कोटद्वार गढ़वाल मण्डल मुख्यालय पौड़ी में स्थित जिलाधिकारी कार्यालय के पुराने भवन में इन दिनों राजकीय संग्रहालय का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिलाधिकारी पौड़ी का कार्यालय अब नये एवं आधुनिक सुख सुविधाओं से सुसज्जित भवन में शिफ्ट हो चुका है,नये जिलाधिकारी कार्यालय भवन के ठीक सामने सड़क पार पुराना ऐतिहासिक ब्रिटिश कालीन भवन अपने साथ एक गुजरे हुए युग के कई किस्से-कहानियों को समेटे हुए शान से खड़ा है, राज्य सरकार द्वारा मण्डल मुख्यालय पौड़ी के इस ऐतिहासिक भवन को अब राजकीय संग्रहालय के रूप में विकसित किया जा रहा है। निर्माणाधीन संग्रहालय भवन में निश्चित ही गढ़वाल की ऐतिहासिक विरासत, स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों सहित इतिहास के कालखंडों से जुड़ी दुर्लभ सामग्रियों को संजोकर रखा जाएगा, जिसके माध्यम से आने वाली पीढ़ियों को भी गढ़वाल के देश काल परिस्थितियों के इतिहास को जानने का अवसर मिलेगा। प्रदेश के इतिहासकारों द्वारा पूर्व में स्पष्ट किया गया है कि, उत्तराखंड प्रदेश का असल मूलनिवासी प्रदेश का शिल्पकार समाज है, जिसका इस पर्वतीय भू-भाग में आने का कोई प्रमाण नहीं है, जबकि प्रदेश की अन्य जातियों का इस भू-भाग में आगमन का इतिहास कई इतिहासकारों ने पूर्व में ही स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया हुआ हैं। शिल्पकार समाज के लेखकों, चिंतकों एवं इतिहास में रुचि रखने वाले प्रगतिशील लोगों को मंडल मुख्यालय पौड़ी में निर्माणाधीन संग्रहालय भवन के निर्माण से पूर्व गढ़वाल के इतिहास में शिल्पकार समाज के ऐतिहासिक डोला- पालकी आंदोलन, 6 सितंबर 1932 को पौड़ी में अंग्रेज गवर्नर मेलकन हेली के स्वागत दरबार में तिरंगा झंडा फहराने वाले पौड़ी क्रांति के नायक उत्तराखंड रत्न, सम्मान से विभूषित कर्मवीर जयानंद भारतीय की तस्वीर एवं पौड़ी क्रांति से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेज भी संग्रहालय में होने चाहिए, साथ ही गढ़वाल के प्रथम सांसद ,स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बलदेव सिंह आर्य जैसे बीसवीं सदी के नायकों का परिचय एवं चित्र भी संग्रहालय में ससम्मान लगाए जाने चाहिए। शिल्पकार समाज के लेखकों, चिंतकों, इतिहास में रुचि रखने वाले जागरूक लोगों को ये दायित्व है कि वे संग्रहालय में संजोने योग्य ऐतिहासिक सामग्री, घटनाओं, दस्तावेजों, चित्रों को संकलित कर राज्य सरकार को इस निवेदन के साथ प्रस्तुत करें कि पौड़ी संग्रहालय के लोकार्पण से पूर्व प्रदेश के मूलनिवासी शिल्पकार समाज से संबंधित ऐतिहासिक सामग्री को भी संग्रहालय में ससम्मान उचित स्थान दिया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों तक भी शिल्पकार समाज की विभूतियों और उनके संघर्षों का गौरवमय इतिहास आगे बढ़ सके, मेरा भी प्रयास रहेगा कि मैं उत्तराखंड प्रदेश के मूलनिवासी शिल्पकार समाज के समग्र विकास को समर्पित शैलशिल्पी विकास संगठन के माध्यम से गढ़वाल के इतिहास में शिल्पकार समाज की भूमिका से सम्बन्धी कुछ ऐतिहासिक सामग्री, दस्तावेजों को राज्य सरकार को इस निवेदन के साथ प्रस्तुत करूंगा कि उक्त ऐतिहासिक सामग्री को पौड़ी के संग्रहालय में ससम्मान उचित स्थान दिया जाए ।
प्रस्तुति
विकास कुमार आर्य
गढ़वाल मंडल ब्यूरो प्रमुख
वंचित स्वर साप्ताहिक
समाचार पत्र

