देहरादून। नशाउत्तराखंड राज्य के शहरी स्थानीय निकाय कर्मचारियों की भीषण किल्लत से जूझ रहे हैं। नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में 62 से 75 प्रतिशत तक मानव संसाधन की कमी है। इसका असर निकायों की प्रशासनिक, वित्तीय एवं प्रबंधकीय व्यवस्थाओं पर पड़ रहा है। स्टाफ की भारी किल्लत के कारण नागरिक सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।
तमाम निकायों में अधिशासी अधिकारी की खाली कुर्सियों पर काम चलाऊ व्यवस्था के तहत कहीं निकाय के किसी लिपिक को तो कहीं स्वच्छता निरीक्षक, कर संग्रहकर्ता व वरिष्ठ सहायक को बैठा दिया गया भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। हाल ही में विधानसभा सत्र में सदन पटल पर आई रिपोर्ट में 74वें संविधान संशोधनअधिनियम के कार्यान्वयन पर आधारित है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कैग ने ऑडिट पाया कि केंद्रीयकृत, गैर-केंद्रीयकृत और आउटसोर्स के कुल 10733 पदों में से 6821 पद खाली हैं। यानी कुल मिलाकर शहरी स्थानीय निकायों में कुल 63.55 फीसदी पद खाली हैं। केंद्रीकृत कर्मचारी तो 75 फीसदी कम है। कैग का मानना है कि स्टाफ यही कमी राज्य सरकार की उदासीनता को जाहिर करती है, क्योंकि केंद्रीकृत संवर्ग के कर्मचारियों की भर्ती का उत्तरदायित्व सरकार का है।कैग की सिफारिश: राज्य सरकार प्रत्येक शहरी स्थानीय निकायों के कार्यभार का वैज्ञानिक आकलन कराकर मानव संसाधन स्वीकृत कर सकती है। प्रभारी अधिशासी अधिकारी की तैनाती के लिए नीति बना सकती है। अहम पदों को भरा जा सकता है।