
दिल्ली। EWS आरक्षण जातिवादी व संविधान की मूल भावना विरोधी कदम है, क्योंकि ये केवल सवर्णों को मिलता है. यह बात आज सुप्रीम कोर्ट के दो जज बोले. दूसरे ये आरक्षण की सीमा को 60% करता है, क्योंकि ये केवल सवर्णों को मिलता है, यानी 50% UR में से, जो सबके लिए ओपन कैटेगरी थी. अगर ये सामान्य सी बात सुप्रीम कोर्ट के दो जज समझ गए, केस लड़ने वाले वकीलों की फ़ौज समझ गई, ढेर सारे जागरूक लोग समझ गए; फिर विपक्षी दलों के नेता क्योंकर नहीं समझ पाए? अब मूल्यांकन तो करना चाहिए कि आपने अगर EWS का समर्थन किया, तो उसका सियासी लाभ आपको मिला या कोई और ले गया? अगर नहीं मिला, तो कोई वैकल्पिक रणनीति है आपके पास।