
अल्मोड़ा दिनांक 4 सितम्बर 2022 को पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक उत्तराखण्ड राज्य के अध्यक्ष एडवोकेट डाॅ प्रमोद कुमार ने एक बयान जारी करते हुए कहा है विगत 1सितम्बर2022 को अल्मोड़ा जनपद के भिकियासैण तहसील में जगदीश और गीता के अंतरजातीय प्रेम विवाह से नाराज गीता के सौतेले पिता व भाई से मिली धमकियों के बाद 27 अगस्त को गीता एसएसपी अल्मोड़ा को पत्र लिखती है और अपने पति और अपनी जान माल की सुरक्षा की गुहार लगाती है. लेकिन पुलिस इसे गंभीरता से नहीं लेती है. जबकि पुलिस को संज्ञान होना चाहिए था कि भिकियासैंण में ही 1980 में दिल को दहला देने वाला जातीय नरसंहार हुआ था. उसके बाद भी पुलिस बेखबर रही. वह हत्यारों के इतने खतरनाक मंसूबों का आकलन नहीं कर पाई. परिणाम स्वरूप जगदीश की अपहरण करने के बाद हत्या हो गई. जिससे हर सुनने वाला स्तंभ है. आज के संवैधानिक राज्य में भी अंतर्जातीय विवाहों की सजा मौत होती है. जो भी हो कानून है व्यवस्था जगदीश जैसों लोगों को कानूनी सुरक्षा देने में असफल रही है.
यह जातीय हिंसा के खिलाफ प्रदेश और देश भर से आवाजें उठ रही हैं निश्चित ही जगदीश के परिवार को न्याय मिलना चाहिए. राज्य की कानून व्यवस्था की असफलता के लिए जगदीश के परिवार को कम से कम एक करोड़ का मुआवजा भी मिलना चाहिए. साथ ही इस बात के लिए शासन और प्रशासन की ओर से ऐसे प्रयास भी किए जाने चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके. जबकि व्यवहार में देखने में आता है कि इस प्रकार के मामलों में शासन प्रशासन और हिंदुत्ववादी संगठन चुप्पी साध लेते हैं. उनकी यह चुप्पी ऐसी घटनाओं को मौन समर्थन देती प्रतीत होती है. मृतक की पत्नी गीता द्वारा अल्मोड़ा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पहले ही अपने और अपने पति की आन माल को खतरा देखते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी परंतु पुलिस ने इस ओर ध्यान नहीं दिया जिसके चलते अनुसूचित जाति समाज के युवक जगदीश चंद्र ने अपनी जान गवाई इस लिए प्रदेश के महामहिम राज्यपाल और मुख्यमंत्री से आग्रह करते हैं कि लापरवाह अल्मोड़ा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए जिससे भविष्य में ऐसे अधिकारियों को सबक मिल सकें और एक निर्दोष की जान बच सकें।