देहरादून। मूलनिवासी कर्मचारी कल्याण महासंघ के एक दिवसीय जिला सम्मेलन का आयोजन देहरादून के उत्तरांचल प्रेस क्लब में किया गया जिसमें महासंघ के राष्ट्रीय स्तर पर तय किए गए 10 मुद्दों की जानकारी देते हुए राज्य उपाध्यक्ष जितेंद्र सिंह बुटोइया ने सभी उपस्थित अतिथियों का संबोधन के माध्यम से स्वागत किया । उद्घाटक एवं मुख्य अतिथि पूर्व न्यायाधीश उत्तराखंड हाई कोर्ट कांता प्रसाद ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि आज भारत में भारत के मूल निवासियों की अनदेखी की जा रही है ,जिसका उदाहरण पदोन्नति में आरक्षण ना देना और आउटसोर्सिंग के माध्यम से पदों को भरना है। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉक्टर के एस चौहान ने कहा कि मंडल मामले में बहुमत से अनुच्छेद 16 (4) की संवैधानिक व्याख्या सुप्रीम कोर्ट और सभी उच्च न्यायालयों द्वारा लागू की जाती है। यह माना गया है कि आरक्षण मौलिक अधिकार है और राज्य इसे देने के लिए बाध्य हैं, फिर भी सरकारों द्वारा एससी एसटी वर्ग को यह अधिकार नहीं दिया जा रहा है । अपने वक्तव्य के पश्चात प्रश्नोत्तरी सत्र में अनुसचिव चंद्र बहादुर ने सवाल किया कि “उत्तराखंड में सीधी भर्ती की नियुक्तियों में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया जा रहा है, इस पर हमें क्या करना चाहिए ? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए डॉ चौहान ने कहा कि संबंधित विभाग के सचिव व विभागाध्यक्ष के साथ ही कार्मिक सचिव के ऊपर एट्रोसिटी एक्ट में मुकदमा दर्ज करवाया जाना चाहिए। सम्मेलन में पूर्व जिला जज एस पी सिंह व उत्तराखंड के बेसिक संयुक्त शिक्षा निदेशक रघुनाथ लाल आर्य ने मूलनिवासी कर्मचारी कल्याण महासंघ द्वारा उठाए गए विषयों पर चर्चा परिचर्चा की और इन मुद्दों को बहुत ही अहम बताया । महासंघ के उत्तराखंड प्रभारी एवं राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह व प्रदेश अध्यक्ष जंगी रडवाल ने शीघ्र ही प्रदेश की राजधानी में प्रदेश स्तर का सम्मेलन आयोजित करने की बात कही। महासंघ द्वारा उठाए गए विषय ओबीसी को पदोन्नति में पर्याप्त पद में प्रतिनिधित्व और ओबीसी के लिए क्रीमी लेयर का उन्मूलन । एससी एसटी का पदोन्नति में आरक्षण बहाल किया जाना। सार्वजनिक नियुक्तियों, पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति, संविदा नियुक्ति आदि में एससी , एसटी, ओबीसी के प्रतिनिधित्व के लिए अधिनियम की आवश्यकता । संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन । एस एससी एसटी ओबीसी के बैकलॉग की रिक्तियों को विशेष भर्ती अभियान के तहत भरा जाना । निजीकरण को तत्काल रोकना । राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या के अनुपात में परिषदों आदि में एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया जाना। नई पेंशन योजना को पुरानी पेंशन योजना से बदल दिया जाना । केंद्र व राज्य सरकारों के सरकारी कर्मचारियों की सेवा शर्तों के लिए अनुच्छेद 309 के तहत एक अधिनियम बनाया जाना । केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सभी उद्देश्यों के लिए अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के सेवा संघों को मान्यता दिया जाना। इन सभी मुद्दों पर सभी का ध्यान आकृष्ट किया। बामसेफ के राज्य महासचिव संजय कुमार ने व्यक्ति व संगठन के महत्व को कई उदाहरण देकर समझाने का प्रयास किया । जिला सम्मेलन का संचालन कार्यकारिणी सदस्य अनिल कुमार ने किया। सम्मेलन की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष डॉ परम गौतम द्वारा की गई। अंत में कार्यकारिणी सदस्य श्याम लाल शाह द्वारा सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया गया । इस अवसर पर नरेंद्र कुमार गौतम , बी पी सिंह, सुदेश गौतम , सुनीत सिंह, मनोहर लाल, विजय कुमार, सतीश कुमार , मनीष कुमार , धीरज कुमार, डॉ राजकुमार, मानवेंद्र सिंह , कुलदीप सिंह सैनी, परमानंद , बालेश्वर आदि उपस्थित रहे।