देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे विधायक संजीव आर्य शनिवार को एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। तब से बीजेपी के भीतर घमासान मचा है। डैमेज कंट्रोल की कोशिशें जारी हैं। कहा जा रहा है कि यशपाल के कांग्रेस में शामिल होते वक्त विधायक उमेश शर्मा काऊ भी उनके साथ कांग्रेस मुख्यालय में मौजूद थे, लेकिन एक फोन के बाद वह चुपचाप वहां से निकल गए। अब उमेश शर्मा काऊ ने दोबारा कांग्रेस में वापसी करने की खबरों को निराधार बताया है, यही नहीं उन्होंने एक बड़ा खुलासा भी किया है। उन्होंने बताया कि जुलाई में नेतृत्व परिवर्तन के दौरान तीन विधायक मंत्री पद की शपथ नहीं लेना चाहते थे। इन विधायकों में हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज और यशपाल आर्य शामिल हैं। तीनों ही नाराज थे और शपथ ग्रहण न करने पर अड़े हुए थे। बता दें कि बीजेपी अब तक विधायकों की नाराजगी की बात से इनकार करती रही है, लेकिन उमेश शर्मा काऊ ने पर्दे के पीछे चल रही सियासत को अपने बयान से सार्वजनिक कर दिया.मार्च 2016 में पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के नेतृत्व में 9 विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था। बाद में कांग्रेस के दो और विधायक बीजेपी में शामिल हुए। बीजेपी ने अपना वादा निभाते हुए सभी को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया। 2017 में त्रिवेंद्र सरकार में पांच विधायकों को मंत्री बनाया गया। हालांकि महाराज और हरक सिंह रावत वरिष्ठता के नाते खुद को मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहते थे, पर इन्हें मौका नहीं मिला। जुलाई में जब नेतृत्व परिवर्तन हुआ तो युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को सीएम बना दिया गया। तब चर्चा चली थी कि कुछ विधायक शपथ लेने को तैयार नहीं हैं। अब विधायक काऊ ने भी इस बात की पुष्टि की है। उनका कहना है कि राष्ट्रीय नेतृत्व के कहने पर उन्होंने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी, तब कहीं जाकर मामला सुलझा और तीनों ने मंत्री पद की शपथ ली थी।
साभार – राज्य समीक्षा