकृति वह पुस्तक है जिसकी भाषा गणित है” अपने आप में प्रकृति के रहस्यों को समझने के लिए एक आधिकारिक घोषणा कर देती है।यानी अगर आप इस प्रकृति से संवाद स्थापित करना चाहते हैं, तो गणित विषय में आपकी पकड़ मज़बूत होनी आवश्यक है।अधिकांश विज्ञान की शाखाओं की एक ज़रूरत है गणित।गणित के विकास में जितना भारत का योगदान है उतना या कुछ मायनों में अरबों और ग्रीकों का भी उससे ज़्यादा कहना अतिशियोक्ति नहीं है।बीजगणित का अंग्रेजी तर्जुमा ‘अलज़ेब्रा’, अल-ज़बर से निकला है जिसका अर्थ है टूटे हुए टुकड़ों को जोड़ना। जितने भी प्रसिद्ध भौतिकविज्ञानी रहे उनमें से अधिकांश मूल रूप में गणितज्ञ रहे, चाहे वे न्यूटन हो या आइंस्टाइन अथवा स्टीफ़न हॉकिंग्स। परंतु आज भी गणित में महिलाओं का ज़िक्र कहीं ना कहीं गौण हो जाता है।इसलिए 22 दिसम्बर जो कि गणित दिवस के रूप में भारत में बीसवीं सदी के महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, जिन्हे हार्डी-रामानुजन संख्या 1729 के लिए ख़ासकर याद किया है, जो कि सबसे छोटी संख्या है जिसे दो संख्याओं के घनों के रूप में लिखा जा सकता है।
गणित के प्रति स्वाभाविक विरक्ति बचपन से ही बच्चों ख़ासकर लड़कियों में देखने को मिलती है, जिसका कारण एक तो बचपन से ही उनके मन में गणित के प्रति भय भर देना और दूसरा कहीं ना कहीं शिक्षकों का भी नीरस विधियों से गणित के शिक्षण का ज़िम्मेदार होना है, कम से कम मैं तो ज़िम्मेदारी के साथ इस बात पर क़ाबिज़ हूँ।इसके बावजूद अगर भारत में महिलाओं का गणित में रुझान या योगदान देखें तो एक सुखद एहसास होता है। कुछेक का एक मुख़्तसर ज़िक्र करना मैं यहाँ ज़रूरी समझता हूँ। परिमाला रमन अलज़ेब्रा और नंबर थ्योरी के क्षेत्र में वैश्विक तौर पर अपनी एक ख़ास पहचान रखती है। वर्ष 1987 में शांतिस्वरूप भटनागर पुरुस्कार से नवाज़ी गई।नीना गुप्ता, आईएसआई( Indian Statistical Institute)कोलकाता में प्रोफ़ेसर है और उनका कार्यक्षेत्र भी अलज़ेब्रा है।वर्ष 2019 में शांतिस्वरूप भटनागर पुरुस्कार से नवाज़ी गई।और 2021 में आईसीटीपी-आईएमयू रामानुजन पुरुस्कार से।सुजाता रामदोराई टीआईएफ़आर (TIFR) में गणित की प्रोफ़ेसर है।वे काम्प्लेक्स ज्योमेट्री, टोपोलॉजी और नंबर थ्योरी के क्षेत्र में एक जानी मानी गणितज्ञ है। 17 जुलाई 2023 को गणितज्ञ मंगला नार्लिकर का देहांत हो गया पर गणित में जिनकी उनकी देन शोध के क्षेत्र में है, उससे कहीं ज़्यादा उन्होंने गणित को आम जनमानस ख़ासकर बच्चों के बीच पॉपुलर बनाने का कार्य किया, भारत के प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक जयंत विष्णु नार्लिकर की पत्नी होने के बावज़ूद उन्होंने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई और झुग्गी झोपड़ियों में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। उन्होंने बच्चों के लिए किताबें लिखी और मात्र 10 रुपये मूल्य पर उनका विक्रय मूल्य रखा ताकि हर बच्चा उन्हें ख़रीदने में सक्षम हो।कविता रामानन अमेरिका में ब्राउन विश्वविद्यालय में गणित की प्रोफ़ेसर है और प्रायिकता सिद्धांत उनका शोध का कार्यक्षेत्र है, वे आईआईटी बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और फिर एमएससी हैं।बेल लेबोरेटरीज़ जैसे संस्थाओं में अपनी सेवा दे चुकी है। और अंततः शकुंतला देवी से कौन परिचित नहीं है जिन्हें ‘ह्यूमन कंप्यूटर’ कहा जाता था।( स्रोत: द बैटर इंडिया) उपरोक्त महिला गणितज्ञों के बारे में जानकार इस निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है कि यदि बालिकाओं को अवसर और बेहतर शिक्षक मिलें तो, गणित या विज्ञान के क्षेत्र में वे कितना बेहतर कर सकती हैं।अगस्त 2023 में चंद्रयान-3 की सफलता का श्रेय डॉo ऋतु करिधाल को जाता है।ऐसे तमाम उदाहरण भरे है, जिनसे ये स्वतः सिद्ध हो जाता है कि, गणित जैसे तथाकथित कठिन विषयों में महिलायें पुरुषों के बराबर है। हालाँकि अपने स्कूली शिक्षण के दौरान मैंने पाया कि कक्षा नवीं में गणित लेने वाली छात्राओं का हिस्सा बहुत कम है, ज़्यादातर बालिकाएँ गृह विज्ञान चुनती थी।कारण गणित के प्रति भय और अच्छे शिक्षकों की अनुपलब्धता दोनों है।विद्यार्थी कभी बुरे नहीं होते, शिक्षक हो सकते हैं।और एक अच्छा शिक्षक और एक अच्छी किताब किसी भी छात्र-छात्रा की अभिरुचि किसी भी स्तर पर मोड़ सकते हैं। क्वांटम भौतिकी के पायनियर वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर मैक्स बॉर्न के गोटिंजन विश्वविद्यालय के एक लेक्चर ने भौतिकी में नोबेल पुरुस्कार विजेता महिला मारिया जियोपार्ट मेयर को गणित से भौतिक विज्ञान की ओर मोड़ दिया था। आख़िर में अपने शिक्षक साथियों से इस अनुरोध के साथ कि, अपने शिक्षण से बालिकाओं को गणित के प्रति प्रेरित करें ताकि उन्हीं में से भविष्य में किसी शंकुन्तला देवी या मंगला नार्लिकर का उदय हो।
दीपक कुमार असिस्टेंट प्रोफेसर भौतिक विज्ञान लक्ष्मण सिंह महर परिसर पिथौरागढ़