अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना परिसर, अल्मोड़ा के पूर्व छात्र संघ महासचिव आशीष पंत ने कहा कि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में पिछले वर्ष बीएससी सामान्य कोर्स में सीटें बढ़ाकर कैंपस में चल रहे कोड़ समान सेल्फ फाइनेंस कोर्स को बंद कर दिया गया था, परंतु इस बार कुछ लालची और कैंपस को दीमक के समान लूट रहे अध्यापकों द्वारा उसे पुनः शुरू करने का प्रपोजल जारी किया गया है और बीएससी में बड़ाई गयी सीटों को कम कर दिया गया है। पूर्व महासचिव ने कहा कि सेल्फ फाइनेंस सिर्फ छात्र छात्राओं को लूटने की और विश्वविद्यालय को खोखला बनाने का स्कैम है। उन्होंने कहा कि सेल्फ फाइनेंस के नाम पर संस्था द्वारा विद्यार्थियों से अधिक से अधिक धन लूटा जाता है और उसके बदले ना ही उन्हें प्रयोगात्मक कक्षाएं सुचारू रूप से मिल पाती है ना ही उनको नियमित रूप से कक्षाओं का संचालन हो पाता है। आशीष ने आगे कहा कि शिक्षा के व्यवसायीकरण को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पूर्व छात्रसंघ उपसचिव गोकुल सिंह खनी ने कहा की कुछ अध्यापक इस विश्वविद्यालय में इस स्कैम के सरगने के तौर पर कार्य कर रहे हैं। गोकुल खनी ने कहा की पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी रेगुलर बीएससी की सीटों में जो कमी की गई वह नहीं होनी चाहिए। गोकुल ने आगे कहा की पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों के गरीब विद्यार्थियों के लिए सेल्फ फाइनेंस की इतनी अधिक फीस देना संभव नहीं है इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन को पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों के विद्यार्थियों का ध्यान रखते हुए संपूर्ण सीटों को रेगुलर करना चाहिए जिससे सभी विद्यार्थी कम फीस में ही ज्ञान अर्जित कर पाए। गोकुल ने आगे कहा कि सेल्फ फाइनेंस के नाम पर सिर्फ और सिर्फ छात्र-छात्राओं से लूट की जा रही है और सर फाइनेंस के विद्यार्थियों के लिए ना तो अलग से शिक्षकों की व्यवस्था है ना ही प्रयोगात्मक कक्षाओं के लिए बेहतर सुविधा तो सर फाइनेंस के नाम पर पैसा लूटने की प्रथा को तुरंत बंद किया जाना चाहिए और सेल्फ फाइनेंस की सभी सीटों को रेगुलर मोड में ही संचालित करना चाहिए।
पूर्व छात्रसंघ महासचिव आशीष पंत और पूर्व छात्रसंघ उपसचिव गोकुल सिंह खनी पूर्व में बीएससी के छात्र रहे हैं। दोनों ही पदाधिकारियों ने कहा की उन्होंने खुद इस बात का अनुभव किया है कि सेल्फ फाइनेंस सिर्फ छात्र-छात्राओं से पैसा वसूलने का एक माध्यम है। दोनों पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारियों ने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में जिस प्रकार से शिक्षा का व्यवसायीकरण हुआ है वह निंदनीय है।