देहरादून। उत्तराखंड सचिवालय एस०सी०/एस०टी समिति के आह्वान पर १२.०९.२१ को राज्यव्यापी बैठक का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य प्रयोजन अनुच्छेद-१६(४A) के दृष्टिगत पदोन्नति में आरक्षण हेतु उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 07.02.20 को चुनौती दिए जाने हेतु समिति द्वारा योजित वाद के सम्बंध में राज्य के समस्त एस०टी०/एस०टी कार्मिकों को संज्ञानित कराया जाना और न्यायिक लड़ाई हेतु अग्रिम रणनीति बनाना था।बैठक के अतिविशेष अतिथि राजकुमार, अधिवक्ता/ अध्यक्ष, संविधान बचाओ ट्रस्ट, सहारनपुर, उ०प्र० तथा विशेष अतिथि ज्ञान चंद्र, स०टैक्स.आयुक्त, उत्तराखण्ड और विनोद कुमार, सहायक अभियन्ता, पी॰डबल्यू॰डी॰, रुद्रपुर थे।बैठक़ में सभी सम्मानित साथियों को अवगत कराया गया कि दिनांक ७.०२.२० को मा० उच्चतम न्यायालय के आदेशोपरांत राज्य सरकार द्वारा पदोन्नति में आरक्षण की पूर्व व्यवस्था को यथावत् लागू करते हुए, शासनादेश दिनांक ०५.०९.२०१२ को प्रभावी किया गया है ।तदनुसार उत्तराखण्ड राज्य में अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के समस्त कर्मी उक्त लाभ से पुनः वंचित हो गए है। उक्त आदेश का प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से मात्र उत्तराखंड राज्य पर ही नहीं पड़ा, अपितु अप्रत्यक्ष रूप से आदेश में पदोन्नति में आरक्षण को मूल अधिकार न होने, के दृष्टिगत इसका प्रभाव सम्पूर्ण देश के एस०सी०/एस०टी० वर्ग के कर्मियों पर भी पड़ा है । सप्रीम कोर्ट के उक्त आदेश दिनांक ०७.०२.२० के गहन परीक्षण और अध्यनोपरांत समिति द्वारा देश और प्रदेश स्तरीय विभिन्न गठित संगठनों, अधिवक्ताओं तथा इन वादों में मूल रूप से वादी श्री ज्ञान चंद्र जी, श्री विनोद कुमार जी और अन्य सहयोगी के साथ अधिवक्ता की विधिक राय से वाद में राज्य सरकार द्वारा दाखिल किए गए शपथपत्र के विभिन्न तथ्यों पर कार्मिक विभाग/सचिवालय प्रशासन (लेखा) से निरन्तर आर॰टी॰आई॰ के माध्यम से सूचनाएँ एकत्रित की गयी । उक्त में लगभग ३ माहों का समय व्यतीत हुआ।आर॰टी॰आई॰ के माध्यम से प्राप्त सूचनाओ से ऐसे अनेकों तथ्य स्पष्ट हुए, जिससे ये सिद्ध हुआ कि उक्त वाद में ऐसे तथ्य प्रस्तुत किए गए, जिस सम्बन्धी अभिलेखीय साक्ष्य उपलब्ध ही नहीं थे । परिणामतः उक्त आदेश इस वर्ग के कार्मिकों के विरुद्ध निर्णीत हुआ।अवगत कराया गया कि सम्पूर्ण देश में पदोन्नति में आरक्षण को लेके एकमात्र वाद संख्या-३०६२१/२०११ जरनैल सिंह बनाम लक्ष्मी नारायण सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है, जिस सम्बंध में सप्रीम कोर्ट में देश में पदोन्नति में आरक्षण से सम्बंधित विभिन्न योजित याचिकाओं को सम्बद्ध किया गया है । उक्त वाद में दिनांक १८.०१.२१ को सप्रीम कोर्ट द्वारा अटर्नी जनरल के माध्यम से सम्पूर्ण देश में पदोन्नति में आरक्षण को लेके विभिन्न राज्य की स्तिथि से अवगत कराए जाने हेतु आदेश पारित किए गए है ।यद्यपि ये समिति उक्त वाद में पार्टी नहीं थी, तथापि चूँकि समिति उत्तराखंड राज्य हेतु पारित आदेश के विरुद्ध अग्रिम विधिक कार्यवाही करने हेतु क्रियाशील थी, जिस के दृष्टिगत जरनैल सिंह के वाद में उकत्तानुसार पारित आदेश में विधिक राय के उपरांत समिति की याचिका को सम्बद्ध किए जाने का निर्णय लिया गया और उक्त वाद में संबद्धता सम्बन्धी याचिका निर्मित कर, दिनांक ६.९.२१ को दाखिल कर दी गयी गयी है । साथ ही ये समिति श्री जरनैल सिंह जी से निरंतर दूरभाष पर सम्पर्क में है और उनके साथ वाद को लेके संवाद कर रही थी।बैठक में जरनैल सिंह वाद की स्तिथि से सभी को अवगत कराया गया और ये संज्ञानित कराया गया कि उक्त वाद में सुनवाई की अग्रिम तिथि १४.०९.२१ नियत है, जिसमें उत्तराखंड राज्य से अपने वर्ग के कार्मिक के प्रतिनिधित्व के रूप में पदोन्नति में आरक्षण को लेके अपना पक्ष रखने हेतु सचिवालय समिति द्वारा वाद योजित किया गया है, जो उक्त तिथि को लिस्टेड है ।बैठक में उपस्थित अन्य संगठनों यथा एस०सी०/एस०टी फ़ेडरेशन, एस०सी०/एस०टी शिक्षक एसोसि०, एस०सी०/एस०टी परिसंघ और एस० टी० एसो० के समस्त पदाधिकारियों द्वारा अपने विचार/ सुझाव व्यक्त करते हुए, एक स्वर में पुनः इस लड़ाई को लड़ने की हुंकार भरी, जिस हेतु समिति द्वारा अपने संविधान प्रदत्त अधिकारो और सम्मान को प्राप्त कर, अपनी संगठित शक्ति को प्रदर्शित करने हेतु सभी का आभार व्यक्त किया गया।