अल्मोड़ा। माॅडल डिस्ट्रिक्ट एनवायरनमेंट प्लान बनाने एवं जिला गंगा सुरक्षा समिति की बैठक जिलाधिकारी वंदना की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में जनपद के संबंध में दीर्घकालिक अवधि के लिए पर्यावरण, संसाधन एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों की स्थिरता बनाए रखने हेतु विषय विशेषज्ञों एवं शोधार्थियों के साथ चर्चा की गई। जिलाधिकारी ने कहा कि एनवायरमेंट प्लान को जनपद की भौगोलिक, प्राकृतिक, जनांकिकीय तथा अन्य परिस्थितियों को ध्यान में रखकर दीर्घ अवधि के लिए प्लान करें। जिसमें प्राकृतिक संसाधनों को प्रदूषण मुक्त रखने तथा बेहतर वेस्ट मैनेजमेंट की स्थिति सुस्पष्ट रहे। उन्होंने कहा कि कूड़ा डंपिंग जोन बनाए जाने हेतु पूर्व ही उसकी सभी बारीकियों का भविष्य के संदर्भ में आंकलन किया जाए। जिससे आने वाले समय में उसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
जिला गंगा सुरक्षा समिति की बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने सर्वप्रथम पूर्व में आयोजित की गई बैठक में दिए गए निर्देशों की समीक्षा की। जिसमे उन्होंने सभी गांवों का सर्वेक्षण करने हेतु निर्देशित किया, जिसमे सभी गांवों के कूड़ा निस्तारण हेतु प्रयोग की जा रही प्रणालियों, गांवों में शौचालय की उपलब्धता, जल स्रोतों की स्वच्छता, ग्रामों के तरल प्रदूषण का प्रवाह आदि की मैपिंग के साथ सूचनाएं एकत्रित करने हेतु निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने कहा कि गैर शौचालय वाले आवासों का चयन कर उनमें शौचालयों का मनरेगा एवं स्वजल के तहत निर्माण किया जाए। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रतिबंधित प्लास्टिक के सभी प्रकारों का उपयोग प्रतिबंध किया जाए। इसके लिए उन्होंने कड़ाई से पालन कराने के निर्देश दिए। इस दौरान अपर मुख्य अधिकारी को दिए गए निर्देशों की भी समीक्षा की गई। जिसमे जागेश्वर, चितई, सोमेश्वर, मजखाली समेत अन्य क्षेत्रों में स्थानीय व्यापारियों एवं नागरिकों से वार्ता कर कूड़ा निस्तारण हेतु प्रभावी कार्यवाही के निर्देश दिए थे। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि नियमों का उल्लंघन करने वालों एवं खुले में कूड़ा डालने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आया जाए। उन्होंने नियमों का पालन न करने वाले व्यापारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा सभी प्रमुख स्थलों पर कूड़ा निस्तारण हेतु वाहन की व्यवस्था कर गाड़ी के रखरखाव के लिए स्थानीय व्यापारियों से सुविधा स्वरूप शुल्क लिया जाए। यदि व्यापारी उक्त सुविधा से संतुष्ट नहीं हों तो स्वयं कूड़ा का निस्तारण करें। यदि इसके बावजूद व्यापारी खुले में अथवा नदियों में कूड़ा को फेंकते हैं तो संबंधित के विरुद्ध सख्त करवाई की जाए।
इस दौरान प्रभागीय वनाधिकारी महातिम यादव, एसएसजे विश्वविद्यालय के भूगोल के प्रोफेसर जेएस रावत, गोविंद वल्लभ पंत हिमालयन पर्यावरण संस्थान से डॉ प्रमोद जोशी, परियोजना निदेशक चंदा फर्त्याल समेत अन्य उपस्थित रहे!