भारत सरकार की तरफ से जारी ‘राष्ट्रीय श्रम एवं रोजगार नीति – श्रम शक्ति नीति 2025’ के मसौदे में यह लिखा गया है कि इस श्रम नीति की प्रेरणा प्राचीन ग्रंथों जैसे मनुस्मृति, याज्ञवल्क्यस्मृति, नारदस्मृति, शुक्रनीति और अर्थशास्त्र से ली गई है।
कितनी दुखद बात है यह भारत देश के मजदूरों के लिए, क्या सभी मजदूर संगठन मिल कर इसका विरोध करेंगे ? क्या मनुस्मृति अब हम पर लादी जाएगी ? क्या अनुसूचित जाति जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के सांसद और विधायक अब भी गुलामी करेंगे और इस गुलामी में आनन्द महसूस करेंगे ? जो अनुसूचित जाति जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रोफेसर आर एस एस की शाखाओं में जा रहे हैं क्या अब अच्छे मकानों में नहीं रहेंगे, क्योंकि भारत के संविधान को धीरे धीरे दरकिनार किया जा रहा है, और धीरे धीरे मनुस्मृति देश में स्थापित की जा रही है।
जैसा कि मनुस्मृति ने भारत में जाति व्यवस्था और जातिवाद को जन्म दिया, इसलिए इस नीति की नींव ही भारत के संविधान के विरुद्ध है। यह श्रम शक्ति नीति भारत के संविधान से नहीं बल्कि मनुस्मृति जैसे ग्रंथों से प्रेरित है। यह हमारे संविधान और संविधान निर्माताओं का अपमान है,देश का अपमान है,देश की जनता का अपमान है। यह अपमान हम नहीं सहेंगे।
देश की ट्रेड यूनियनों ने भी इस श्रम नीति की व्यापक आलोचना की है, क्योकि नई श्रम और रोजगार नीति का ड्राफ्ट तैयार करने के दौरान केंद्रीय ट्रेड यूनियनों से बिना कोई सलाह या परामर्श किए ही यह नीति 8 अक्टूबर, 2025 को जारी कर दी गई है।
यह ठीक वैसे ही है जैसे किसानों से चर्चा किए बिना किसानों के लिए तीन काले कानून लाए गए थे, जिसे किसानों के लम्बे विरोध के बाद सरकार को वापस लेने के लिये मजबूर होना पड़ा था। इस नीति को मज़दूरों के अधिकारों और सामाजिक सुरक्षा की बजाय नियोक्ता के मुनाफ़े को तरजीह देने वाली नीति के रूप में देखा जा रहा है, देखा ही नहीं जा रहा है बल्कि यह उनको ही लाभ पहुंचाने वाली नीति है।
ट्रेड यूनियनों का भी यह मानना और कहना है कि यह नीति मज़दूर वर्ग के लिए एक गंभीर चुनौती होगी, खासकर काम करने की परिस्थितियों को परिभाषित करने, मज़दूरों के बुनियादी कार्यों के अधिकार, न्यूनतम मज़दूरी और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दे पर मजदूरों को यह बहुत ही परेशान करने वाली नीति होगी।उनकी राय में, यह नई नीति मौजूदा श्रम कानूनों और नियमों को और भी कमज़ोर करेगी और मज़बूत सामाजिक सुरक्षा उपायों की कमी के कारण मज़दूरों का शोषण बढ़ता जाएगा।
मैं उन तमाम ट्रैड यूनियनों और संगठनों का आभारी हूं जो इसके विरोध में खड़े हुए हैं और सभी बहुजन संगठनों से भी अपील करता हूं कि वे सभी मिलकर इसके विरोध में संगठित आंदोलन शुरू करें। इसके लिए 8 नवंबर को चंडीगढ़ में और 16 नवंबर को कैथल हरियाणा में तथा 6 दिसंबर को फिल्लौर पंजाब में सभी संगठनों की बैठकें आयोजित की जा रही है। बहुजन समाज के सभी संगठन इन बैठकों में हिस्सा लें।
साथ सहयोग करने वाले साथी व्हाट्सएप पर अपना नाम, संगठन का नाम , मोबाइल नं व ईमेल तथा अपना पूरा पता भेजे, ताकि आपसे सम्पर्क किया जा सके। मोबाइल पर सबसे बातचीत करना सम्भव नहीं होगा, इसके लिए आपसे माफी चाहता हूं, कृपया बैठकों में उपस्थित होना सुनिश्चित करें।
ईमेल:-dravidsuresh779@gmail.com
Mob no.9812259574
निवेदन
सुरेश द्रविड़
राष्ट्रीय संयोजक
NCCMBO
एवं
संविधान प्रबोधक

