नागपुर (महाराष्ट्र) बामसेफ का 39 वां राष्ट्रीय अधिवेशन 25 से 28 दिसंबर 2022 को डी. के. खापर्डे मेमोरियल ट्रस्ट के राष्ट्रपिता जोतिबा फुले सामाजिक क्रांति संस्थान, रिंगनाबोडी, अमरावती रोड, नागपूर (महाराष्ट्र) में शुरू हो गया है जिस का उद्घाटन शनिवार, 25 दिसंबर को प्रातः 11 बजे हुआ
*अधिवेशन का उद्घाटन डॉ. आर. एस. कुरील (कुलपति, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, दुर्ग) द्वारा किया गया इस अवसर पर फ़्रांस से राजनीतिक शोधकर्ता डॉ. क्रिस्टोफी जेफ़रलोट, सामाजिक क्रांति महागठबंधन के संस्थापक ट्रस्टी जस्टिस वीरेंद्र सिंह, केरल से चर्चित कवी व पट्टभेदम मैगज़ीन की संपादक मृदुला देवी ने विषेश अतिथि के रूप में सम्बोधित किया उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गणोरकर किया
*आपको बता दें की बामसेफ की स्थापना 1978 को हुयी। अर्थात बामसेफ समाज जीवन में विगत 44 वर्षों से सक्रिय है। जहांतक बामसेफ की गतिविधियों का सवाल है, आज की तारीख में बामसेफ पूरे देश में 2000 सेंटर्स पर कार्यरत है। प्रत्येक सेंटर में बामसेफ गतिविधियों में 10 से 15 कार्यकर्ता एक्टिवली कार्यरत है। इस हिसाब से 30 हजार सदस्य बामसेफ की गतिविधियों में पूरे सालभर में शामिल होते हैं। देशभर में कार्यरत प्रत्येक सेंटर से करीब 2 से 5 प्रतिनिधि राष्ट्रीय अधिवेशन की गतिविधियों में शामिल होने आते हैं।*
*बामसेफ की स्थापना 1978 को हुयी अर्थात अब बामसेफ को 45 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। पूरे देश में आज की घडी़ में मिशनरी तरीके से कार्य करनेवाला बामसेफ यही एक मूलनिवासी बहुजन समाज का सबसे बड़ा सामजिक संगठन है।*
*अगर पिछले 45 वर्षों का भारत का सामाजिक व राजनैतिक परिदृश्य देखें तो अपने सिमित कार्य के बावजूद भी पिछले 30 वर्षों में बहुजन विचार ने सामाजिक जीवन में अपना एक स्थान निर्माण किया है। अनुसूचित जातियों के साथ-साथ अन्य पिछड़े वर्ग और मूलनिवासी आदिवासी में अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूकता दिन-ब-दिन बढ़ रही है। पिछले 40 वर्षों से बामसेफ के कार्यकर्ता सिमित साधनों के बावजूद लगातार कार्य कर रहे हैं। इससे देश में मूलनिवासी बहुजन के ध्रुवीकरण की गतिविधियां तेज हो रही है।अधिवेशन में देश के सभी राज्यों के बामसेफ के हजारों कार्यकर्ता और पदाधिकारी प्रतिभाग कर रहे है।