
कोटद्वार पौड़ी जनपद के विकास खण्ड द्वारीखाल के छोटे से बाजार सिलोगी में लोहार का काम करने वाले अनुसूचित जाति के गरीब मेहनतकश मजदूर सैन सिंह ने जब 11- चांदपुर (सामान्य) जिला पंचायत सदस्य पद हेतु से अपना नामांकन पत्र दाखिल कर अपनी दावेदारी पेश की तो कई लोगों ने सैन सिंह का मजाक उड़ाया क्योंकि जिनके खिलाफ सैन सिंह चुनावी मैदान में उतरा था वो सभी लोग धन-बल-बाहुबल और राजनीतिक समझ से सैन सिंह से बहुत आगे थे, लेकिन फिर भी विकास खंड द्वारीखाल की 11- चांदपुर जिला पंचायत सीट से लोहा पीटने वाले गरीब अनुसूचित जाति के मेहनतकश लोहार सैन सिंह को जनमानस का इतना प्यार और समर्थन मिला कि सैन सिंह बड़े बड़े प्रत्याशियों को पछाड़ते हुए दूसरे स्थान पर रहा, चुनाव जीतने वाले भारतीय जनता पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी विक्रम सिंह बिष्ट को मतगणना के अंतिम चरण तक भी अपनी जीत आसान नहीं लग रही थी। सैन सिंह जैसे आम आदमी ने लोगो को ये विश्वास दिला दिया कि हमारी भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में अंतिम पंक्ति पर खड़ा गरीब से गरीब मेहनतकश मजदूर व्यक्ति भी बिना धन-बल जनता के बीच अपनी ईमानदारी,लोकप्रियता, मधुर व्यवहार की ताकत से लोकतंत्र के चुनावी पर्व में उतरकर जनप्रतिनिधि बनने की उम्मीद कर सकता है, भले ही सैन सिंह बहुत कम अंतर से चुनाव हार गया लेकिन पूरे विकासखंड द्वारीखाल में उसकी हार के चर्चा जीतने वाले की जीत से ज्यादा हो रही है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 में पौड़ी जनपद की 11- चांदपुर जिला पंचायत की सामान्य सीट से जिला पंचायत सदस्य पद के लिए चुनाव लड़े दुबली-पतली काया के अनुसूचित जाति के गरीब, मगर मेहनतकश लोहारगिरी का काम करने वाले सैन सिंह (सैनू भाई) ने चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कर भाजपा-कांग्रेस जैसे बड़े-बड़े राष्ट्रीय दलों व अन्य धन-बल से सक्षम प्रत्याशियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी ,सैन सिंह आर्थिक संसाधनों से भले ही सबसे कमजोर थे ,लेकिन पूरे चुनाव में उनका जज्बा उनके इरादे बहुत मजबूत रहे, अपने मधुर व्यवहार एवं मिलनसार स्वभाव से क्षेत्र के दूर-दराज के गांवों के सभी वर्गों के बुजुर्गों,महिलाओं, युवाओं में बहुत ही लोकप्रिय सैन सिंह को ज्यादा प्रचार-प्रसार की न जरूरत पड़ी न ही उनके पास प्रचार सामग्री पर खर्च करने के लिए हजारों रूपये थे, मतपत्र के नमूने के माध्यम से उनका चुनाव चिन्ह कैंची वाला एकमात्र पर्चा गांव-गांव तक पहुंचा, साथ ही सैन सिंह ने दर्जनों गांवों को पैदल नापकर अपनी कर्मठता से अपना प्रचार अभियान पूरा किया। सैन सिंह की कमजोर आर्थिक स्थिति को जानने वाले उनके शुभचिंतक व आम लोग उन्हें अपनी सामर्थ्य से चुनाव पर होने वाले खर्चे के लिए 100- 200- 500 रूपये की मदद देकर उसका हौसला बढ़ाया। सबसे मजेदार बात तो ये है कि सैन सिंह को मदद व समर्थन करने वाले लोग हर जाति हर गांव से थे। चुनाव परिणाम में भले ही सैन सिंह चुनाव हार गए लेकिन चुनाव हारकर भी वो मतदाताओं और आम लोगों के सबसे लोकप्रिय प्रत्याशी बनकर उभरे, लोग सैन सिंह की हार को भी किसी जीत से कम नहीं मान रहे हैं।
प्रस्तुति –
विकास कुमार आर्य
(प्रदेश अध्यक्ष)
शैलशिल्पी विकास संगठन मुख्यालय – कोटद्वार गढ़वाल उत्तराखंड