फिल्लोर (पंजाब) बामसेफ का 42वां राष्ट्रीय अधिवेशन दानामंडी फिल्लोर में आज प्रारंभ हुआ। सर्वप्रथम बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर एल ध्रुव, राष्ट्रीय महासचिव आरएस राम, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेश द्रविड़, सुनीता कप्परवाल, संजय इंगोले सहित राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य नितिन थाबलके फिल्लोर शहर स्थित बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर की मूर्ति पर मूर्ति पर माल्यार्पण किया और प्रतिबद्धता लिया कि हम फूले-अंबेडकर सहित मूलनिवासी बहुजन महामानों की विचारधारा को समाज में स्थापित करने का काम करेंगे।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर एल ध्रुव ने किया जबकि संचालन राष्ट्रीय महासचिव आरएस राम ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा उपस्थित थे। जबकि विशेष अतिथि के रूप में मूलनिवासी देवराज सुमन और मूलनिवासी डॉक्टर केएस चौहान उपस्थित थे। आईएस राम ने प्रस्तावना भाषण देते हुए कहा की बामसेफ की स्थापना 6 दिसंबर को की गई क्योंकि 6 दिसंबर को ही बाबा साहब का परिनिर्वाण हुआ था इसलिए बाबा साहब की मिशन को पूरा करने के लिए 6 दिसंबर को ही बामसेफ स्थापित हुआ और जब से बामसेफ बना है तब से सामाजिक क्रांति का आंदोलन अनवरत चला रहा है। डॉ के एस चौहान ने कहा कि हमें एससी एसटी ओबीसी को जाति तोड़ो और समाज जोड़ो के तहत जोडने का काम करना चाहिए और मूलनिवासी पहचान के रूप में संगठित होकर राजनीतिक सत्ता हासिल कर मूलनिवासियों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए। मुख्य अतिथि न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा ने कहा कि एससी एसटी ओबीसी सभी ऐतिहासिक रूप से एक समान है इसलिए इनसे धर्म परिवर्तित अल्पसंख्यक मुस्लिम और क्रिश्चियन को भी एक समान सुविधा मिलना चाहिए। विशिष्ट अतिथि देवराज सुमन ने कहा की विचार परिवर्तन ही परिवर्तन का मूल है। विचार परिवर्तन से ही सामाजिक परिवर्तन राजनीतिक परिवर्तन और सांस्कृतिक परिवर्तन होता है और बामसेफ संगठन विचार परिवर्तन का महान काम कर रहा है। अध्यक्षता करते हुए आर एल ध्रुव ने कहा की बामसेफ के मिशन को हमें गांव-गांव ले जाना है और उसमें आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है।

