कोटद्वार गढ़वाल पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले वरिष्ठ अधिकारी बृजेश कुमार संत (IAS) जो वर्तमान में खनन सचिव उत्तराखंड के पद पर आसीन हैं, के विषय में अशोभनीय बयान की शैलीशिल्पी विकास संगठन घोर निंदा करते हुए, अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग उत्तराखंड से मांग करता है कि, वे पूर्व मुख्यमंत्री के उक्त बयान का स्वयं संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्यवाही करे। अनुसूचित जाति समाज के वरिष्ठ आई.ए.एस अधिकारी के विषय में दिए गए अशोभनीय बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को माफी मांगनी चाहिए। अभी हाल ही में हरिद्वार से सांसद एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोकसभा में प्रदेश के विभिन्न जिलों में अनियंत्रित अवैध खनन के विषय में वक्तब दिया, उन्होंने प्रदेश में अवैध खनन में स्थानीय शासन – प्रशासन की मिली भगत होने की बात भी लोकसभा में कही।
देश की संसद में हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा प्रदेश में खनन को लेकर दिए गए इस वक्तव्य के विषय में प्रदेश के खनन सचिव बृजेश कुमार संत(IAS) से जब मीडिया ने पूछा कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के संसद में अवैध खनन के वक्तव्य पर वे क्या कहना चाहते हैं, तो खनन सचिव संत ने अपना पक्ष रखते हुए सांसद के लोकसभा में दिए गए अवैध खनन की बात को निराधार बताते हुए, प्रदेश की खनन नीति में किए गए नवीन प्रावधान एवं 2023- 24 में सरकार को मिले सबसे ज्यादा ढाई गुना राजस्व प्राप्ति की बात कहते हुए बयान दिया।
वहीं दूसरी ओर जब दिल्ली में मीडिया ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत से प्रदेश के खनन सचिव संत द्वारा प्रदेश में अवैध खनन को लेकर लोकसभा में दिए गए उनके वक्तव्य को निराधार बताने वाले बयान पर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने बहुत ही अशोभनीय ढंग से कहा कि मुझे ऐसे अधिकारियों के बारे में कुछ नहीं कहना , क्योंकि *शेर कभी कुत्तों का शिकार नहीं करता* पूर्व मुख्यमंत्री का यह बयान कहीं ना कहीं अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले खनन सचिव आई.ए.एस अधिकारी संत का सीधे-सीधे अपमान है, जो पूर्व मुख्यमंत्री के जातिय अहंकार को प्रदर्शित करता है, उनके इस बयान से प्रदेश के समस्त अनुसूचित जाति वर्ग में गहरा रोष है, *शैलशिल्पी विकास संगठन यह भी स्पष्ट करना चाहता है कि प्रदेश में खनन वैध हो रहा है, या अवैध ये जॉच का विषय हो सकता है*, लेकिन अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले IAS अधिकारी जो वर्तमान में खनन सचिव के पद पर आसीन हैं, उनके लिए मीडिया में इस तरह का आपत्तिजनक बयान दुर्भाग्यपूर्ण है।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस बयान की *शैलशिल्पी विकास संगठन घोर निंदा करता है* संगठन मांग करता है कि प्रदेश का *अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग इस विषय में स्वयं संज्ञान लेते हुए उचित वैधानिक कार्यवाही करें* , संगठन यह भी मांग करता है कि पूर्व मुख्यमंत्री अपने इस दुर्भाग्यपूर्ण बयान पर माफी मांगे अन्यथा अनुसूचित जाति समाज के विभिन्न संगठन सड़कों पर आकर पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ आंदोलन को बाध्य होंगे, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का ये बयान प्रदर्शित करता है कि वे जातिय अहंकार से लबरेज हैं।

