अल्मोड़ा आज दिनांक 05/05/2025 को विश्वविद्यालय में चल रही साप्ताहिक सामुदायिक कार्यशाला के पाँचवें दिन का आयोजन “शिक्षण में नवाचार” विषय को समर्पित रहा। प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि कल्याण सिंह मनकोटी थे, जिन्होंने शिक्षण के पारंपरिक ढांचे से बाहर निकलकर नवाचार आधारित पद्धतियों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए यह संदेश दिया कि “शिक्षण केवल एक पेशा नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम है।” मुख्य अतिथि का स्वागत संबोधन शिक्षा संकाय की विभागाध्यक्ष प्रो. रिजवाना सिद्दीक़ी द्वारा किया गया। सत्र के दौरान समाजशास्त्र विषय की छात्राएँ हेमा और सोनी ने पुस्तकालय केंद्र के संचालन एवं वर्तमान में चल रही प्रस्तावित परियोजनाओं की जानकारी साझा की। इस प्रस्तुति ने छात्रों को नवाचार और नेतृत्व की ओर प्रेरित किया। इस अवसर पर पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो. भीमा मनराल, डॉ. संगीता पवार, डॉ. नीलम, डॉ. ममता काण्डपाल, डॉ. अंकिता कश्यप, डॉ. सरोज, डॉ. संदीप पांडे, डॉ. पूजा प्रकाश, डॉ. विनीता लाल, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. मनोज सिंह कार्की, डॉ० देवेन्द्र चम्याल एवं अन्य शिक्षकगण की गरिमामयी उपस्थिति रही। प्रथम सत्र का समापन डॉ. नीलम द्वारा मुख्य अतिथि के प्रति आभार ज्ञापन के साथ किया गया। द्वितीय सत्र में कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट एवं कुलसचिव डॉ. देवेंद्र सिंह बिष्ट की उपस्थिति विशेष रही। कुलपति ने शिक्षा संकाय को प्रेरक मार्गदर्शन प्रदान किया और विद्यार्थियों की सक्रिय सहभागिता की सराहना की। कार्यशाला के पूर्व दिवसों में आयोजित विविध प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट एवं कुलसचिव डॉ. देवेंद्र सिंह बिष्ट की उपस्थिति में पुरस्कार प्रदान किए गए। सांस्कृतिक गतिविधियों की श्रृंखला में काव्य-पाठ के अंतर्गत दिव्या धामी ने अपनी भावपूर्ण रचनाओं की प्रस्तुति दी। कुमाऊँनी व्यंजन एवं संस्कृति विषय पर मोहित चन्द्र और मनीषा ने प्रभावशाली सहभागिता निभाई। “ऐपन कला” प्रस्तुति में जानकी, भूमिका, नेहा बिष्ट, कविता बिष्ट, रितिका, तथा प्राची बोरा ने शानदार अभिनय प्रस्तुत कर दर्शकों की सराहना प्राप्त की। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में M.Ed. चतुर्थ सेमेस्टर की टीम ने प्रथम स्थान एवं B.Ed. द्वितीय सेमेस्टर की टीम ने द्वितीय स्थान प्राप्त कर संस्थान का गौरव बढ़ाया। सत्र का समापन पूर्व विभागाध्यक्ष, प्रो. भीमा मनराल द्वारा कुलपति महोदय के प्रति धन्यवाद व आभार व्यक्त करते हुए किया गया। सामुदायिक कार्यशाला का पाँचवाँ दिवस नवाचार, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और अकादमिक सशक्तिकरण का सुंदर समन्वय सिद्ध हुआ।

