संविधान लागू होने की तिथि से ही ओबीसी की जाति आधारित जनगणना पर धोखा ही धोखा मिलता रहा है। पहले कांग्रेस ने धोखा दिया और अब भाजपा धोखा दे रही है। जो कांग्रेस अपने लंबे काल के शासन में जाति आधारित जनगणना को नकारती रही उसी कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी को अब ओबीसी से इतना प्यार हो गया है कि वे जाति आधारित जनगणना के समर्थन में सबसे आगे बढ़-चढ़ कर बोल रहे हैं। प्रचार माध्यम उनके पक्ष में कसीदे पढ़ रहे हैं। शाहमात की इस खेल के दौर में भाजपा कांग्रेस से बहुत आगे निकल गयी। कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकवादियों ने कातिलाना हमला किया जिसमें कुल २७ नागरिक मारे गये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आनन-फानन में सउदी अरब से भारत वापस आए और विहार राज्य की एक चुनावी सभा में पाकिस्तान से जंगे मैदान में निपटने के लिए ललकारते हुए दहाड़ लगाई और अभी उन सुहागनों के आंखों के आंसू भी नहीं सूखे थे जिनके सुहाग उन्हीं के सामने उजाड़ दिए गए थे कि ऐसे समय में प्रधानमंत्री मन्त्री नरेन्द्र मोदी ने ओबीसी की जाति आधारित जनगणना की घोषणा कर विपक्ष को भी धराशायी कर दिया। सोशल मीडिया यह प्रचार करती फिर रही है आखिर राहुल गांधी की जीत हो ही गयी। उनके संघर्ष का परिणाम आखिर आ ही गया। ओबीसी को कभी यह नहीं भूलना चाहिए कि यही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं जो सन् २०१६ में चुनाव से पहले ओबीसी की जाति आधारित जनगणना की घोषणा किया था। बाद में जब मतलब निकल गया तो वे जाति आधारित जनगणना करने से मुकर गए। कांग्रेस कोई भाजपा से भिन्न नहीं है। आप लोग कांग्रेस और भाजपा के चाल चरित्र और चेहरे को इस कहानी से अच्छी तरह समझ सकते हैं। पंडित जी ने एक तोता पाला। पड़ोसी से रहा नहीं गया उसने भी एक तोता पाल लिया और वह अपने-अपने बरामदों में आमने-सामने पिजड़ो में बंद कर टांग दिया। दो-चार दिन के बाद पंडित जी का तोता राम-राम कहना शुरू कर दिया। पंडित जी का घर जैसे राम में हो गया और पंडित जी के घर तोते की बोली सुनने के लिए भीड़ इकट्ठी होने लगी। भीड़-भाड़ से निजात पाने के लिए कुछ लोग पंडित के पड़ोसी के वहां आना-जाना शुरू कर दिया। उन सभी को देख पड़ोसी का तोता उन्हें गाली देना शुरू कर दिया। कुछ दिनों के बाद तो वह अपने मालिक का नाम लेकर उसे मां-धी की गाली देना शुरू कर दिया। गाली से आहत पड़ोसी पंडित जी के पास पहुंचा और आपबीती उनसे कह सुनाया। पंडित जी ने पड़ोसी से कहा कि आपका तोता गलत संगति में पड़ने के कारण गाली बकता है। आप उसे मेरे तोते की पिंजरे में डाल दो। वह उसकी संगति में रहकर राम-राम कहने लगेगा। पड़ोसी ने वही किया जो पंडित जी ने बताया। तत्पश्चात प्रातः हुई और पंडित जी के घर लोगों की भीड़ पूर्व की भांति आने लगी। किन्तु हैरत इस् बात की कि उस सुबह पंडित जी का तोता राम-राम कहना बन्द कर दिया और पड़ोसी का तोता गाली देना बन्द कर दिया। असली बात यह थी कि पंडित जी का तोता नर तोता और पड़ोसी का तोता मादा तोता था। वे दोनों अलग-अलग पिंजड़े में एक दुसरे के लिए तड़प रहे थे। एक पिंजड़े में रहकर जब दोनों का मतलब सध गया तो नर तोता राम-राम कहना बन्द कर दिया और मादा तोता गालियां देना बन्द कर दिया। ठीक ऐसी ही स्थिति आज ओबीसी के बीच उपस्थित है बसर्ते उसे समझने की जरूरत है। आर्यपुत्रों को ओबीसी के वोटों की चाहत है क्योंकि कि उनके सिर पर इस समय विहार विधानसभा चुनाव है। मतलब निकलते ही वे फिर पल्टी मार जायेंगे। ओबीसी ही नहीं सभी मूल निवासियों को कांग्रेस और भाजपा के साम-दाम-दंड-भेद की नीति से सावधान रहने की जरूरत है। इतना ही नहीं दोस्त दुश्मन की पहचान करो। उसकी और अपनी ताकत का आकलन कर लोकतान्त्रिक भारत में अपने भूखे-नंगे मूल निवासी समाज को शासक जमात बनाने में जान की बाजी लगा दो। दयाराम राष्ट्रीय अध्यक्ष पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक ने एक बयान जारी कर कहा।

